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'ट्रेन में सवार हैं आतंकवादी', सीट को लेकर हुआ झगड़ा तो शख्स ने कर दिया फोन और फिर...

हीराकुंड एक्सप्रेस में सीट को लेकर हुए झगड़े ने अचानक 'टेरर अलर्ट' का रूप ले लिया, जिसके बाद RPF ने ट्रेन को रोककर पूरी जांच की. एक यात्री ने तीन मुस्लिम यात्रियों को झूठा आतंकवादी बताया, जिससे हड़कंप मच गया. जांच में सच्चाई सामने आई कि मामला सिर्फ सीट विवाद का था. पुलिस चार लोगों से पूछताछ कर रही है, जबकि ट्रेन जांच के बाद फिर रवाना कर दी गई.

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दतिया और झांसी में दो बार हुई ट्रेन की जांच (Photo: Representational )
दतिया और झांसी में दो बार हुई ट्रेन की जांच (Photo: Representational )

ट्रेन में सीट को लेकर शुरू हुआ मामूली झगड़ा अचानक 'टेरर अलर्ट' में बदल गया.  कुछ ही मिनटों में पूरे रेलवे स्टेशन पर अधिकारी और सुरक्षाकर्मी हाई अलर्ट हो गए लेकिन जांच में जो सामने आया, उसने पुलिस को भी हैरान कर दिया.

सीट विवाद बना 'टेरर अलर्ट'

दरअसल झांसी रेलवे स्टेशन पर रविवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब अमृतसर–विशाखापट्टनम हीराकुंड एक्सप्रेस (20808) में संदिग्ध आतंकियों के होने की सूचना मिली. रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) और जीआरपी ने पूरे स्टेशन को घेर लिया, ट्रेन रोकी गई और कई डिब्बों की विशेष जांच की गई लेकिन बाद में यह 'टेरर अलर्ट' सीट विवाद की एक झूठी कहानी निकली.

RPF ने रोकी ट्रेन

न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे एसपी विपुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि RPF कंट्रोल रूम को सूचना मिली कि ट्रेन में तीन संदिग्ध आतंकवादी यात्रा कर रहे हैं. अलर्ट मिलते ही RPF और स्थानीय पुलिस ने ट्रेन को मध्य प्रदेश के दतिया स्टेशन पर रोक लिया और आरोप लगाने वाले यात्री सहित चार लोगों को उतार लिया.

बाद में जांच में खुलासा हुआ कि यह विवाद सिर्फ सीट को लेकर हुए झगड़े से शुरू हुआ था. बहस के दौरान एक यात्री ने तीन अन्य यात्रियों जो मुस्लिम समुदाय से थे उन पर आतंकी होने का झूठा आरोप लगा दिया. मामले की गंभीरता को समझते हुए RPF ने तुरंत अलर्ट जारी कर दिया.

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चार यात्रियों से पूछताछ

पुलिस ने जिन चार यात्रियों को पूछताछ के लिए पकड़ा उनकी पहचान रमेश पासवान, एच बिलाल जिलानी, इशान खान, फैजान के रूप में हुई है. जांच में यह भी पाया गया कि दतिया में ट्रेन के जनरल कोच की स्निफर डॉग से जांच करवाई गई, लेकिन कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली. झांसी में दूसरी बार पूरी ट्रेन की जांच की गई और लगभग 30 मिनट बाद उसे आगे भेजा गया.

अधिकारियों का कहना है कि भले ही सूचना गलत साबित हुई, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से हर प्रोटोकॉल का पालन जरूरी था. उन्होंने कहा कि ट्रेन यात्रियों में डर फैलाने वाले ऐसे झूठे आरोप गंभीर अपराध हैं और आगे इसकी जांच की जा रही है कि किसने और क्यों यह गलत दावा किया.

 

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