दरभंगा जिले के सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल में बिहार का पहला ज्योतिष चिकित्सा केंद्र खोला गया है जहां मरीजों की बीमारी की पहचान पैथोलॉजी रिपोर्ट और एक्स-रे देखकर नहीं बल्कि उसकी जन्मकुंडली, हस्तरेखा और राशिफल देखकर विशेषज्ञ करते हैं.
मरीज के ग्रह-नक्षत्र को बारीकी से देख उसका मिलान करते हैं, फिर बीमारी की पहचान की जाती है. इसके बाद मरीज को दवा के बदले मन्त्रोजाप के साथ उपासना और आराधना के अलावा ग्रह-नक्षत्र के रत्न धारण करा मरीज का उपचार शुरू किया जाता है.
कुंडली के अनुसार इलाज
दरभंगा आयुर्वेदिक कॉलेज में इसकी शुरुआत 28 नवम्बर से की गई है. मरीज भी अपना इलाज कराने अब यहां पहुंच रहे हैं. जिनके पास जन्मकुंडली नहीं है, ऐसे मरीज़ से ज्योतिषाचार्य मरीज की जन्मतिथि और जन्मस्थल की जानकारी लेकर मरीज की खुद पहले कुंडली तैयार करते हैं, फिर ग्रह-नक्षत्र के गुण-दोष के अनुसार मरीज के बीमारी की पहचान कर उसका इलाज शुरू कर देते हैं.
हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी मरीज़ों का इलाज एक ही विधि से हो, जरूरत होने पर मरीज़ को कुछ आयुर्वेदिक दवा भी दी जाती है.
जानकार बताते हैं कि पहले जमाने के वैद्य जो मरीज का इलाज करते थे, वे भी ज्योतिष के जानकार होते थे. इसलिए आयुर्वेद को ज्योतिष चिकित्सा से अलग नहीं किया जा सकता है. यही कारण है कि यहां ज्योतिष चिकित्सा के अलावा योग और आयुर्वेद के आवश्यक घटक 'दिनचर्य', 'ऋतुचार्य' और 'पंचकर्म' के सिद्धांत के अनुसार मरीजों का उपचार किया जाता है. इसके अलावा दूरदराज़ के लोगों के लिए अब फोन पर भी चिकित्सीय परामर्श के साथ मरीज का उपचार शुरू किया गया है.
दरभंगा के राजकीय महारानी रामेश्वरी विज्ञान संस्था में कई तरह के जड़ी-बूटी वाले पेड़-पौधे भी लगाए गए हैं जिससे आम लोगों को जरूरत के हिसाब से इन प्राकृतिक चीज़ों का उपयोग कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके.
ज्योतिष चिकित्सा के माध्यम से मरीज का इलाज
राजकीय कामेश्वर सिंह आयुर्वेद चिकित्सालय दरभंगा के सरकारी आयुर्वेदिक अस्पताल अधीक्षक सह कालेज के प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि प्राचीन काल में यह विज्ञान काफी लोकप्रिय था लेकिन बदलते समय के साथ यह गुमनाम हो गया और नए युग के लोग इससे दूर हो गए. लेकिन, अब यह फिर से उपयोग में आ रहा है और सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज दरभंगा देश का पहला अस्पताल है जहां ज्योतिष चिकित्सा के माध्यम से मरीज का इलाज होता है. हालांकि इसके अलावा आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा के अन्य विधि से भी यहां पहले से इलाज लोगों का हो रहा था.
यह कुछ ही दिनों में काफी लोकप्रिय भी हो रहा है कि देश की अलग-अलग जगहों से लोग फोन कर इलाज के लिए संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के आवश्यक घटक 'दिनचर्य', 'ऋतुचार्य' और 'पंचकर्म' के सिद्धांत सभी चिकित्सा ज्योतिष पर ही आधारित है. इसलिए ज्योतिष चिकित्सा को नकारा नहीं जा सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि मरीज़ को ठीक होने से मतलब है लेकिन डाक्टरों की अलग-अलग संस्था में मतभेद होने के कारण आयुर्वेद और ज्योतिष चिकित्सा हाशिये पर चला गया था जिसे अब पुनर्जीवित करने का प्रयास सरकार भी कर रही है जिसमें वे सब सहयोग भी कर रहे हैं.
रिसर्च सेंटर खोलने का भी प्रस्ताव सरकार को भेजा
डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी को मेडिकल ज्योतिष में पूर्ण पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजा जा चुका है. उम्मीद है कि इसे जल्द ही सम्मिलित किया जाएगा. साथ ही दरभंगा में एक रिसर्च सेंटर खोलने का भी प्रस्ताव सरकार को भेजा है.
वहीं, अपना इलाज करवाने पहुंची शोभा कुमारी ने बताया कि नेत्र दोष के कारण उनके सिर में हमेशा दिक्कत होती है. आंख के डॉक्टर से दिखवाया, चश्मा भी दिया लेकिन बीमारी दूर नहीं हुई. ऐसे में अब वो अपने इलाज के लिए आयुर्वेद अस्पताल आए जहां मेरी जन्म कुंडली बनाकर ज्योतिषचार्य ने देखा और उपचार में कोई दवा नहीं बल्कि उगते सूर्य को जल अर्पण करने के अलावा सूर्य की उपासना का मंत्र बताया गया है जो काफी अच्छा है. उम्मीद है कि जल्द ही वे अब ऐसा कर स्वस्थ हो जाएंगी.
बिना सुई-दवा के मरीज़ का इलाज मन्त्रोजाप से
ज्योतिष चिकित्सा के माध्यम से इलाज कर रहे डॉक्टर दिनेश कुमार ने बताया कि आयुर्वेद के इलाज में ज्योतिष चिकित्सा को अलग नहीं किया जा सकता है. पुराने जमाने में भी इलाज करने वाले वैद्य ज्योतिष विद्या के जानकार होते थे. यही चीज़ आज के जमाने में फिर से शुरू की गई है. जहां वे मरीज़ के जन्मकुंडली देख ग्रह-नक्षत्र के उतार-चढ़ाव के साथ गुण और दोष देखते हैं. हस्तरेखा देख मरीज़ के वर्तमान परिस्थिति को जाना जाता है. इसके अलावा राशिफल से उसके तेज़ को मापा जाता है फिर सभी के मिश्रण के बाद अंत में जरूरत के हिसाब से बिना सुई-दवा के मरीज़ का इलाज मन्त्रोजाप के साथ उपासना और अलग-अलग तरह ने रत्न धारण कर इलाज शुरू किया जाता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत होने पर ज्योतिष चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी दी जाती हैं.