राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल सेवानिवृत्ति के बाद पुणे में अपने घर को लेकर एक और विवाद के केंद्र में आ गई हैं.
पुणे में भूतपूर्व सैन्यकर्मियों के एक संगठन ने आरोप लगाया है कि इस साल जुलाई के अंत में पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के निवास के लिए पांच एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की गई है.
प्रतिभा को पुणे में निवास उपलब्ध कराने के लिए सरकारी कदमों के बारे में विस्तृत ब्यौरा हासिल करने वाले संगठन ‘जस्टिस फॉर जवान’ के अवकाशप्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल सुरेश पाटिल का दावा है कि राष्ट्रपति को पुणे के खडकी छावनी क्षेत्र में 2.60 लाख रुपये वर्ग फुट की कीमत वाली जमीन का एक बड़ा हिस्सा आवंटित किया गया है. ‘जस्टिस फॉर जवान’ गैर सरकारी संगठन ‘ग्रीन थम्ब’ का हिस्सा है.
सुरेश पाटिल का दावा है कि ब्रिटिशकालीन दो बंगलों को गिराकर प्रतिभा के लिए 4500 वर्ग फुट क्षेत्र में मकान का निर्माण किया जा रहा है.
सेना के पूर्व अधिकारी ने सवाल किया कि प्रतिभा पाटिल के मकान की सुरक्षा के लिए जमीन के इतने बड़े हिस्से की बाड़बंदी क्यों की जा रही है जिनके बारे में हाल में आरटीआई आवेदन के तहत पता चला था कि उनकी विदेश यात्राओं पर 205 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च हुआ.
हालांकि, राष्ट्रपति भवन का कहना है कि कुछ भी गलत या नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है. सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रपति के निवास के लिए सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है.
नियमों के तहत राष्ट्रपति को भारत में अपनी पसंद के हिसाब से कहीं भी सुसज्जित बंगले का अधिकार है. जिन स्थानों पर सरकारी निवास उपलब्ध हैं, वहां यह केंद्रीय मंत्रियों को उपलब्ध सर्वोच्च श्रेणी के आवास के समान होना चाहिए.