जम्मू-कश्मीर में पुंछ के निकट माल्टी में स्थित नियंत्रण रेखा पर लगे बाड़े को जैसे ही पार करने की कोशिश की तो वहां स्थित सेना के जवान ने यह कहते हुए मना किया कि यह इलाका किसी को मटरगश्ती करने देने के लिए बहुत संवेदनशील है.
बार्डर पर स्थित प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर इस गांव में मनोहारी दृश्यों की कोई कमी नहीं है. यह गांव पहाड़ों और कल-कल कर बहते पानी के सोते से अटा पड़ा है. लेकिन यहां नियंत्रण रेखा पर लगे भव्य लोहे की बाड़े में इसकी सुंदरता व्याकुल दिखती है.
इस गांव के कई लोग भारत-पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे झगड़े की भेंट चढ़ गए हैं. अब फिर से पाकिस्तान द्वारा किए गए सीजफायर उल्लंघन ने इस बार्डर के दोनों तरफ के लोगों को बिछुड़े हुए लोगों की याद दिला दी है.
बार्डर पर लगे लोहे के गेट पर सेना के जवानों की कड़ी नजर लगातार रहती है जो यहां से गुजरते प्रत्येक व्यक्ति पर अपनी निगाहें गड़ाए हुए हैं.
माल्टी में बाड़े पर लगे यह लोहे के गेट यहां के दो गांव देगवार और दारा बाग्याल के लिए प्रवेशद्वार के समान है. ये दोनों ही गांव विभिन्न संस्कृति की जनता का बसेरा है. यहां हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदाय के लोग रहते हैं.
2003 में सीजफायर के बाद से यहां के लोगों के लिए सेना की सुरक्षा ड्रील के साथ ही उस गलियारे से गुजरना उनके जीवन का हिस्सा सा बन गया है.
जम्मू-कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के अवकाशप्राप्त सदस्य दारा बाग्याल गांव के मोहम्मद दिन बताते हैं, ‘हम यहां खुले जेल में आते हैं जो बार्डर पर स्थित इस खतरनाक बाड़े से घिरा है.’
नियंत्रण रेखा पर माल्टी के इस छोड़ तक पहुंचने के लिए दुर्गम पहाड़ियों से गुजरना पड़ता है जो सर्दियों में बारिश और हिमपात की वजह से और भी खतरनाक हो जाती हैं.
यहां इस गेट तक पहुंचने के लिए एक 10 सीटों वाली गाड़ी चलती है जो वर्षों से चलती चली आ रही है. इस गेट के बाद अपने घरों तक का सफर लोगों को पैदल ही करना होता है.
सेना के जवान यहां से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति का नाम गेट पर रखे रजिस्टर में दर्ज करते हैं. सेना के जवान लोगों की जांच पड़ताल करते हैं और सभी के पहचान पत्र देखे जाते हैं.
सेना के जवानों को हरदम यह पता होता है कि अंदर कितने लोग हैं और अगर आगंतुक कोई मेहमान है तो वह यहां क्यों और कब-तक के लिए आया है.
यहां भारी-भरकम सुरक्षा का मतलब सिर्फ और सिर्फ घुसपैठ को रोकना है. यहां के एक वाशिंदे ने बताया, ‘एक बार कोई व्यक्ति यहां शादी के बहाने घुस गया था और बार्डर के पार चला गया. तब से जांच के मामले में सेना और भी सख्त हो गई है.’
सीमा पर लगे कंटीले तारों से होकर बिजली गुजारी जाती है जो थर्मल इमेजिंग उपकरणों, मोशन सेंसर, प्रकाश व्यवस्था और अलार्म से जुड़े हैं. विशेषज्ञों की राय में इस व्यवस्था ने घुसपैठ रोकने में बहुत बड़ी कामयाबी हासिल की है.
740 किलोमीटर लंबी सीमा पर भारत ने करीब 550 किलोमीटर तक बाड़ लगाने का काम कर 2004 में हुए सीजफायर तक पूरा कर लिया था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें से 83 किलोमीटर बाड़ बर्फ की आंधी और हिमपात में क्षतिग्रस्त हो गई है.
सरकार जल्द ही यहां फिर से मौसमरोधी बाड़ खड़ा करने की तैयारी कर रही है. और इस बार बाड़ ऐसी लगाई जाएंगी कि सीमा से सटा कोई गांव अछूता नहीं रहेगा.
तो स्वागत है आपका नियंत्रण रेखा पर स्थित एक ऐसे गांव में जहां आने और जाने पर तलाशी ली जाती है और नाम रजिस्टर करना पड़ता है.