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'पौधों की तरह' कोरोना वायरस क्यों उगा रहे इस देश के वैज्ञानिक?

'पौधों की तरह' कोरोना वायरस क्यों उगा रहे इस देश के वैज्ञानिक?
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न्यूजीलैंड के वैज्ञानिक कई लैब में कोरोना वायरस को 'पौधों की तरह' उगा रहे हैं. कोरोना वायरस मरीजों से सैंपल लेकर लैब में स्टडी की जा रही है. लेकिन स्टडी को व्यापक रूप देने के लिए SARS-CoV-2 वायरस को वैज्ञानिक एक खास तकनीक से उगा रहे हैं.
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वायरल कल्चर तकनीक के जरिए वैज्ञानिक SARS-CoV-2 की स्टडी कर रहे हैं. स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों को मिलने वाली जानकारी से वैक्सीन निर्माण और इलाज में मदद मिल सकती है.
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न्यूजीलैंड के एनवायरमेंटल साइंस एंड रिसर्च लिमिटेड (ESR) की ओर से ये स्टडी का जा रही है. ओटागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मिगुएल क्यू मतेऊ ने कहा कि अन्य लैब में भी इनएक्टिवेटेड वायरल कल्चर की काफी डिमांड होती है.
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वायरल कल्चर तकनीक पर काम करने के लिए हाई सुरक्षा वाले लैब का इस्तेमाल किया जाता है. ताकि लैब से बाहर वायरस फैलने का खतरा न रहे.
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ESR में वायरोलॉजी टीम की प्रमुख लॉरेन जेली ने कहा कि वायरल कल्चर पर काम करना चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि अन्य देशों पर वायरस पर जो काम हुआ है, उससे हमने काफी कुछ सीखा है.
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लॉरेन जेली ने कहा- 'वायरल कल्चर बागवानी करने जैसा है. अगर आप पौधे अच्छे से उगा सकते हैं तो अच्छे से सेल्स को कल्चर कर सकते हैं जिसके जरिए वायरस को आइसोलेट किया जा सकता है.'
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जेली ने कहा कि हमें ये देखना होता है कि सेल्स का विकास कैसे हो रहा है और कैसे उन्हें हेल्दी और अच्छी स्थिति में रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड में वायरस पर हो रही रिसर्च को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी साझा किया जा सकता है.
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