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यहां मजार पर FIR में सच लिखवाने की कसम खिलवाती है पुलिस

अदालत में गवाही से पहले गीता या कुरान पर हाथ रखकर कसम खिलाने का रिवाज बहुत पुराना है. मगर बांदा की पुलिस एफआईआर दर्ज करने से पहले पीड़ित या फरियादी से एक मजार पर कसम खाने के लिए कहती है.

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Symbolic photo
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अदालत में गवाही से पहले गीता या कुरान पर हाथ रखकर कसम खिलाने का रिवाज बहुत पुराना है. मगर बांदा की पुलिस एफआईआर दर्ज करने से पहले पीड़ित या फरियादी से एक मजार पर कसम खाने के लिए कहती है.

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक ऐसा थाना है, जिसके अंदर बनी सईद बाबा की मजार पर पीड़ित या फरियादी को एफआईआर दर्ज करवाने से पहले ‘सच’ लिखाने की कसम खानी पड़ती है.

देश की सभी अदालतों में किसी भी मुकदमे में बयान दर्ज कराने या गवाही देने से पहले गीता पर हाथ रखकर ईश्वर के नाम पर ‘जो कुछ कहूंगा, सच कहूंगा, सच के सिवाय कुछ नहीं कहूंगा’ की कसम खाने का पुराना रिवाज है. लेकिन बांदा जिले के बदौसा थाना परिसर में बनी सईद बाबा की मजार पर हर पीड़ित या फरियादी को यह कसम खाना जरूरी है कि ‘जो लिखवाऊंगा, सच ही लिखवाऊंगा, सच के सिवाय कुछ नहीं लिखवाऊंगा.’

ब्रिटिश शासन काल में बदौसा थाने का पुराना भवन परगना मजिस्ट्रेट का दफ्तर हुआ करता था, लेकिन सन् 1919 में जब यह दफ्तर यहां से बदला गया तो बाद में इसे कोतवाली पुलिस के दफ्तर में तब्दील कर दिया गया. थाने के इस पुराने भवन के अंदर एक कुआं और मजार है.

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किंवदंती के तौर पर यहां के कुछ बुजुर्ग बताते हैं कि अंग्रेजी शासन में परगना मजिस्ट्रेट न्याय करते वक्त खुद और वादी-प्रतिवादी से भी सच बोलने की कसम खिलवाया करते थे. लेकिन जब इसे कोतवाली का दर्जा मिला तो पुलिस भी ‘सच लिखवाने’ की कसम मजार पर खिलवाने लगी, जो अब भी एक रिवाज बना हुआ है.

स्थानीय पत्रकार रियाजुद्दीन खान बताते हैं, ‘यहां के हिंदू या मुस्लिम समाज में किसी विवाद को मजार पर कसम खाकर ही निपटाया जाता है.’ वह कहते हैं कि सभी समुदायों के बीच सईद बाबा श्रद्धा से पूजे जाते हैं. उनकी कसम खाने के बाद कोई झूठ नहीं बोलता.

बदौसा कस्बे के 70 वर्षीय बुजुर्ग उस्मान खां तो यहां तक बताते हैं कि रात के वक्त थाने का पहरेदार भूल से सो जाए और अचानक कोई अधिकारी आ जाए तो सईद बाबा पहरेदार को थप्पड़ मारकर जगाते हैं, जिससे उसकी नौकरी बच जाती है.

पुराने भवन के बगल में थाने का अब नया भवन बन गया है और पूरा कार्यालय नए भवन में शिफ्ट हो चुका है. इन दोनों भवनों के बीच हालांकि हनुमान जी का एक मंदिर भी है.

थानाध्यक्ष अजय सिंह कहते हैं कि पुलिस के लिए हनुमान और सईद बाबा दोनों पूजनीय हैं. पुलिसकर्मी दोनों की पूजा-अर्चना करते हैं. मामूली विवाद के मामले में पीड़ित को सईद बाबा की मजार के सामने पेश किया जाता है, ताकि वह झूठ न बोले और उसे इंसाफ दिलाया जा सके.

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