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अब अमेरिका जाना और महंगा, वीजा के लिए यात्रियों को भरना पड़ेगा बॉन्ड, टूरिस्टों की बढ़ी टेंशन

अमेरिकी सरकार ने एक नई वीजा नीति लागू की है, जिसका नाम है वीजा बांड पायलट प्रोग्राम. इस नए नियम से आम यात्रियों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है और अमेरिका जाना अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा और जटिल हो सकता है.

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वीजा की लाइन में खड़े यात्री (Photo- AI)
वीजा की लाइन में खड़े यात्री (Photo- AI)

अमेरिका जाना अब उतना आसान नहीं रहा, खासकर उनके लिए जो टूरिस्ट या बिजनेस वीजा के तहत वहां जाना चाहते हैं. अमेरिकी सरकार ने एक नई नीति लागू की है, जिसका नाम है वीजा बांड पायलट प्रोग्राम. इस नियम के तहत अब कुछ देशों के यात्रियों को अमेरिका का B-1 (बिजनेस) या B-2 (टूरिज्म) वीजा लेने के लिए $5,000 से $15,000 (करीब 13 लाख रुपये तक) का बांड भरना होगा. अगर यात्री अमेरिका से तय समय पर लौट आता है तो उसे यह बांड वापस कर दिया जाएगा. लेकिन अगर वीजा की समय सीमा पार कर दी गई तो यह रकम जब्त हो सकती है. यह नियम फिलहाल एक साल के लिए पायलट प्रोग्राम के तौर पर लागू किया गया है.

ओवरस्टे करने वालों पर अमेरिका का सख्त कदम

अमेरिका का कहना है कि यह नियम उन देशों के लिए बनाया गया है, जहां से आने वाले लोग वीजा खत्म होने के बाद भी वापस नहीं लौटते. यानी इन देशों की ओवरस्टे दर (Overstay Rate) काफी ज्यादा है. इस बांड सिस्टम के जरिए सरकार चाहती है कि वीजा लेने वाले तय समय के भीतर अमेरिका छोड़कर लौट जाएं. यह बांड एक तरह की गारंटी राशि है, जो यात्रियों को समय पर वापसी के लिए बाध्य करेगी. अगर कोई नियम तोड़ता है तो यह पैसा वापस नहीं मिलेगा.

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किन लोगों पर लागू होगा ये नियम?

  • वे लोग जो B-1 (बिजनेस) या B-2 (टूरिज्म) वीजा के लिए आवेदन करेंगे.
  • वे नागरिक जिनके देश की ओवरस्टे दर बहुत अधिक है.
  • ऐसे देश, जहां दस्तावेजों की सुरक्षा और पहचान की जांच प्रणाली कमजोर मानी जाती है.
  • Citizenship by Investment जैसी स्कीम से नागरिकता लेने वाले लोग, जिन्होंने देश में रहकर नागरिकता नहीं ली है.

हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि जिन देशों पर यह नियम लागू होगा, उनकी लिस्ट पायलट प्रोग्राम शुरू होने से कम से कम 15 दिन पहले जारी की जाएगी.

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किसे मिलेगी छूट?

यह बांड हर किसी को नहीं भरना पड़ेगा. अमेरिका के वीजा वेवर प्रोग्राम में शामिल देशों के नागरिकों को इस नियम से छूट मिलेगी. इसके अलावा, कुछ यात्रियों को व्यक्तिगत आधार पर भी छूट दी जा सकती है. इसका फैसला अमेरिका का कांसुलर अधिकारी करेगा, जो हर आवेदन को अलग-अलग देखेगा.

पहले से ज्यादा सख्त हुआ वीजा नियम

यह कोई पहला सख्त कदम नहीं है. इससे पहले ट्रंप सरकार ने कई वीजा श्रेणियों में फेस-टू-फेस इंटरव्यू को अनिवार्य कर दिया था. इससे आवेदन प्रक्रिया लंबी और जटिल हो गई थी. इसके अलावा, अमेरिका के डाइवर्सिटी लॉटरी वीजा में हिस्सा लेने वालों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि उनके पास उस देश का वैध पासपोर्ट हो, जिसकी वे नागरिकता रखते हैं.

आम यात्रियों पर सीधा असर

इस बांड नीति से उन देशों के यात्रियों पर सीधा आर्थिक असर पड़ेगा, जिनकी ओवरस्टे दर ज्यादा है. अमेरिका जाने से पहले उन्हें हजारों डॉलर जमा करने होंगे, जो आम मध्यमवर्गीय यात्रियों के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. इस वजह से कई लोगों के अमेरिका घूमने या कारोबार करने के सपनों को झटका लग सकता है.

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