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कपल ने पूरा होटल किराए पर लिया, इन जरूरतमंद लोगों को दी रहने की जगह

एक कपल ने यूक्रेन के शरणार्थियों के लिए नायाब पहल की, उसने एक होटल किराये पर लिया. यहां वह यूक्रेन के शरणार्थियों को रोक रहा है. वहीं शख्‍स तो खुद ही काफी लोगों को खुद ही बस से होटल तक लाया.

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जैकब गोलाटा कई यूक्रेनी नागरिकों को अपनी बस से पोलैंड लेकर आए हैं
जैकब गोलाटा कई यूक्रेनी नागरिकों को अपनी बस से पोलैंड लेकर आए हैं
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जैकब गोलाटा पोलैंड के रहने वाले हैं
  • ब्रिटेन में 2004 में जाकर बस गए थे

Russia Ukraine War Updates: पोलैंड (Poland) का रहने वाला कपल जो ब्रिटेन (Britain) में रहता है, उन्‍होंने एक नायाब पहल की है. इस कपल ने पोलैंड में 180 कमरों का होटल किराए पर लिया है.

जहां रूस और यूक्रेन युद्ध के रिफ्यूजी रहेंगे. वहीं खास बात ये है कि होटल में लाने के लिए इस शख्‍स ने 48 सीटर बस का भी सहारा लिया. जिनसे युद्धग्रस्‍त शरण‍ार्थियों को इस होटल तक लाया गया. 

डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस शख्‍स का नाम जैकब गोलाटा और उनकी पत्‍नी का नाम गोसिया गोलाटा है. वह साल 2004 में ब्रिटेन आकर बस गए थे. दोनों ने मिलकर Bydgoszcz के पास स्थित Park Hotel Tryszczyn को किराए पर ले लिया, जहां यूक्रेनी नागरिक आकर रह सकते थे.

अब तक 149 लोग यहां यूक्रेनी बॉर्डर पारकर यहां आ चुके हैं. 42 साल के जैकब गोलाटा ने बताया कि वह जल्‍द से जल्‍द इस मामले में एक्‍शन लेना चाहते थे क्‍योंकि लोगों को सही समय पर मदद नहीं मिल पा रही थी. 

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वैसे जैकब गोलाटा HS2 रेल प्रोजेक्‍ट में लॉजिस्टिक मैनेजर के तौर पर काम करते हैं. वह अपनी पत्‍नी के साथ नॉर्थ लिंकनशायर में रहते हैं. उनकी पत्‍नी लिंकनशायर पुलिस में अधिकारी हैं. अभी वह विश्राम अवकाश (Sabbatical ) पर हैं और अपनी मां की देखभाल कर रही हैं. जैसे ही रूस का आक्रमण हुआ, वह पौलेंड पहुंच गई. 

जैकब ने कहा कि शुरुआत में मुझे इस बात को लेकर विश्‍वास नहीं था कि मैं कैसे लोगों की मदद कर पाऊंगा? इस‍लिए मैंने सोचा कि मैं अपनी खुद की आंखों से देखूंगा कि कैसे मैं अपने ज्ञान, क्षमता और अनुभव से लोगों की मदद कर सकता हूं . 

बकौल जैकब, 'शुरुआत में मैंने एक मिनीबस चलाई और 8 घंटे में बॉर्डर तक पहुंचा. वहां से रिफ्यूजी को उठाया और उनके दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों के पास लाकर छोड़ा. इतना सब करने के बाद मैंने सोचा कि मुझे और भी कुछ करना होगा.' 

फिर दिमाग में आया आइडिया 
जैकब कहते हैं कि इसके बाद उनके दिमाग में एक आइडिया आया. जिसके बाद उन्‍होंने पूरा होटल किराए पर ले लिया, ताकि शरणार्थी मां और बच्‍चे वहां रह सके. इसके बाद उन्‍होंने स्‍थानीय सामुदायिक वॉल्युंटियर की तलाश शुरू की. जो इन लोगों की और भी मदद कर सकें. इस दौरान जैकब को उनके ब्रिटेन में मौजूद बॉस से भी पूरा सहयोग मिला. उन्‍होंने इस काम के लिए फंड भी जारी किया और इस प्रोजेक्‍ट पर काम करने के लिए समय भी दिया. इसके बाद जैकब 180 बेड का होटल मिल गया, जो कोरोना महामारी के बाद बंद हो गया था. 

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बहुत मुश्किल था ये कदम 
जैकब ने बताया कि शुरुआत में ये काफी मुश्किल था क्‍योंकि बच्‍चों की मां रो रही थीं. उन्‍हें इस बात का एकदम अंदाजा नहीं था कि क्‍या होने वाला है. वहीं जैकब ने इसके लिए गो फंड मी डॉट कॉम पर भी लोगों के के लिए पैसा इकट्ठा करने का अभियान शुरू किया है. 


 

 

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