बिहार में कोरोना वायरस के इलाज की व्यवस्था को लेकर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही सवालों के घेरे में हैं. ऐसे में संक्रमण के जरिए फैलने वाली इस महामारी को लेकर गया में घोर लापरवाही सामने आई है. दरअसल गया की फल्गु नदी के किनारे कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान इस्तेमाल किए गए ग्लब्स, पीपीई किट और शव बॉक्स को फेंका जा रहा है.
लापरवाही का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि जिन लोगों की कोरोना से मौत हो गई है उनके शव बॉक्स को भी वहीं खुले में छोड़ दिया जा रहा है जिससे संक्रमण फैलने की आशंका है. खुले में इस तरह कोरोना के मेडिकल कचड़े को फेंकने की वजह से आसपास के लोग दशहत में हैं क्योंकि उन्हें संक्रमित होने का भय सता रहा है.
बता दें कि फल्गु नदी के किनारे जहां कोरोना बीमारी से जुड़ा ये मेडिकल कचड़ा फेंका जा रहा है वहीं श्मशान घाट पर अन्य शवों का भी दाह संस्कार किया जाता है.
कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के बाद उनके शव को जलाने के लिए दूसरे किनारे पर श्मशान घाट बनाया गया है लेकिन नियमों की अनेदखी की जा रही है. एंबुलेंस कर्मी वहीं पर, शव बॉक्स, ग्लब्स और पीपीई किट फेंककर चले जाते हैं.
अस्पताल प्रसाशन ने बॉक्स में पैक शव को बॉक्स सहित ही अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया है लेकिन लापरवाही का आलम ये है कि उस पूरे क्षेत्र में ग्लब्स,पीपीई किट, और शव का बॉक्स फेंका पड़ा है.
नदी किनारे फेंका गया पीपीई किट और ग्लब्स नदी में बह कर एक जगह से दूसरे जगह जा रहे हैं जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है. वहीं इस मामले को लेकर गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि नगर निगम को इसकी व्यवस्था करने के लिए निर्देशित किया गया है. साफ सफाई की भी व्यवस्था कराई जा रही है. पूरे सम्मान के साथ पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए भेजा जा रहा है.