क्या आपने कभी सोचा है कि छुट्टी लेने जैसी छोटी-सी चीज के लिए भी भारत में लोगों को पूरा ड्रामा करना पड़ता है? सर, तबीयत खराब है…', सर, घर में इमरजेंसी है… और दिल में चलता रहता है, यार, बस एक दिन की छुट्टी है, भीख तो नहीं मांग रहा! लेकिन अब सोचिए, एक जगह ऐसी भी है जहां छुट्टी मांगने की जरूरत ही नहीं, बस सूचना दो… और चल पड़ो अपनी जिंदगी जीने या अपने जरुरी काम करने. सिंगापुर में काम कर रहे एक भारतीय युवक ने ऐसा ही सच अपने वीडियो में उजागर किया और इंटरनेट पर चर्चा छिड़ गई.उन्होंने साफ कहा- भारत में छुट्टी लेने के लिए कहानी बनानी पड़ती है, लेकिन सिंगापुर में मैं नहीं पूछता… मैं सिर्फ बता देता हूं.
वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
सिंगापुर में काम कर रहे एक भारतीय युवक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उसने भारत और सिंगापुर के वर्क कल्चर की तुलना की है.वीडियो में अमन नाम का युवक बताता है कि भारत में छुट्टी लेने के लिए अक्सर बहुत समझाना पड़ता था, जैसे- “सर तबीयत खराब है, फैमिली इमरजेंसी है. सिर्फ एक दिन की छुट्टी के लिए भी बहाने बनाने पड़ते थे. लेकिन सिंगापुर में ऐसा नहीं है. वह कहता है- यहां मैं छुट्टी मांगता नहीं, बस बता देता हूं.
इसके साथ ही अमन ने बताया कि सिंगापुर में शाम 6 बजे के बाद ऑफिस का कोई फोन नहीं आता, न बॉस कॉल करता है, न ही काम करने का दबाव रहता है. अपने पोस्ट में यूजर ने लिखा- 6 बजे के बाद मेरा फोन मेरा है, बॉस का नहीं. अगर तुम रात 8 बजे तक ऑफिस में बैठे हो, तो तुम मेहनती नहीं, बल्कि शोषित हो.
विदेश जाने के बाद सोच में बदलाव
अमन ने अपनी पोस्ट में लिखा- सिंगापुर आने के बाद उसकी सोच बदल गई. अब वह छुट्टी लेते समय सफाई देना या झूठ बोलना बंद कर चुका है. भारत जैसे टॉक्सिक वर्क कल्चर में लोग यह बताने पर मजबूर महसूस करते हैं कि वे काम क्यों नहीं कर रहे (यानी छुट्टी क्यों ले रहे हैं), जबकि इसकी जरूरत नहीं होनी चाहिए.
सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल
वीडियो पर कई लोगों ने अपनी राय दी है. एक यूजर ने लिखा— उम्मीद है कि Gen Z भारत में सब बदल देगी. दूसरे ने कहा- मुझे भी ऐसी वर्क कल्चर चाहिए. किसी ने भारत की खराब वर्क कल्चर को स्वीकार किया, तो किसी ने अमन के बेहतर वर्क-लाइफ बैलेंस की तारीफ की. कुछ लोगों ने तो मजाक में लिखा— भाई, मुझे तुमसे जलन हो रही है.