पाकिस्तान के क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने शुक्रवार को कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर हाल के संघषर्विराम उल्लंघनों ने शांति प्रक्रिया को ‘पीछे धकेला’ है और द्विपक्षीय समस्याओं का समाधान सेनाएं नहीं कर सकती.
पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ प्रमुख ने बातचीत की जरूरत पर जोर दिया और रेखांकित किया कि पाकिस्तान और भारत को अपने मुद्दे खुद सुलझाने चाहिए. नियंत्रण रेखा पर उल्लंघनों को ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए खान ने कहा, ‘हम शांति प्रक्रिया पर आगे बढ़ रहे थे और इसने (एलओसी पर घटनाओं ने) हमें पीछे धकेल दिया. मुंबई हमले के समय की तरह पीछे नहीं लेकिन फिर भी यह काफी पीछे है.’
उन्होंने कहा कि मीडिया को थोड़ा ज्यादा जिम्मेदार तरीके से काम करना चाहिए. खान ने कहा कि दुश्मनी की भावना रखना भारत और पाकिस्तान की जनता के हित में नहीं है. आखिरकार बातचीत की मेज पर ही समाधान होता है और शांतिपूर्ण बातचीत मतभेदों को सुलझाने के लिए जरूरी है.
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच शीर्ष स्तर पर ज्यादा संपर्क होना चाहिए, खान ने कहा कि हमें मजबूत नेतृत्व की जरूरत है. सेनाएं मुद्दों को नहीं सुलझाने जा रही. सैनिक राजनीतिक समाधान नहीं निकाल सकते, केवल नेता ही निकाल सकते हैं. उन्होंने कहा कि बड़े जनादेश वाले नेता ही दोनों देशों के बीच मुद्दों का हल निकालेंगे.
उपमहाद्वीप में अमेरिका की भूमिका से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि वाशिंगटन द्वारा पाकिस्तान का उपयोग ‘टिशू पेपर’ की तरह किया है. खान ने कहा कि मुझे लगता है कि पाकिस्तान और भारत को अपने मुद्दे खुद सुलझाने चाहिए. ज्यादा से ज्यादा, अमेरिका माहौल आसान करने वाले की भूमिका निभा सकता है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.
उन्होंने कहा कि आतंक के खिलाफ युद्ध का विपरीत असर हुआ है और जिस तरह से इससे लड़ा गया है उसके विरोधी परिणाम आए हैं. खान से साथ ही कहा कि वह दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों को मजबूत बनाने का समर्थन करते हैं.