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फर्जी सॉफ्टवेयर से 200 टोल पर झोल, समझें- क्या है 100 करोड़ से ज्यादा का स्कैम

उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर कार्रवाई करके तीन लोगों की गिरफ्तारी की है. ये तीन लोग वो हैं, जिन पर शक है कि देश में कई राज्यों में 200 से ज्यादा टोल प्लाजा पर एक सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल कराके वो पैसा सरकारी खजाने तक नहीं पहुंचने दिया.

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यूपी एसटीएफ ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर कार्रवाई कर तीन लोगों को अरेस्ट किया है
यूपी एसटीएफ ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर कार्रवाई कर तीन लोगों को अरेस्ट किया है

क्या देश के कई राज्यों में लंबे वक्त से टोल प्लाजा पर सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ करके सैकड़ों करोड़ का नुकसान सरकारी खजाने को पहुंचाया गया? यानी करोड़ों रुपया जो टोल प्लाजा पर लिए जाने के बाद सरकार के पास पहुंचना था, उसे कुछ टोल प्लाजा वाले ही फर्जीवाड़ा करके खा गए हैं. 

दरअसल, उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने मिर्जापुर के अतरैला टोल प्लाजा पर कार्रवाई करके तीन लोगों की गिरफ्तारी की है. ये तीन लोग वो हैं, जिन पर शक है कि देश में कई राज्यों में 200 से ज्यादा टोल प्लाजा पर एक सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल कराके वो पैसा सरकारी खजाने तक नहीं पहुंचने दिया. 

एक अनुमान है कि ये 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला हो सकता है. जिसमें जनता को कोई सीधा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन जनता का घाटा जरूर हुआ है, कैसे ये बताएं उससे पहले समझिए कैसे देश के टोल प्लाजा पर फर्जी वसूली का ये घपला पक़ड़ा गया है.

क्या है बिना फास्टटैग वाली गाड़ी से दोगुना टोल लेने का नियम?

टोल प्लाजा पर अगर कोई गाड़ी बिना फास्टटैग आती है, तो उससे दोगुना टोल लेने का नियम है. नियम है कि बिना फास्टटैग वाली गाड़ी से जो दोगुना टोल लिया जाता है, उसमें 50 फीसदी पैसा NHAI यानी नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजा जाता है, लेकिन दावा है कि आरोपियों ने देश के 200 टोल प्लाजा पर NHAI के कंप्यूटर में अपना सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर रखा था. जिसमें बिना फास्ट टैग वाली गाड़ी से दोगुना टोल का पैसा कैश तो टोल प्लाजा पर ले लिया जाता था और फिर उसे NHAI को देने की जगह पूरा पैसा टोल प्लाजा वाले आरोपियों के साथ मिलीभगत करके अपने खाते में रख लेते. बाकी अपने बनाए सॉफ्वेयर की मदद से जिस गाड़ी से टोल लिया है, उसे एक्जेम्प्टेड श्रेणी यानी टोल फीस से मुक्त कैटेगिरी में जाने दिया जाता. यहां तक कि दोगुना टोल का पैसा लेकर गाड़ी वाले को जो पर्ची थमाई जाती, वो भी एकदम NHAI की रसीद की तरह असली दिखाई जाती. 

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5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती

बिना फास्टैग वाले वाहनों से लिए गए टोल टैक्स की औसतन 5% धनराशि NHAI के असली सॉफ्टवेयर से वसूली जाती है, ताकि किसी को शक न हो. यानी 5 फीसदी पैसा असली सॉफ्टवेयर से वसूला जाता, बाकी 95 फीसदी का भ्रष्टाचार करके टोल प्लाजा मालिक पूरा पैसा खुद रख लेते.

NHAI ने जारी किए सख्त दिशा-निर्देश

उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स का हाथों टोल प्लाज़ा में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश करने के बाद अब बड़ी खबर आई है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI ने सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं. NHAI मुख्यालय ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों और परियोजना निदेशकों को निर्देश दिया है. टोल प्लाज़ा ऑपरेटरों को सख्त निगरानी, नियमित ऑडिट, और FASTag पर सही तरीके से सारे काम हो ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा टोल प्लाज़ा पर सभी लेनदेन का सही रिकॉर्ड रखने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करने के निर्देश दिए गए हैं.

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