उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिल दहला देने वाली वारदात के बाद हर कोई सहम गया. SC-ST कोर्ट रूम में मुख्तार अंसारी के करीबी गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी जीवा पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर उसकी हत्या कर दी गई. इस दौरान कोर्ट रूम में अफरा-तफरी मच गई. वारदात के दौरान जज के साथ ही वकीलों ने टेबल का सहारा लेकर खुद को सेफ किया. दहशत भरे माहौल के बीच सभी इधर-उधर भागने लगे. वहीं जज अपने रूम में चले गए.
इस मामले को लेकर लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके जीएन शुक्ला उर्फ चच्चू ने कहा कि लखनऊ के कोर्ट परिसर में जो घटना हुई, वह बहुत ही दुखद है. इतिहास में पहली बार लखनऊ कोर्ट में इस तरह की घटना घटित हुई है. जब पुलिस जानती थी कि वह कुख्यात अपराधी है तो उसकी सिक्योरिटी में ढील क्यों दी गई.
'पहले दिल्ली में हुई थी ऐसी घटना, अब लखनऊ में भी होने लगी'
जीएन शुक्ला ने कहा कि घटना में जज साहब बाल-बाल बच गए, उन्होंने खुद को डेस्क की मदद लेकर सेफ किया. इसके बाद वह अपने रूम में चले गए. हमारे वकील और जज ही सुरक्षित नहीं हैं तो बाकी लोग क्या सुरक्षित रहेंगे. पहले दिल्ली की कोर्ट में ऐसी घटना हुई थी, लेकिन अब राजधानी लखनऊ में भी इस तरीके की घटना हो गई. इसके चलते वकील तबका आक्रोशित है. कल 12 बजे लखनऊ सेंट्रल बार में एक मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें प्रदेश के सभी वकीलों को बुलाया जाएगा. इसके बाद आर-पार की लड़ाई का निर्णय लिया जाएगा.
'सुनियोजित ढंग से दिया गया वारदात को अंजाम'
लखनऊ सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जीएन शुक्ला ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अपराधी को आज आखिर बुलेट प्रूफ जैकेट क्यों नहीं पहनाई गई थी, जबकि पहले जब वह पेशी पर आता था तो बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर आता था. सुनियोजित ढंग से साजिश रचकर इस वारदात को अंजाम दिया गया. घटना में एक छोटी बच्ची भी घायल हुई है, जोकि बहुत ही निंदनीय है.

घटना को लेकर होगी वकीलों की बैठक
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि कल होने जा रही वकीलों की बैठक में यह तय किया जाएगा कि विधानसभा का घेराव करना है या फिर किसी पुलिस अधिकारी के कार्यालय का घेराव करना है या फिर कहीं अन्य स्थान पर चलना है, यह सभी चीजें बैठक में तय की जाएंगी. यह भी तय किया जाएगा कि काम कितने दिनों तक बंद रखा जाए.
क्यों नहीं लागू किया जा रहा अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट?
लखनऊ सेंट्रल बार के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि आखिर अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट क्यों नहीं लागू किया जा रहा है? उन्होंने कमिश्नरेट प्रणाली पर भी सवाल उठाए और कहा कि जब से कमिश्नरेट बना है, तब से वकीलों की स्थिति खराब हो गई है, उनसे उनका काम छिन गया है. कमिश्नरी बनने से अधिकारी निरंकुश हो गए हैं, उल्टा लॉ एंड आर्डर खराब हो गया है.
'कोर्ट परिसर में लगे मेटल डिटेक्टर नहीं करते काम'

कोर्ट की सुरक्षा को लेकर अधिवक्ता जीएन शुक्ला ने कहा कि कोर्ट परिसर में जितने भी मेटल डिटेक्टर लगे हैं, वह काम नहीं करते हैं. पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था में पूरी तरीके से चूक हुई है और इसी नाते यह घटना घटी है, क्योंकि जिन लोगों ने इस घटना को अंजाम दिया है या अंजाम दिलवाया है, उनको यह बात पता थी कि मेटल डिटेक्टर काम नहीं करता है. आज अपराधी कोर्ट में आएगा, उसकी पेशी लगी है. यह सब बहुत दिन से अपराधी को मारने के लिए योजना बना रहे होंगे. उनको पता था कि आज उसकी डेट लगी है और वह पेशी पर आएगा तो उसे मौत की नींद सुला देंगे.
सीएम को खामियां नहीं बताते अफसरः शुक्ला
लखनऊ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जीएन शुक्ला ने कहा कि पुलिस गेट पर पहरा देने की बजाय मोबाइल में व्यस्त रहती है और वीडियो गेम खेला करती है. वहीं बड़े अधिकारी सीएम को कमियां नहीं बताते हैं. उन बातों को अधिकारी वर्ग छिपा लेता है और सिर्फ गुड वर्क सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाया जाता है, जिसके दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं. ऐसे में सीएम योगी से अपील है कि मामले का संज्ञान लें और लॉ एंड ऑर्डर मजबूत करें. अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करें, जिसमें मेडिकल सुविधा भी मिले.

सिक्योरिटी में कहां चूक हुई, जांच का विषय
ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस लॉ एंड ऑर्डर लखनऊ उपेंद्र अग्रवाल ने कहा कि संजीव महेश्वरी जीवा की एससी-एसटी कोर्ट में पेशी थी. उसकी सुनवाई का समय साढ़े तीन बजे के बाद का था. इसी दौरान जब जीवा सुनवाई के लिए कोर्ट रूम में जा रहा था, तभी एक हमलावर पीछे से आया और संजीव जीवा पर फायरिंग करते हुए हमला कर दिया, जिसमें में वो घायल हो गया.
उन्होंने कहा कि हमारे दो पुलिसकर्मी भी हमले में घायल हुए. हालांकि पुलिसकर्मी खतरे से बाहर हैं. इसके अलावा वहां पर एक महिला भी अपने पति और बच्चे के साथ थी, जो चोटिल हो गई. उसकी उंगली में चोट आई है. वहीं एक बच्ची भी चोटिल है, जिसका इलाज चल रहा है. हमलावर कौन सा हथियार लेकर आया था, सिक्योरिटी में कहां चूक हुई, ये सब जांच का विषय है. जब जांच होगी तो और चीजें सामने आएंगी.
कभी मेडिकल कंपाउंडर था संजीव जीवा

गैंगस्टर संजीव जीवा (Sanjeev Jeeva Murder) कभी कंपाउंडर हुआ करता था. संजीव का पूरा नाम संजीव माहेश्वरी था. वो मूलरूप से वेस्टर्न यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था. वहीं से क्राइम की शुरुआत की थी. जहां संजीव कंपाउंडर था, उसी दवाखाना के मालिक का अपहरण कर लिया था. उसके बाद फिरौती मांगी थी.
इसके बाद संजीव किडनैपिंग किंग बन गया और माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) का खास बन गया. साल 2021 में संजीव जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को लेटर लिखकर आशंका जताई थी कि उसके पति की जान को खतरा है. पायल 2017 में RLD के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ी थी, जिसमें वो हार गई थी.
कोलकाता के कारोबारी के बेटे का किया था किडनैप
90 के दशक में संजीव जीवा ने कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का अपहरण कर लिया था. इसके बाद वो अपनी गैंग को तेजी से बढ़ाने लगा था. इस अपहरण के बाद संजीव जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग से जुड़ा था. इसके बाद सतेंद्र बरनाला गैंग में शामिल हो गया था.
बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्वेदी का मर्डर कर बना कुख्यात
संजीव जीवा का नाम उस समय सबसे ज्यादा यूपी में चर्चा में आया था, जब उसने एक इशारे पर बीजेपी के बड़े नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या कर दी थी. इस घटना के बाद संजीव जीवा की गिरफ्तारी हुई. उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. संजीव जीवा मुन्ना बजरंगी और फिर मुख्तार अंसारी के संपर्क में आया था.
मुज्जफरनगर का होने और आधुनिक हथियारों का शौकीन संजीव जीवा ने हथियारों की सप्लाई भी शुरू कर दी थी. इसी की बदौलत उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ था. मुख्तार को ऐसे हथियारों का शौक था. फिर दोनों में दोस्ती हो गई थी.
सब इंस्पेक्टर की तहरीर पर हमलावर के खिलाफ केस दर्ज
संजीव जीवा की पुलिस अभिरक्षा में हत्या के मामले में सब इंस्पेक्टर की तहरीर पर fir दर्ज की गई है. सब इंस्पेक्टर उदय प्रताप सिंह की तरफ से आरोपी विजय यादव के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है. लखनऊ के वजीरगंज थाने में हत्या, हत्या का प्रयास, 7 CLA, लोक सेवा को चोट पहुंचाना समेत ipc की धाराओं में केस दर्ज हुआ है.
घटनास्थल पर जांच करने पहुंची एसआईटी टीम
संजीव जीवा हत्याकांड मामले में देर रात एसआईटी टीम जांच करने पहुंची थी, जिसमें एडीजी प्रवीण कुमार सहित अन्य अफसर शामिल थे. टीम ने तकरीबन 1 घंटे तक घटनास्थल का मुआयना किया और कई पहलुओं पर रिपोर्ट बनाई.
रात में ही कराया पोस्टमार्टम और परिजनों को सौंप दी बॉडी
संजीव जीवा की हत्या के बाद रात में ही पोस्टमार्टम कराया गया. इसके बाद परिजनों को शव सौंप दिया गया. रात में परिजन बॉडी लेकर पैतृक निवास शामली चले गए. पोस्टमार्टम में खुलासा हुआ कि संजीव जीवा को 6 गोलियां मारी गई थीं. चार सीने में लगी हैं और दो गोली सीने से नीचे लगी हैं. आरोपी ने प्रोफेशनल शूटर की तरह वारदात को अंजाम दिया. संजीव जीवा को मैग्नम अल्फा रिवॉल्वर से गोली मारी गई, जो बेहद खतरनाक मानी जाती है.