
पटना के खान सर (Khan Sir) अपनी टीचिंग स्टाइल के लिए मशहूर हैं. भले ही आज वो लोगों के बीच काफी पॉपुलर हैं, लेकिन एक समय था जब कोचिंग चलाने के लिए उन्हें तमाम दिक्कतें झेलनी पड़ी थीं. वो गंगा किनारे रात ढाई बजे तक टेंशन में बैठे रहे थे.
खुद उन्होंने एक यूट्यब चैनल पर बताया कि कैसे उनका बचपन काफी मुश्किलों में गुजरा और बाद में कैसे वो टीचिंग की दुनिया में छा गए. उनका ये वीडियो वायरल हो गया है. यूट्यब पर खान सर के इस वीडियो को एक करोड़ से अधिक व्यू मिल चुके हैं.
हजारों यूजर्स ने इसपर प्रतिक्रिया दी है. एक यूजर ने कहा- Khan Sir की क्रांति को कोई चैलेंज नहीं रोक पाया. दूसरे यूजर ने लिखा- खान सर पर बायोपिक बनना चाहिए. एक अन्य यूजर ने कहा- संघर्ष का नाम ही जीवन है, अगर सफलता पाना है तो संघर्ष करना ही होगा
खान सर बताते हैं कि वो एक ज्वाइंट फैमिली में रहते थे. बचपन में वो बहुत शरारती थे. शैतानियों की वजह उनकी मां परेशान रहती थी. शुरुआत के दिनों में वो गुल्ली-डंडा खेला करते थे. आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने के कारण बचपन में हर चीज उन्हें लिमिट में मिलती थी. पेंसिल तक आधी दी जाती थी.

वो कहते हैं कि उनके घर के सामने एक कॉलेज था. छुट्टी होने के बाद वो उसमें जाते थे और पेंसिल-कॉपी आदि की तलाश करते थे. अगर कुछ मिल गया तो बहुत खुश होते थे. कभी-कभी कुछ सादे पन्ने मिलते तो घर आकर उन्हें मां से सिलवाकर एक कॉपी बना लेते थे.
फौज में जाने का सपना टूटा
खान सर कहते हैं कि पिता जी अलग-अलग काम करते रहे. वो कभी स्टेबल नहीं रहे. इसके चलते उनके परिवार में काफी परेशानी रही. जब उन्होंने 8वीं पास की तो उनको सेना में जाने का जुनून चढ़ा. उन्होंने 9वीं में सैनिक स्कूल का एग्जाम दिया लेकिन सफल नहीं हुए. फिर उन्होंने पॉलिटेक्निक का एग्जाम दिया, लेकिन रैंक अच्छी नहीं आई.
इसके बाद खान सर ने NDA का एग्जाम दिया. लेकिन मेडिकल में अनफिट हो गए. इस घटना के बाद मानों उनके सारे अरमान धराशाई हो गए, क्योंकि बचपन से ही वो सेना में जाना चाहते थे. दरअसल, मेडिकल में उनका हाथ थोड़ा सा टेढ़ा निकल गया था.
टीचिंग लाइन में हुई एंट्री
खान सर पर एक तरफ फौज में नहीं जाने का गम था तो दूसरी तरफ खराब आर्थिक स्थिति का बोझ था. किसी तरह उन्होंने बीएससी पूरी की. उनकी प्रॉब्लम में उनके तीन दोस्तों सोनू, हेमंत और पवन ने काफी साथ दिया. इसके लिए खान सर तीनों का आज भी एहसान मानते हैं. वो अपनी पॉकेट मनी से पैसे देकर खान सर की मदद करते थे. इसी बीच हेमंत ने खान सर को बच्चों को पढ़ाने का आइडिया दिया.
इसके बाद खान सर ने एक बच्चे को होम ट्यूशन दिया और वो स्कूल में टॉप कर गया. उसके पैरेंट्स सर से काफी खुश हुए. फिर उन्होंने दूसरे की कोचिंग में पढ़ाना शुरू किया, तब केवल 6 स्टूडेंट थे. धीरे-धीरे वो अपनी टीचिंग के बलबूते काफी फेमस हो गए.
बाद में कुछ पार्टनर्स की मदद से कोचिंग सेंटर खोला. खान सर कहते हैं कि 6 महीने में ही मुझे आभास हो गया कि वो लोग मेरा कोचिंग सेंटर हड़प लेना चाहते थे. बकौल खान सर- उन लोगों ने मेरा ये हाल कर दिया था कि मेरी जेब में बस 40 रुपये बचे थे, जबकि घर जाने का किराया 90 रुपये था.
इसी टेंशन में हताश-निराश होकर वो गंगा किनारे जाकर बैठ गए. जब घर लौटे तो रात के रात ढाई बज गए थे. फिर उन्होंने नए सिरे से शुरुआत करने की ठानी और फिर से अपनी एक कोचिंग खोली. पुराने स्टूडेंट्स से मदद ली और सेटअप तैयार किया.
जब कोचिंग में बम चल गए
लेकिन कुछ दिन बाद उनकी कोचिंग में बम चल गए. सब तहस-नहस हो गया. खान सर पटना छोड़ने का विचार करने लगे. मगर बम चलने के बाद भी उन्हें स्टूडेंट्स का काफी सहयोग मिला. बड़ी तादाद में छात्र उनकी कोचिंग में आने लगे.
बच्चे खान सर के साथ कदम-कदम पर साथ रहे. देखते ही देखते उन्होंने अपनी लाइब्रेरी खोल ली. इसके बाद कोरोना लॉकडाउन के वक्त उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाना शुरू किया.
आज के दिन उनके You Tube चैनल पर 16 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं. बड़ी संख्या में लोग उनके पढ़ाई के अंदाज को पसंद करने करते हैं. खान सर कहते हैं कि शिक्षा से बड़ा आपका साथी और कोई नहीं है, इसीलिए शिक्षा हर किसी के लिए बहुत जरूरी है.