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उन्मुक्त चंद का एक साल हो सकता है बर्बाद, सिब्बल ने कुलपति से की बात

भारत को अंडर-19 विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय क्रिकेट के उदीयमान सितारे उन्मुक्त चंद का कम उपस्थिति के कारण कालेज में एक साल बर्बाद हो सकता है.

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भारत को अंडर-19 विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय क्रिकेट के उदीयमान सितारे उन्मुक्त चंद का कम उपस्थिति के कारण कालेज में एक साल बर्बाद हो सकता है.

भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और खेल मंत्री अजय माकन ने उन्मुक्त का का पक्ष लिया है. ऐसे में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने भी इस मामले में दिलचस्पी दिखायी.

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह से बात की और पता चला कि उन्होंने कहा कि इस क्रिकेटर के मामले में उसका पक्ष लिया जाना चाहिए. दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार विद्यार्थियों को एक अकादमिक सत्र में सभी तरह की छूट के बाद कम से कम 33.3 फीसदी उपस्थिति पूरी करनी होती है, लेकिन सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्र उन्मुक्त क्रिकेट में अपनी व्यस्तता के कारण यह अर्हता पूरी नहीं कर पाये.

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यह मामला अभी दिल्ली उच्च न्यायालय में है, लेकिन कॉलेज के प्राचार्य विल्सन थंपू का कहना है कि यह फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन को करना है, क्योंकि यह विश्वविद्यालय का नियम है. गौरतलब है कि मई में हुई दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में उनमुक्त को एडमिट कार्ड नहीं दिया गया था जिसके बाद न्यायालय ने हस्तक्षेप कर कॉलेज से उन्हें अनुमति देने को कहा. हालांकि आदेश आने तक दो विषय की परीक्षा हो जाने के कारण वह दो विषयों की ही परीक्षा दे पाये.

उन्मुक्त ने कहा कि ‘मैंने अपने खेल शिक्षक और प्राचार्य से बात की है और वे अगले सेमेस्टर में मेरी मदद करने को तैयार हैं. उन्मुक्त के पिता और एक स्कूल के शिक्षक भरत चंद ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि उन्मुक्त के साथ ऐसा हो सकता है. यह मामला आपसी सहमति से ही सुलझा लिया जाना चाहिये था.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सिब्बल ने कहा कि उन्मुक्त के मामले में इस क्रिकेटर का पक्ष लिया जाना चाहिए क्योंकि यह कुलपति के कार्यक्षेत्र मे आता है और इस क्रिकेटर ने देश का मान बढ़ाया है.

इससे पहले माकन ने कहा कि मैं समझता हूं कि यह पूरी तरह से गलत है. विश्वविद्यालय और कालेज प्रबंधन को उन्हें परीक्षा देने से रोकने के बजाय इस तरह के खिलाड़ी के लिये कोई उपाय निकालना चाहिए था. मैं नहीं मानता कि यह सही फैसला है. मैं दिल्ली विश्वविद्यालय और उनके कालेज से इस मसले पर बात करूंगा.

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उन्होंने कहा कि केवल खेल कोटे के कारण वे इस तरह के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को अपने कालेज या विश्वविद्यालय में लेते हैं. इसलिए यह कहने के बजाय कि हम आपको परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देंगे, उन्हें इस तरह के छात्र के लिये कोई उपाय करना चाहिए था.

भारतीय कप्तान धोनी ने कहा कि खेलों के अंकों को कम आंका जा रहा है और अब उपस्थिति महत्वपूर्ण हो गयी है. इससे पता चलता है कि भारत में खेलों को कितना महत्व दिया जाता है. यह सुनकर बहुत दुख हुआ.

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