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'भूत' ने अपने दुश्मनों पर करा दी FIR: पुलिस को बयान भी दर्ज करवा गया, हाईकोर्ट ने SP से पूछा- मर चुका शख्स कैसे दर्ज करवा रहा केस?

UP News: अदालत में जानकारी दी गई कि साल 2014 में पुरुषोत्तम और अन्य के खिलाफ शब्दप्रकाश नाम के व्यक्ति ने धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई थी. जबकि शब्दप्रकाश की तो साल 2011 में ही मौत हो चुकी है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Source: META AI)
प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Source: META AI)

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सामने आए एक अजीबोगरीब मामले को सुनकर हर कोई चकरा रहा है. ये सुनने में भी अजीब लगेगा कि कोई भूत भी FIR करा सकता है. यहां मृतक व्यक्ति के नाम से साल 2014 में एक जमीन के विवाद में एक ही परिवार के पांच लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया. वहीं, जांच अधिकारी ने भी बयान दर्ज कर लिया और चार्जशीट भी लगा दी. फिर चलता रहा केस. ये मामला जब हाईकोर्ट आया तो कोर्ट से सभी पहलू की जांच कर कुशीनगर एसपी से पूछा- कोई मरा हुआ व्यक्ति या कोई भूत भी FIR करा कर निर्दोषों को फंसा सकता है? 

दरअसल, मामला कुशीनगर का है. यहां साल 2014 में एक जमीन के मामले में मृत व्यक्ति ने एक परिवार के पांच लोगों पर एफआईआर कराई और इस मामले में विवेचना कर रहे विवेचक ने बयान भी दर्ज कर लिया और इसकी चार्जशीट भी दाखिल कर दी. जब ममाला ट्रायल कोर्ट में आया तो कोर्ट ने इसका संज्ञान भी ले लिया. जब इसका मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट आया तो कोर्ट ने इस मामले को सुनकर रद्द कर दिया और एसपी को पता लगाने को कहा कि कोई भूत कैसे निर्दोषों को फंसा रहा है?

2011 में हो चुकी थी शब्दप्रकाश की मौत

गौरतलब है कि कुशीनगर के हाटा थाना इलाके के रहने वाले आरोपी पुरुषोत्तम सिंह समेत उनके दो भाई व दो बेटों ने पुलिस की तरफ से दाखिल आरोप पत्र को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. जस्टिस सौरभ श्याम समसेरी की अदालत में जानकारी दी गई कि साल 2014 में पुरुषोत्तम और अन्य के खिलाफ शब्दप्रकाश नाम के व्यक्ति ने धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज कराई. जबकि शब्दप्रकाश की मौत 2011 में हो चुकी है.

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पुलिस अधिकारी ने बयान तक दर्ज कर लिए 

याची के अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने दलील दी है कि मृतक शब्द प्रकाश से आरोपियों का पुराना जमीन विवाद चला आ रहा है और वादी शब्दप्रकाश के मरने के बावजूद भी मामले के विवेचक ने उसका बयान दर्ज करके सबके खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर दिया है. अधिवक्ता ने मृतक शब्दप्रकाश की पत्नी ममता द्वारा दिए गए मृत्यु प्रमाण पत्र को भी शामिल किया. 

'भूत' ने हलफनामे पर अपने दस्तखत भी किए 

वहीं, कोर्ट भी इस मामले को सुनकर हैरान हो गया और सवाल किया कि जब वादी शब्दप्रकाश की मौत 2011 में हो गई थी तो 2014 में क्या भूत ने वह FIR कराई है और क्या विवेचन ने भूत का बयान दर्ज करके आरोप पत्र दाखिल किया है और 2023 में भूत ने ही याचिका का विरोध करने के लिए हाईकोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे पर अपने दस्तखत भी कर दिए हैं?

एसपी कुशीनगर को जांच के आदेश 

पूरे मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरोपी पुरुषोत्तम सिंह और उसके परिजनों के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द कर दिया है और एसपी कुशीनगर को इस मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं. कहा है कि पता करें कि कैसे एक भूत बेगुनाहों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर परेशान कर रहा है? साथ ही एसपी से यह भी जानकारी देने के लिए कहा है कि विवेचक भूत का बयान कैसे दर्ज कर चुके हैं?

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वकील को भी सतर्क रहने की सलाह 

इस मामले में कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को इस आदेश की प्रति भेजते हुए मृतक वादी शब्दप्रकाश के नाम से वकालतनामा दाखिल करने वाले अधिवक्ता को भी भविष्य में सतर्क रहने की सलाह देने को कहा है. 

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