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देश के 75 फीसदी आबादी को सस्ता खाद्यान्न देना आसान काम नहीं: पवार

कृषि मंत्री शरद पवार ने सोनिया गांधी की अगुवाई वाले एनएसी द्वारा देश के 75 फीसदी आबादी को सस्ते दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के प्रस्तावों पर एक तरह से सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा खाद्यान्नों के राष्ट्रीयकरण के बारे में किये गये निर्णय को महज 10 दिनों के भीतर वापस लेना पड़ा था.

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कृषि मंत्री शरद पवार ने सोनिया गांधी की अगुवाई वाले एनएसी द्वारा देश के 75 फीसदी आबादी को सस्ते दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के प्रस्तावों पर एक तरह से सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू सरकार द्वारा खाद्यान्नों के राष्ट्रीयकरण के बारे में किये गये निर्णय को महज 10 दिनों के भीतर वापस लेना पड़ा था.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मैं पुराने अच्छे दिनों का स्मरण करता हूं जब मैं युवा था और कांग्रेस में था. अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) में यह फैसला किया गया और 10 दिनों के भीतर फैसले को वापस ले लिया गया. उस समय जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में उनसे पूछा गया था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के लिए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) के परामर्शों को लागू करने के लिए खाद्यान्न कहां से आयेगा और क्या उनकी सरकार इसके लिए खाद्यान्नों का राष्ट्रीयकरण करेगी.

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संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाले एनएसी ने प्रस्ताव किया है कि सब्सिडीप्राप्त खाद्यान्नों को प्राथमिक और सामान्य परिवारों की दो श्रेणियों के तहत कानूनी तौर पर प्राप्त करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. इसके तहत देश की 75 प्रतिशत आबादी आती है.

इस कानून के बारे में एनएसी की सिफारिशों के बारे में पवार ने कहा कि उन्हें प्रस्तावों के बारे में केवल प्रेस मीडिया से ही पता चला है तथा ऐसे मौके पर मेरे लिए यह कहना अनुमान पर आधारित होगा कि अंतत: यह कानून क्या रूप लेगा.{mospagebreak}
पवार ने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट के आधार पर उनके मंत्रालय के मोटे अनुमान के हिसाब से एनएसी की हालिया सिफारिशों को लागू करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत करीब 18.6 करोड़ परिवार (प्रत्येक परिवार में पांच सदस्य) को कानून के दायरे में लिया जायेगा तथा इसके लिए 6.2 करोड़ टन खाद्यान्नों की आवश्यकता होगी.

उन्होंने कहा कि 6.2 करोड़ टन से उपर सरकार को कल्याणकारी योजनाओं, क्रियात्मक भंडार, बफर स्टाक और खुला बाजार बिक्री योजना के लिए और भी खाद्यान्नों की आवश्यकता होगी.

उन्होंने कहा कि सरकार पिछले कुछ वर्षों से औसतन करीब 5.5 करोड़ टन गेंहू और चावल खरीदती रही है.

पवार ने कहा कि पीडीएस के जरिये खाद्यान्नों का जो वितरण 2001-02 में मात्र 1.2 करोड़ टन का होता था वह आज पहले ही बढ़कर 4.38 करोड़ टन हो गया है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के अच्छे पहलुओं के बावजूद यह निश्चित है कि एक बार कानून के लागू हो जाने के बाद पीडीएस के जरिये दिये जाने वाले खाद्यान्नों की मौजूदा स्तर पर काफी अधिक हो जायेगा.{mospagebreak}

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मौजूदा समय में सरकार पीडीएस के तहत 18.04 करोड़ परिवारों को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध कराती है जिसमें 6.52 करोड़ बीपीएल परिवार और 11.5 करोड़ एपीएल परिवार शामिल हैं.

यह पूछने पर क्या सरकार गैर.बासमती चावल और गेहूं के निर्यात को अनुमति देगी पवार ने कहा, ैयह सही है कि इस वर्ष चावल, गेहूं और चीनी की उत्पादन स्थिति बेहतर है. हम इन जिंसों के निर्यात के बारे में बात नहीं कर रहे हैं क्योंकि सरकार खाद्य सुरक्षा कानून का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया में है. उल्लेखनीय है कि गैर.बासमती चावल और गेहूं के निर्यात को पिछले कुछ वर्षों से प्रतिबंधित कर दिया गया था ताकि इनकी घरेलू उपलब्धता को बढ़ाते हुए बढ़ती कीमतों को काबू में रखा जा सके.

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