कौशांबी जिले के सिराथू तहसील के भैंसहापर गांव में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. गांव की कक्षा 9 की छात्रा रिया मौर्य का कहना है कि बीते 42 दिनों में उसे 10 बार सांप ने डसा है. बार-बार सांप डसने की घटनाओं से परिवार और गांव के लोग दहशत में हैं.
बार-बार डसने का दावा
रिया को पहली बार 22 जुलाई 2025 को खेत जाते समय सांप ने डसा था. इसके बाद 13 अगस्त को फिर वही घटना हुई. वहीं 27 अगस्त से 30 अगस्त तक लगातार चार बार सांप ने डसा. इसके बाद परिजन उसे जिला अस्पताल ले गए. इलाज के बाद जैसे ही वह 3 सितंबर की सुबह घर लौटी, रिया का कहना है कि उसे फिर सांप ने डस लिया.
परिजनों का कहना है कि कभी नहाते समय, तो कभी घरेलू कामकाज करते समय सांप डस लेता है. बार-बार ऐसी घटनाओं से पूरा परिवार झाड़-फूंक और देसी इलाज कराने में जुटा हुआ है.
डॉक्टरों ने दी अलग राय
मामले पर कौशांबी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. हरि ओम कुमार सिंह ने बताया कि मेडिकल साइंस में यह संभव ही नहीं है कि एक ही व्यक्ति को इतनी बार सांप डसे. उनका कहना है कि यह मामला सांप के डसने का नहीं, बल्कि मानसिक समस्या का हो सकता है.
डॉ. सिंह ने कहा, “ऐसे मामलों में कई बार मरीज को अटेंशन सीकिंग बिहेवियर की समस्या होती है. परिवार या समाज में कद्र न मिलने पर व्यक्ति ऐसे भ्रम का शिकार हो जाता है. इसे साइकोथैरेपी की जरूरत है. मानसिक रोग विशेषज्ञ द्वारा इलाज मिलने पर मरीज सामान्य हो सकता है.”
‘फोबिया’ हो सकता है कारण
डॉक्टरों का कहना है कि इस स्थिति को रेप्टाइल फोबिया कहा जाता है. यह एक तरह का डर होता है, जिसमें व्यक्ति को बार-बार सांप दिखने का भ्रम होता है. कई बार रस्सी को भी लोग सांप समझ लेते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि रिया के मामले में भी यही स्थिति हो सकती है.
रेप्टिकल फोबिया क्या है?
यह एक मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सांप, छिपकली, मगरमच्छ, कछुआ या किसी भी रेंगने वाले जीव से अत्यधिक और तर्कहीन डर लगता है. कई बार ऐसा डर इतना ज्यादा हो जाता है कि व्यक्ति को इन जीवों के बारे में सुनकर, तस्वीर देखकर या कल्पना मात्र से भी घबराहट होने लगती है. इसे मानसिक रोगों की भाषा में हर्पेटोफोबिया भी कहा जाता है.
गांव में दहशत का माहौल
इस अनोखी घटना से भैंसहापर गांव के लोग सहमे हुए हैं. परिजन मानते हैं कि बार-बार सांप डसने की घटनाएं सच हैं, वहीं डॉक्टर इसे मानसिक भ्रम बता रहे हैं. फिलहाल रिया का मेडिकल चेकअप कराने और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श दिलाने की सलाह दी गई है.