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पथरी निकलवाने गए मरीज की डॉक्टर ने न‍िकाली किडनी, अब अस्पताल को देना होगा 11 लाख का मुआवजा

किडनी में पथरी की वजह से परेशान एक मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ तो डॉक्टर ने गुर्दे से पथरी हटाने की जगह मरीज की किडनी ही निकाल ली. अब इस मामले में 9 साल बाद करीब 11 लाख का मुआवजा देने के आदेश हुए हैं.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • डॉक्टर ने गुर्दे से पथरी हटाने की जगह मरीज की किडनी न‍िकाली
  • 4 महीने के अंदर ही मरीज की मौत
  • 9 साल बाद म‍िला 11 लाख के मुआवजे का आदेश

गुजरात में अस्पताल की लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है. किडनी में पथरी की वजह से परेशान एक मरीज अस्पताल में भर्ती हुआ तो डॉक्टर ने गुर्दे से पथरी हटाने की जगह मरीज की किडनी ही निकाल ली.

जरूरी अंग निकल जाने की वजह से 4 महीने के अंदर ही मरीज की 2012 में मृत्यु हो गई. इस मामले में अब गुजरात उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने बालासिनोर के केएमजी अस्पताल को आदेश दिया है कि वह मरीज के रिश्तेदार को 11. 23 लाख रुपये का मुआवजा दे.

मह‍िसागर ज‍िले के बालासिनोर के केएमजी अस्पताल की लापरवाही के बाद मरीज की मौत होने पर रिश्तेदारों ने कंज्यूमर आयोग में अपना मामला दर्ज करवाया था. आयोग के आदेश के मुताबिक, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से डॉक्टर की लापरवाही में अस्पताल को भी जिम्मेदार माना है. 

7.5 फीसद ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश

आयोग ने माना है कि अस्पताल न सिर्फ चूक के लिए जिम्मेदार है बल्कि उसके कर्मचारियों की लापरवाही के लिए भी जिम्मेदार है. अदालत ने अस्पताल को साल 2012 से अब तक 7.5 फीसद ब्याज के साथ यह मुआवजा देने का आदेश दिया है.

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बता देंं क‍ि नडियाद के रहने वाले देवेंद्र भाई रावल को पेशाब होने में दिक्कत होने के बाद उन्हें  किडनी अस्पताल में भर्ती करवाया गया. जब उनकी स्थिति और बिगड़ी तो उन्हें अहमदाबाद के आईकेडीआरसी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उनकी 8 जनवरी को 2012 में मृत्यु हो गई थी. 

कंज्यूमर आयोग ने अपने ऑर्डर में कहा है कि अस्पताल के पास इनडोर और आउटडोर परीक्षण के लिए इंश्योरेंस पॉलिसी होती है लेकिन इलाज करने वाले डॉक्टर द्वारा बरती गई मेडिकल लापरवाही के लिए इंश्योरेंस कंपनी जिम्मेदार नहीं होती है. अस्पताल ने पथरी निकालने के लिए सर्जरी की थी और मरीज ने किडनी से पथरी निकालने के लिए ही रजामंदी भी दी थी लेकिन उसकी किडनी निकाल दी गई जिसमें साफ होता है कि डॉक्टर और अस्पताल की लापरवाही है. 


 

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