जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों को घेरा है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि काफी लंबे समय तक ना-ना करने के बाद अब केंद्र द्वारा राष्ट्रीय जनगणना के साथ जातीय जनगणना भी कराने के निर्णय का बीजेपी व कांग्रेस आदि द्वारा इसका श्रेय लेकर खुद को ओबीसी हितैषी सिद्ध करने की होड़ मची है, जबकि इनके बहुजन-विरोधी चरित्र के कारण ये समाज अभी भी पिछड़ा, शोषित व वंचित है.
मायावती ने आगे कहा कि वैसे भी कांग्रेस एवं बीजेपी आदि की अगर नीयत व नीति बहुजन समाज के प्रति पाक-साफ होती तो ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदार बन गया होता, जिससे इनके मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का 'आत्म-सम्मान व स्वाभिमान' का मिशन सफल होता हुआ ज़रूर दिखता. लेकिन बाबा साहेब एवं बीएसपी के अनवरत संघर्ष के कारण ओबीसी समाज आज जब काफी हद तक जागरुक है, तो दलितों की तरह ओबीसी वोटों के लिए ललायित इन पार्टियों में इनका हितैषी दिखने का स्वार्थ व मजबूरी है, अर्थात् स्पष्ट है कि ओबीसी का हित बीएसपी में ही निहित है, अन्यत्र नहीं.
दरअसल, जातिगत जनगणना की लंबे समय से मांग की जा रही थी, इसको लेकर बीते दिनों केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया और कहा कि साल 2025 में होने वाली जनगणना में जाति जनगणना भी की जाएगी. बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राजनीतिक मामलों पर कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिए गए सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि जातियों की गिनती जनगणना के साथ की जाएगी. वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र का विषय है और अब तक कुछ राज्यों में किए गए जातिगत सर्वे पारदर्शी नहीं थे.
इस फैसले के तुरंत बाद मायावती ने कहा था कि देश में मूल जनगणना के साथ ही 'जातीय जनगणना' कराने का केंद्र सरकार द्वारा लिया गया फैसला काफी देर से उठाया गया सही दिशा में कदम है. इसका स्वागत है. बीएसपी इसकी मांग काफी लंबे समय से करती रही है. उम्मीद है कि सरकार 'जनगणना से जनकल्याण' के इस फैसले को समय से ज़रूर पूरा कराएगी.