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महात्मा गांधी का ये कैसा स्टैच्यू... लोगों ने कहा ‘गांधी जैसी नहीं दिखती’, नगर पालिका ने दी सफाई

केरल के त्रिशूर के गुरुवायूर नगर पालिका में अनावरण की गई महात्मा गांधी की प्रतिमा पर राष्ट्रपिता का अपमान करने का आरोप लगाते हुए त्रिशूर जिला कलेक्टर के समक्ष एक शिकायत दर्ज कराई गई है. 

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केरल के त्रिशूर ज़िले के गुरुवायूर में महात्मा गांधी की नई प्रतिमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लोगों का कहना है कि मूर्ति गांधीजी जैसी बिल्कुल नहीं दिखती, बस उसमें चश्मा और लाठी है. ( Photo: ITG)
केरल के त्रिशूर ज़िले के गुरुवायूर में महात्मा गांधी की नई प्रतिमा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लोगों का कहना है कि मूर्ति गांधीजी जैसी बिल्कुल नहीं दिखती, बस उसमें चश्मा और लाठी है. ( Photo: ITG)

केरल के त्रिशूर जिले के गुरुवायूर नगर पालिका में लगी महात्मा गांधी की नई प्रतिमा को लेकर विवाद हो गया है. केएसयू (केरल छात्र संघ) के जिला अध्यक्ष गोकुल गुरुवायूर ने जिला कलेक्टर के पास शिकायत दर्ज कराई है. उनका कहना है कि यह मूर्ति गांधीजी जैसी बिल्कुल नहीं दिखती, बस उसमें चश्मा और लाठी है. यह मूर्ति गुरुवायूर नगर पालिका के बायो पार्क में लगाई गई थी, जहां कई दिनों से इसका काम चल रहा था. अब लोगों का कहना है कि यह राष्ट्रपिता का अपमान है और मूर्ति को बदलना चाहिए.

अनावरण के वक्त लोग हुए हैरान
जब गांधीजी की नई प्रतिमा का अनावरण हुआ, तो वहां मौजूद लोग हैरान रह गए, क्योंकि मूर्ति गांधीजी जैसी बिल्कुल नहीं दिख रही थी. यह प्रतिमा नगर पालिका द्वारा मंगाई गई थी, और जैसे ही इसे पार्क में लगाया गया, विवाद शुरू हो गया. नगर पालिका अध्यक्ष एम. कृष्णदास ने कहा कि गांधीजी का अपमान करने की कोई मंशा नहीं थी. उन्होंने बताया कि यह मूर्ति अभी अधूरी है और इसे बाद में पूरी तरह से सही रूप में बनाया जाएगा. मूर्तिकार ने भी कहा कि फिलहाल यह सिर्फ एक शुरुआती (अमूर्त) रूप है, जिसे आगे जाकर पूरी प्रतिमा में बदला जाएगा.

मूर्तिकार ने ऐसी मूर्ति बनाने का बताया कारण
गुरुवायूर नगरपालिका, जो एलडीएफ के नियंत्रण में है, के अध्यक्ष एम. कृष्णदास ने बताया कि उन्होंने यह मूर्ति तब देखी थी जब उस पर काम शुरू ही हुआ था. मूर्तिकार ने उन्हें एक छोटा और सुंदर मॉडल दिखाया था, और सबको उम्मीद थी कि असली मूर्ति भी वैसी ही बनेगी.

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उद्घाटन से दो दिन पहले जब उनसे काम की प्रगति पूछी गई, तो मूर्तिकार ने कहा कि फिलहाल इसे सिर्फ अमूर्त (आधारभूत) रूप में ही बनाया जा सकता है, क्योंकि अगर इसे पूरी तरह से पूरा करना है, तो पहले मिट्टी सूखनी चाहिए, तभी रंग और टेक्सचर टिक पाएंगे. कृष्णदास ने कहा, “वह एक कलाकार हैं, इसलिए हमें उनकी राय का सम्मान करना चाहिए.”

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