मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को बीते सात सालों में जो राजनीतिक समझ दी थी, वो उस दायरे से बाहर आकर राजनीति कर रहे थे. जानकारी के मुताबिक, मायावती साल 2017 से ही आकाश आनंद की राजनीति में नींव तैयार कर रही थीं, जिसमें आकाश पश्चिमी यूपी के सहारनपुर में मायावती के साथ पहली बार देखे गए थे और फिर वहीं से उनकी राजनीति का ज्ञान शुरू हुआ था.
पहली बार आकाश का परिचय कराने के बाद मायावती उन्हें 2017 के यूपी विधानसभा और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में सामने लेकर नहीं आईं. इस दौरान जब उनसे पूछा गया तो वह कहती रहीं कि अभी वह परिपक्व नहीं हैं. अभी राजनीति के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि 2018 में उन्हें नेशनल कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी और देश में यूपी के अलावा कई प्रदेशों का नेतृत्व भी दिया. 2019 में चुनाव आयोग ने मायावती पर दो दिन का प्रतिबंध लगाया था, तब पहली बार आगरा में आकाश आनंद ने रैली की थी. उसके बाद पिछले साल एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना विधानसभा चुनाव का जिम्मा आकाश को सौंपा गया था और इस बार लोकसभा चुनाव में उत्तराधिकारी के रूप में उन्हें पूरी तरह से फ्रंटलाइन में लाया गया.
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आपत्तिनजक टिप्पणी बनी आकाश को दूर करने की वजह!
बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती आपत्तिजनक टिप्पणी करने से काफी बचती रही हैं. वह हमेशा अपने विरोधियों पर हमले करती हैं, लेकिन सधी हुई भाषा में. उनकी पार्टी में मायावती से पूछकर ही किसी भी विषय पर टिप्पणी की जाती थी. वह हमेशा लिखा हुआ भाषण पढ़ती हैं और अपने नेताओं को भी इसकी नसीहत देती हैं. वह नहीं चाहतीं कि आपत्तिजनक टिप्पणी के कारण उनकी पार्टी या प्रत्याशी कोई भी परेशानी में पड़े. आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर मायावती ने 2107 में दो राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश सिंह और वीर सिंह के खिलाफ कार्रवाई की थी. इससे पहले वह अपने भाई आनंद पर भी कार्रवाई कर चुकी हैं और उनको पार्टी से बाहर भी कर दिया गया था, लेकिन उसके बाद फिर से पार्टी में ले लिया गया.
मायावती की पार्टी में कोई भी कॉमेंट या आपत्तिजनक टिप्पणी या किसी पर व्यक्तिगत हमला बिना उनके पूछे करना प्रतिबंधित माना जाता है और आकाश आनंद बिना उनकी जानकारी में कई भाषण में व्यक्तिगत हमले कर दिया करते थे, जिसकी जानकारी खुद मायावती को भी नहीं रहती थी.
मायावती की सहमति के बिना बयान देना मना है
बहुजन समाज पार्टी में बिना मायावती की सहमति के कोई भी बयानबाजी करना मना है. यहां तक बीएसपी के प्रवक्ता भी बहुत ही सीमित हैं और उनको कुछ बोलना होता है तो वो मायावती से बातचीत करके ही बोलते हैं. बहुजन समाज पार्टी में टीवी डिबेट में प्रवक्ताओं को जाना भी मना है. इसीलिए कम की प्रवक्ता टीवी डिबेट में बहुजन समाज पार्टी का पक्ष रखते हुए पाए जाते हैं. मायावती ने प्रवक्ता के तौर पर ज्यादा प्राथमिकता नहीं दी. यहां तक कि मायावती जब मीटिंग लेती हैं तो उसके बाद मीटिंग से निकलकर कोई कार्यकर्ता मीडिया में बयानबाजी नहीं कर सकता है. ऐसी स्थिति में मायावती ने लगातार कई लोगों पर कार्रवाई की है.