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किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत का मुजफ्फरनगर में निधन

उत्तर भारत में कई आंदोलन चला कर किसानों को एकजुट करने वाले, समृद्ध पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत का रविवार को कैंसर से निधन हो गया.

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महेंद्र सिंह टिकैत
महेंद्र सिंह टिकैत

उत्तर भारत में कई आंदोलन चला कर किसानों को एकजुट करने वाले, समृद्ध पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत का रविवार को कैंसर से निधन हो गया.

उनके पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष 76 वर्षीय टिकैत पिछले साल से हड्डियों के कैंसर से पीड़ित थे. उन्होंने अपने पुत्र और भारतीय किसान यूनियन के महासचिव राकेश टिकैत के आवास पर अंतिम सांस ली. टिकैत के परिवार में चार पुत्र और दो पुत्रियां हैं. उनकी पत्नी का देहांत हो चुका है.

अपने नेता को श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां आ रहे हैं. टिकैत का अंतिम संस्कार सोमवार को सिसौली में भारतीय किसान यूनियन के मुख्यालय में किया जाएगा.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टिकैत के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि वह एक ऐसे अद्वितीय नेता थे जिनकी कमी आने वाले कई वर्षों तक महसूस की जाएगी.

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उन्होंने कहा कि किसानों और ग्रामीण भारत के कल्याण के लिए चौधरी टिकैत की प्रतिबद्धता गहरी और अडिग थी. देश में उनके काम का जबरदस्त असर था और उनके काम ने किसानों के लिए समर्पित अन्य अनेक संगठनों को गठित करने की प्रेरणा दी.

टिकैत को एक तेजतर्रार निर्भीक व्यक्ति बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अपनी पूरी जिंदगी वह राजनीति के दबाव से बखूबी निपटे. उनका कामकाज, उनकी दृढ प्रतिबद्धता, साहस और उनकी सादगी ने उन्हें अद्वितीय नेता बनाया.

लखनऊ में मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि टिकैत ने पूरी जिंदगी किसानों के हित में काम किया और उनके लिए लड़े. उनके काम को हमेशा याद किया जाएगा. जदयू नेता शरद यादव ने कहा कि टिकैत के निधन से हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती.

यादव ने अपने शोक संदेश में कहा कि टिकैत किसानों के शोषण के खिलाफ अनवरत संघर्ष के प्रतीक थे. उत्तर प्रदेश में जारी किसानों की जमीन की लूटपाट को रोकना ही उनके प्रति श्रद्धांजलि होगी. भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि टिकैत ने अपना जीवन किसानों के कल्याण में लगा दिया.

उन्होंने कहा कि वह भ्रष्टाचार के कलंक से मुक्त थे और उन्होंने एक सामान्य जीवन बिताया. हमने किसानों का एक सच्चे मित्र खो दिया. किसानों के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले टिकैत ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में जमीन के अधिग्रहण को लेकर भट्टा पारसौल में किसानों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष की घटना पर चिंता जताते हुए कहा था कि मुझे मरने से डर नहीं लगता. दुख तो यह है मैं ऐसे समय में बिस्तर पर असहाय पड़ा हूं जब किसान बड़ी समस्या से गुजर रहे हैं.

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सन 1986 में बिजली, सिंचाई, फसलों के मूल्य आदि को लेकर पूरे उत्तर प्रदेश के किसान उद्वेलित थे. इसी साल 17 अक्तूबर को सिसौली में एक महापंचायत आयोजित की गई जिसमें सभी खापों के चौधरी, किसान और उनके प्रतिनिधि शामिल हुए. इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के गठन की घोषणा की गई और टिकैत को सर्वसम्मति से यूनियन का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया था. किसानों के लोकप्रिय नेता टिकैत ने उनके अधिकारों के लिए राज्य और केंद्र सरकारों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन किए.

भारतीय किसान यूनियन ने 1988 में मेरठ में रिण रद्द करने, पानी और बिजली की दरें घटाने तथा गन्ने के दामों को लेकर आंदोलन किया था. इसी साल उन्होंने किसानों की हालत पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए दिल्ली के बोट क्लब पर एक सप्ताह तक प्रदर्शन किया.

वर्ष 2008 में टिकैत उस समय विवादों में घिरे जब मायावती के खिलाफ अपमानजनक एवं जातिसूचक टिप्पणी करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया और बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया.

आंदोलनों के दौरान टिकैत कई बार गिरफ्तार किए गए. अंतिम बार उन्हें फरवरी 2000 में लखनऊ में एक पंचायत के आयोजन के लिए जाते समय मुरादाबाद में गिरफ्तार किया गया था.
वर्ष 1935 में मुजफ्फरनगर के सिसौली में एक जाट परिवार में जन्मे टिकैत को आठ साल की उम्र में बलियां खाप का नेतृत्व मिला था.

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