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दस साल की उम्र से छात्र बना रहा है कागज की भव्य दुर्गा प्रत‍िमा, इस वजह से ल‍िया था संकल्प

म‍िट्टी और पीओपी की दुर्गा प्रत‍िमा से आप सभी वाक‍िफ होंगे लेक‍िन क्या कागज की भव्य दुर्गा प्रत‍िमा बनाकर भी नवरात्र में पूजा की जा सकती है. ऐसा अनोखा काम पश्चिम बंगाल में हुगली के एक 18 साल के छात्र ने क‍िया है जो 10 साल की उम्र से कागज की प्रत‍िमा कर गृहपूजा कर रहा है.

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कागज की भव्य दुर्गा प्रत‍िमा.
कागज की भव्य दुर्गा प्रत‍िमा.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कागज की भव्य दुर्गा प्रत‍िमा बनाकर घर में करते हैं पूजा
  • 10 साल की उम्र से बना रहा है कागज की दुर्गा प्रत‍िमा

कागज की नाव, जहाज और पतंग हम सबने देखी है और बनाई भी है. लेकिन अब कागज की मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा सामने आई है जो कि खुद में अद्भुत है. पश्च‍िम बंगाल के हुगली ज‍िले में रहने वाले 10 वर्ष के छात्र दीप्तरूप घोष ने यह कारनामा किया, इनकी उम्र अब 18 साल है.

8 वर्ष पहले उनके घर में मां दुर्गा के पूजा को गृह पूजा के रूप में आयोजित करने वाली बुआ का आकस्मिक निधन हो गया. पिता भी लगातार अस्वस्थ रहने लगे. तब घोष परिवार को जैसे लगा कि वर्षों से चली आ रही उनके वंश की परंपरा के अनुसार मां दुर्गा की गृहपूजा अब नहीं हो पाएगी. तब 10 वर्ष का मासूम आगे आया और उसने मां दुर्गा को गृहदेवी के रूप में पूजित करने का बीड़ा अपने अपने कंधों पर ले लिया. 

कागज की प्रत‍िमा.
कागज की प्रत‍िमा.

बाजार से काफी महंगे दामों में मां दुर्गा के प्रतिमा को खरीदना घोष परिवार के लिए संभव नहीं था. तब दीप्तरूप ने अखबार, ऑयल पेपर और अन्य कागजों से मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा तैयार कर डाली. कागज से बनी मां दुर्गा की यह प्रतिमा कोई ऐसी-वैसी प्रतिमा नहीं है.  यह प्रतिमा किसी भी मूर्तिकार की कला को हार मनवा दे. दीप्तरूप ने अखबार से मां दुर्गा के सिर की रचना की. रंगीन ऑयल पेपर से मां दुर्गा के दोनों मृगनयनी आंखों की संरचना की.

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भव्य दुर्गा प्रत‍िमा.
भव्य दुर्गा प्रत‍िमा.

 कागज की प्रत‍िमा बनाकर करते हैं पूजा 

दीप्तरूप के पिता दुलालकांति और माता नूपुर घोष बताते हैं कि इस कागज से बनी दुर्गा की प्रतिमा को बिना स्पर्श किए कोई यह कह नहीं सकता कि यह पारंपरिक मां दुर्गा की प्रतिमा नहीं है. 10 वर्ष का यह नन्हा मां दुर्गा का मूर्तिकार अब 18 वर्ष का उच्च माध्यमिक पास छात्र हो चुका है. उसने बाकायदा कोलकाता के एक कॉलेज में उच्च शिक्षा के लिए एडमिशन भी लिया है  लेकिन उसने अपने आप से यह प्रण किया है कि जिंदगी के आखिरी सांस तक वह कागज की मां दुर्गा की प्रतिमा बनाकर देवी की आराधना करते रहेंगे. 

दीप्तरूप बनाता है कागज की प्रत‍िमा.
दीप्तरूप बनाता है कागज की प्रत‍िमा.

सबसे बड़ी बात है कि घोष परिवार के पूजा में बाकायदा एक मंझे हुए पुरोहित की तरह शास्त्रीय रीति-रिवाज से दीप्तरूप मां दुर्गा के पूजा को बाकायदा मंत्र उच्चारण और पूरे पूजा पाठ की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर लेता है. 

इनपुट-हुगली से भोला नाथ साहा की र‍िपोर्ट 

 

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