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अखिलेश के लिए लगातार ढाल बन रहे बृजभूषण, बीजेपी के नैरेटिव की कैसे निकाल रहे हवा?

उत्तर प्रदेश की सियासत में सपा और बीजेपी के बीच चल रहे सियासी शह-मात के खेल में बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सियासी ढाल बनकर खड़े नजर आ रहे हैं. इसके चलते सपा के खिलाफ बीजेपी के द्वारा बनाए जा रहे नैरेटिव की हवा निकल रही है.

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अखिलेश यादव, बृजभूषण शरण सिंह और सीएम योगी (Photo-ITG)
अखिलेश यादव, बृजभूषण शरण सिंह और सीएम योगी (Photo-ITG)

उत्तर प्रदेश की सियासत बीजेपी और सपा के इर्द-गिर्द सिमट गई है. 2027 की चुनावी लड़ाई भी इन्हीं दोनों दलों के बीच सिमटती हुई नजर आ रही है. बीजेपी सत्ता की हैट्रिक लगाकर इतिहास रचने की कवायद में अपना ताना-बाना बुन रही है, तो सपा वापसी की जद्दोजहद में जुट गई है.

बीजेपी और सपा के बीच जारी शह-मात के सियासी खेल में पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह लगातार सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए ढाल बनकर खड़े नजर आ रहे हैं. अखिलेश यादव के खिलाफ बीजेपी जिस मुद्दे पर घेरने का ताना-बाना बुनती है, उसी सियासी गुब्बारे में बृजभूषण सिंह सुई चुभाने में जरा भी देर नहीं लगा रहे. क्या 2027 के लिए बृजभूषण अलग सियासी राह देख रहे हैं या फिर यह बीजेपी को पूर्वांचल में राइट टाइम करने की कवायद है?

पहले बीजेपी ने कथावाचक के मुद्दे पर अखिलेश यादव को हिंदू विरोधी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की और अब पूजा पाल को सपा से बाहर किए जाने को मुद्दा बनाने में जुटी है. इन दोनों मुद्दों पर बृजभूषण सिंह की राय बीजेपी से बिल्कुल जुदा नजर आ रही है. बृजभूषण बीजेपी के सुर में सुर मिलाने के बजाय अखिलेश के पक्ष में बैटिंग करते नजर आ रहे हैं.

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पूजा पाल के बहाने बीजेपी के निशाने पर सपा

उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले की चायल सीट से विधायक पूजा पाल का मुद्दा गरमाया हुआ है. सपा ने विधायक पूजा पाल को सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करने के चलते उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया है. इस एक्शन को सपा नेता सही बता रहे हैं, तो बीजेपी ने अखिलेश को घेरना शुरू कर दिया है. बीजेपी इस प्रकरण को महिला-सुरक्षा और 'न्याय हुआ' के रूप में पेश कर रही है. पूजा पाल के रूप में बीजेपी को एक ब्रांड एंबेसडर और सपा के पीडीए (PDA) का काउंटर प्लान मिल गया है.

राजू पाल की हत्या के बाद सहानुभूति की जो लहर पूजा पाल के साथ बसपा से सपा की ओर शिफ्ट हुई थी, अब उसका सियासी लाभ बीजेपी भी उठाने की तैयारी में है. बीजेपी, सपा को ओबीसी विरोधी बताने में जुटी है. बीजेपी की रणनीति पूजा पाल के बहाने अखिलेश के सबसे बड़े विनिंग फॉर्मूले पीडीए की हवा निकालने की है. यूपी में पाल-बघेल जाति की पिछड़ों में अच्छी-खासी संख्या है, जो सपा के पीडीए की सियासी रीढ़ मानी जाती है. इस तरह बीजेपी अखिलेश यादव को पाल समाज का विरोधी बताने की कवायद करने में जुटी है.

अखिलेश के लिए बृजभूषण सिंह बने सियासी ढाल

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पूजा पाल मामले को लेकर बीजेपी अखिलेश यादव के पीडीए की हवा निकालने का ताना-बाना बुन रही थी, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह ने बीजेपी की ही हवा निकाल दी. उन्होंने जिस तरीके से पूजा पाल के मामले में अखिलेश यादव के साथ खड़े होने के साथ-साथ पूजा पाल को एक तरह से सपा का गद्दार बता दिया है. बृजभूषण ने पूजा पाल पर सपा द्वारा की गई इस कार्रवाई को सही ठहराया है और साथ ही वे पूजा के इस कदम को पार्टी लाइन से इतर जाने और अनुशासनहीनता की श्रेणी में बता रहे हैं.

बृजभूषण ने अखिलेश यादव के उस एक्शन को बिल्कुल जायज ठहराया, जिसमें उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया. यह दिखाता है कि बृजभूषण शरण सिंह ने समाजवादी पार्टी की ढाल बनने की ठान ली है. यही नहीं, उन्होंने पीडीए के सवाल पर अखिलेश यादव को न सिर्फ क्लीन चिट दी बल्कि यह भी कह दिया कि पीडीए का मतलब जातिवादी होना नहीं है. बृजभूषण ने कहा कि अखिलेश यादव जब अपने प्रत्याशियों की सूची जारी करेंगे तो उसमें ठाकुर, ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ सबके लिए जगह होगी.

बृजभूषण ने जब अखिलेश को बताया था 'हिंदू परस्त'

मैनपुरी में कथावाचकों की पिटाई का मुद्दा उठा, तो अखिलेश यादव बीजेपी के निशाने पर आ गए. अखिलेश ने बागेश्वर शास्त्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिसके बाद बीजेपी उन्हें 'सनातन विरोधी' बताने में जुट गई थी. बीजेपी के नेता इसी बहाने उन्हें मुस्लिम समर्थक प्रचारित करने में लगे थे. ऐसे में बीजेपी को सियासी नैरेटिव की हवा बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण ने अखिलेश को 'सच्चा हिंदू' बताकर निकाल दी थी.

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बृजभूषण शरण सिंह ने अपने बयान में न केवल अखिलेश यादव को सीधे तौर पर भगवान कृष्ण का वंशज बताया था, बल्कि उनके द्वारा बनवाए गए एक मंदिर की भी खुलकर प्रशंसा की थी. बृजभूषण के बयान को एक अलग नजरिए से देखा गया और अखिलेश यादव का बचाव करते हुए उसे 'सियासी मजबूरी' करार दिया गया था. बृजभूषण ने कहा था कि अखिलेश की कोई राजनैतिक मजबूरी रही होगी, जो उन्होंने कथावाचकों पर बयान दे दिया.

बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया था, जब देश में धार्मिक और सनातन के मुद्दे, विशेष रूप से मंदिर निर्माण और उससे जुड़ी राजनीति, चर्चा के केंद्र में थे. ऐसे में बृजभूषण सिंह की जुबानी से सपा प्रमुख के लिए ऐसी धार्मिक और सकारात्मक टिप्पणी बीजेपी के द्वारा बनाए जा रहे मुद्दे की हवा ही निकाल दी. इससे पहले भी अखिलेश यादव की तारीफ में बृजभूषण शरण सिंह कसीदे गढ़ चुके थे.

बृजभूषण क्यों अखिलेश के मुरीद हैं?

बृजभूषण सिंह भले ही बीजेपी में हों, लेकिन उनका नाता सपा से भी रहा है. 2009 में बीजेपी से रिश्ते बृजभूषण के खराब हो गए थे, तो सपा ने ही उन्हें टिकट देकर सांसद भेजा था. इस तरह मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के साथ उनकी सियासी केमिस्ट्री किसी से छिपी नहीं है.

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अभी हाल ही में उन्होंने कहा था कि जब अखिलेश यादव यूपी के सीएम थे, तब देवीपाटन मंडल को उन्होंने 500 करोड़ की योजनाओं का तोहफा दिया था, जबकि वे सपा छोड़ने की बात कह चुके थे. ऐसे में वे कैसे भूल सकते हैं, बिना कहे, बिना मांगे अखिलेश यादव उनके इलाके के लिए सब कुछ देते रहे हैं. इसलिए वे अखिलेश का विरोध नहीं कर सकते. इसके अलावा, बृजभूषण पर पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था और विपक्ष ने मोर्चा खोल रखा था, तब अखिलेश यादव उनके पक्ष में मजबूती से खड़े रहे हैं.

योगी और बृजभूषण के सियासी रिश्ते

पिछले दिनों बृजभूषण शरण सिंह यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने पांच कालिदास मार्ग गए थे. इस मुलाकात को दोनों बड़े नेताओं के बीच संबंध सुधारने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा था. पांच कालिदास मार्ग यानी मुख्यमंत्री आवास से निकलकर बृजभूषण शरण सिंह ने मुलाकात में हुई बातों की पोल तो खोल दी, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुलाकात को लेकर कुछ नहीं कहा और यहाँ तक कि तस्वीरें भी जारी नहीं कीं.

बृजभूषण सिंह से मुलाकात को लेकर आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री ने लगभग नकार ही दिया. इसके कुछ दिन बाद प्रतीक भूषण सिंह केशव प्रसाद मौर्य से मिले आए कई तरह के सियासी कयास लगने लगे हैं, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह लगातार अखिलेश यादव के लिए सियासी ढाल बनकर खड़े हैं. बृजभूषण शरण सिंह अखिलेश यादव के प्रति किसी भी तरह की व्यक्तिगत दुर्भावना नहीं रखते, बल्कि उनके बयानों को भी एक व्यापक राजनैतिक संदर्भ में देखा जा रहा है.

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बृजभूषण की राजनीति बीजेपी के उन नेताओं से बिल्कुल अलग है, जो अखिलेश के बयान की कड़ी निंदा कर रहे थे. कैसरगंज लोकसभा सीट से कई बार सांसद रह चुके बृजभूषण शरण सिंह का अपना एक मजबूत जनाधार है, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और आसपास के जिलों में, जहाँ उनकी क्षत्रिय बिरादरी और समर्थक वर्ग का खासा प्रभाव है. बृजभूषण का 'अखिलेश प्रेम' कहीं बीजेपी की सियासी उम्मीदों पर पानी न फेर दे?

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