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जब 'मुर्गा' बन गया चैंपियन

दंतेवाड़ा जिले के गीदम में हुए मुर्गा मुकाबले में समलूर का 'मुर्गा' चैंपियन बना. यह छत्तीसगढ़ का संस्कृति और पारंपरिक खेल है.

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Cock Fight
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छत्तीसगढ़ की संस्कृति और पारंपरिक खेल अपने आप में अनोखे हैं. बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा जिले के गीदम में हुए मुर्गा मुकाबले का दर्शकों ने भरपूर आनंद उठाया. इस मुकाबले में समलूर का 'मुर्गा' चैंपियन बना.

ये मुकाबला वास्तविक मुर्गो के बीच न होकर मुर्गा बने दो व्यक्तियों के बीच होता है. इसमें एक व्यक्ति मुर्गा बनता है और उसका सहयोगी उसे अपने कंधों पर उठाए रहता है. वहीं प्रतिद्वंदी भी इसी तरह मुकाबले के लिए तैयार होता है. हू-ब-हू मुर्गो की तर्ज पर इनके बीच मुकाबला होता है. इसमें जो धराशायी हुआ, वह हारा.

गीदम में हुए मुकाबले में समलूर का मुर्गा चैंपियन बना. उसके चैंपियन बनते ही गीदम स्थित बड़े पनेड़ा स्टेडियम में रोमन कोलाजियम जैसा दृश्य ग्रामीण खेल प्रतियोगिता के दौरान दर्शकों ने देखा.

समलूर और बड़े पनेड़ा के मुर्गो के बीच हुए मुकाबले ने दर्शकों के बीच बेहद रोचकता पैदा की. अंत में समलूर का मुर्गा सभी दांव-पेच आजमाते हुए जीतने में सफल रहा. खुशी का आलम यह था कि मुर्गे के मालिक को समलूर वासियों ने हाथोंहाथ उठा लिया और मैदान का वैसा ही चक्कर लगाने लगे, जैसे वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने सचिन तेंदुलकर को उठाकर पूरे ग्राउंड का चक्कर लगाया था.

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ग्रामीण खेलों में सबसे ज्यादा उत्साह मुर्गा लड़ाई का देखने में आया. जब समलूर और बड़े पनेड़ा के मुर्गे का मुकाबला हो रहा था तो सर्किल में पैर रखने की जगह नहीं थी. बाद में आए दर्शक के लिए इस भीड़ को चीर कर अंदर घुस पाना किसी तरह से भी संभव नहीं था.

लोगों का उत्साह शानदार एंकरिंग की वजह से भी बढ़ गया. एंकर मुर्गे के हर दांव-पेच के बारे में विस्तार से और अपनी सुंदर भाषा में लोगों को बताते रहे. जैसे-जैसे मुकाबला बढ़ता गया, लोगों की तालियां और उत्साह बढ़ने लगा.

इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य चैतराम अटामी, गीदम जनपद पंचायत अध्यक्ष सुदराम भास्कर, डीएसपी विवेक शुक्ला एवं अन्य जनप्रतिनिधि तथा अधिकारी उपस्थित थे.

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