देश के प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक क्षेत्रों में सूखे की गहराती आशंका और खाद्य पदाथरें की मंहगाई को लेकर सरकार की चौतरफा आलोचनाओं के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को भरोसा दिलाया कि खाद्य पदार्थों की महंगाई थामने के लिए हरसंभव उपाय करेगी.
देश को सूखे से निपटने का अनुभव
वहीं, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा है कि देश को सूखे से निपटने का पूरा अनुभव है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है. उद्योगपतियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के गोदामों में खाद्यान्नों का भंडार भरा हुआ है और सरकार कीमतों को काबू में रखने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी.
1987 के बाद सबसे बड़ा सूखा
अभी तक 161 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया जा चुका है. मुखर्जी ने कहा कि बारिश की कमी के कारण गर्मियों की फसल की बुवाई में 20 प्रतिशत की कमी आएगी. मुखर्जी ने कहा, ‘‘घबराने की कोई जरूरत नहीं है. देश 1987 में सदी के सबसे खराब सूखे की स्थिति से भी निपटने में सफल रहा था. हमने रेलवे की मदद से पेयजल पहुंचाया था. पशुओं के लिए चारे का प्रबंध किया था.’’ वित्त मंत्री ने कहा कि हमारे देश के पास ऐसी स्थिति से निपटने का अनुभव है और मैं आपको सलाह देता हूं कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है. भारतीय खाद्य निगम जैसी केंद्रीय एजेंसियों के पास 5 करोड़ टन का चावल और गेहूं का बफर स्टाक है. खाद्य मंत्री शरद पवार पहले ही कह चुके हैं कि हमारे पास इतना भंडार है, जो 13 महीने तक चल सकता है.
बुरी तरह से प्रभावित होगा बिहार
मौसम विभाग ने सोमवार को अनुमान लगाया था कि इस साल मॉनसूनी बारिश सामान्य का सिर्फ 87 प्रतिशत रहेगी. बिहार पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. वहां धान की बुवाई 59 प्रतिशत घटकर 15 लाख हेक्टेयर रह गई है, जबकि लक्ष्य 35.50 लाख हेक्टेयर का था. राज्य के कृषि विभाग के उपनिदेशक (सांख्यिकी) संजय सिंह ने कहा कि एक जून से सात अगस्त के बीच बारिश 42 प्रतिशत कम यानी 331 एमएम रही है. धान की बुवाई वाला जो एक अन्य प्रमुख राज्य हरियाणा भी मानसून की बेरुखी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. हरियाणा में बुवाई 11.50 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य की तुलना में सिर्फ 10.88 लाख हेक्टेयर रही है. हरियाणा में एक जून से पांच अगस्त के बीच 94.9 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य से 61 प्रतिशत कम है. उत्पादन घटने की आशंका में देश में खाद्य पदाथरें के दामों में तेजी आई है. पिछले कुछ माह के दौरान दालों, चीनी और सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं.