
साल 2023 में एक पॉडकास्ट पर इंफोसिस के फाउंडर नारायण मू्र्ति ने कहा था कि 'भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया में सबसे कम है और चीन जैसे देशों के साथ कम्पीट करने के लिए भारत के युवाओं को एक्स्ट्रा घंटे काम करना होगा. उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को सप्ताह में 72 घंटे तक काम करना चाहिए. जापान और जर्मनी ने ऐसा किया था.'
इस बयान के बाद ग्लोबल बहस छिड़ गई थी. लोग बुरी तरह से भड़क गए थे और कहने लगे थे कि इंसान सप्ताह में 72 घंटे काम करेगा तो परिवार और बच्चों को कब समय देगा? लोगों का कहना था कि ये बयान एकदम बेतुका है.
नारायण मूर्ति ने दी पैरेंटिंग टिप
वहीं अब नारायण मू्र्ति के हालिया बयान पर लोगों ने फिर से बहस छेड़ दी है. इसबार उन्होंने लोगों को पेरेंटिंग सिखाई तो वे चिढ़ गए और तंज करने लगे. दरअसल, बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में बोलते हुए मूर्ति ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के लिए घर में अनुशासित माहौल बनाना माता-पिता की जिम्मेदारी है. यह पूछे जाने पर कि सोशल मीडिया के डिस्ट्रैक्शन के बीच छात्र कैसे ध्यान केंद्रित कर सकते हैं? मूर्ति ने कहा कि माता-पिता यह उम्मीद करते हुए फिल्में नहीं देख सकते कि बच्चे अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाएंगे.

उन्होंने कहा, 'अगर माता-पिता फिल्में देखने जा रहे हैं और फिर कह रहे हैं कि 'बच्चों- तुम पढ़ाई करो', तो इस बात का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि 'वे अपने बच्चों की स्कूलिंग के दौरान उनके और पत्नी के साथ पढ़ने के लिए हर दिन साढ़े तीन घंटे से अधिक समय निकालते थे. उन्होंने कहा, यह प्रयास घर में अनुशासित माहौल को बढ़ावा देता है.'
'पहले तो आपने कहा था 72 घंटे काम करो'
मूर्ति का ये बयान था कि सोशल मीडिया पर लोग भड़क गए. एक ने लिखा- 'यदि लोग सप्ताह में 72 घंटे काम करना शुरू कर देंगे जैसा कि मूर्ति ने 2023 में वकालत की थी, तो क्या अपने बच्चों के साथ समय बिताना संभव होगा?' एक अन्य ने मजे लेते हुए कहा- आपने ही तो कहा था कि 72 घंटे काम करो तो बच्चों का क्या करें? एक अन्य ने कहा-'संक्षेप में, इस तरह का संतुलन बनाए रखना मुश्किल है.'

'हम अपने बच्चों के साथ पढ़ते थे'
कार्यक्रम में मूर्ति ने यह भी कहा कि उनका परिवार पूरी तरह से पढ़ने-पढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, शाम 6:30 बजे से 8:30 बजे तक टेलीविजन पर सख्त प्रतिबंध है. वे डिसिप्लिन के कल्चर को मजबूत करते हुए, रात 9 बजे से 11 बजे तक रात्रि भोजन के बाद एक साथ अध्ययन करना जारी रखते हैं. उन्होंने कहा- मेरी पत्नी का तर्क था, अगर मैं टीवी देख रही हूं, तो मैं अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए नहीं कह सकती. तो उसने कहा, मैं अपना टीवी टाइम त्याग दूंगी और पढ़ाई करूंगी'.
इसपर लोगों ने कहा- इसके बजाय, उनके लिए किताबें खरीदें और उन्हें खुद पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें. ऐसे सब इतना आसान नहीं है.