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कोरोना बना काल, 2020 में पूरे एशिया में सबसे ज्यादा भारत में शिशुओं और मां की मौत

भारत में शिशुओं और मां की मौत
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कोरोना की वजह से बीते साल 2020 में भारत में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत और शिशु को जन्म देने वाली महिलाओं की मौत बड़ी तादाद में हुई है. यूनाइटेड नेशन की तरफ से आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना की वजह से देश में शिशुओं और उनको जन्म देने वाली मां से जुड़ी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गई, जिससे भारत में ज्यादा तादाद में बच्चों और उनको जन्म देने वाली मां की मौत हुई है.  रिपोर्ट में सामने आया है कि साउथ एशिया में 2020 में 5 साल की उम्र तक मरने वाले बच्चों की संख्या में भारत पहले नंबर पर रहा है.

भारत में शिशुओं और मां की मौत
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पिछले साल की तुलना में साउथ एशियाई देशों में 5 साल या उससे कम उम्र के बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर 228,641 हो गया है. सबसे ज्यादा 15 फीसदी ऐसे मरीजों की मौत भारत में हुई है. भारत में 154,020 और पाकिस्तान में (14%) 59,251 मौतें हुई हैं. महामारी के कारण मेटरनल डेथ में भी बढ़ोतरी हुई है जो कि भारत में 7,750 और पाकिस्तान में 2,069 मौत दर्ज हुई है. इसमें 15 से 19 साल की लड़कियों की संख्या ज्यादा है. भारत और पाकिस्तान में सबसे ज्यादा मौत हुई है.

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रिपोर्ट में आगे लिखा गया है कि सितम्बर 2021 तक भारत कोरोना की टेस्टिंग और स्वास्थ्य सेवाओं पर 10 बिलियन रुपये खर्च करेगा. रिपोर्ट के  अनुसार फरवरी 2021 तक साउथ एशिया में कोरोना के 12 मिलियन केस सामने आ चुके है. जिसमें भारत में इसका ज्यादा प्रभाव है और 10.9 मिलियन केस सिर्फ भारत में रजिस्टर हुए हैं.
 

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भारत में शिशुओं और मां की मौत
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इस रिपोर्ट में साउथ एशिया के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, और श्रीलंका में कोरोना महामारी फैलने के बाद स्थितियों को देखा गया, जिसमें बच्चे और उनकी मां का स्वास्थ्य, इकोनॉमी, नौकरी और शिक्षा पर महामारी का क्या प्रभाव पड़ा है उसपर अध्ययन किया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार अगर मौजूदा परिस्थिति को देखा जाएगा तो टेस्टिंग, संक्रमण के रोकथाम को रोकने के लिए सितंबर 2021 तक टेस्टिंग के लिए 8.1 बिलियन का अतिरिक्त खर्चा करना पड़ेगा. जबकि 520 मिलियन से 2.4 बिलियन तक का अतिरिक्त खर्चा स्वास्थ्य सेवाओं पर होगा.

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इसके लिए भारत को 7.8 बिलियन से ज्यादा की लागत कोरोना टेस्टिंग पर लगानी होगी और 1.7 बिलियन रुपये स्वास्थ्य पर खर्च करना होगा. ये हालात सुधरेंगे तब जाकर ही डेथ रेश्यो सही होगा. इस रिपोर्ट के अनुसार 490,000 से भी ज्यादा मौतें भारत में होने की संभावना है. इसमें कोई अचंभे की बात नहीं है. आईसीयू में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या भी भारत में सबसे ज्यादा थी.
 

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रिपोर्ट में अक्टूबर 2020 से सितम्बर 2021 तक एशिया क्षेत्र में कोरोना से 491,117 मौत होने की आशंका जताई गई है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर लॉकडाउन और साफ सफाई अभियान चलाया जाए तो मौत का आंकड़ा घटकर 85,821 तक आ सकता है. 

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