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लोग टैटू बनवाने के लिए कर रहे हैं दुनिया की सैर,'टैटू टूरिज़्म' बना नया ट्रेंड

बाली, लंदन और गोवा जैसे टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर बनवाया गया टैटू सिर्फ स्याही नहीं उससे कहीं ज़्यादा मायने रखता है, इसमें उस जगह की खुशबू, वहां जी गई कहानियां भी बसी होती हैं.

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टैटू' बन गए हैं 'सेल्फ़-एक्सप्रेशन' और संस्कृति से जुड़ाव का ज़रिया? (Photo-AI-Generated)
टैटू' बन गए हैं 'सेल्फ़-एक्सप्रेशन' और संस्कृति से जुड़ाव का ज़रिया? (Photo-AI-Generated)

कल्पना कीजिए आप एक ऐसे डेस्टिनेशन की यात्रा कर रहे हैं, जो सालों से आपकी विशलिस्ट में था, जब आप उसकी आकर्षक गलियों में घूमते हैं, स्थानीय खाने का स्वाद चखते हैं, तभी आपको एक टैटू स्टूडियो दिखाई देता है. अचानक आपके मन में आता है, "क्यों न जिस टैटू को बनवाने के बारे में मैं सोच रहा था, उसे यहीं बनवा लूं?" यह एक यादगार कहानी बन जाएगी.

लगता है न यह एक शानदार विचार? ठीक है, आजकल कई यात्री बिल्कुल ऐसा ही कर रहे हैं. वे फ्रिज मैग्नेट या स्नो ग्लोब इकट्ठा करने के बजाय, अपनी यात्राओं से टैटू को यादगार के रूप में जमा कर रहे हैं.

टैटू टूरिज्म का ट्रेंड

एलियन्स टैटू (Aliens Tattoo) के संस्थापक और सीईओ सनी भानुशाली ने इंडिया टुडे को बताया, "टैटू टूरिज़्म तब होता है जब लोग खास तौर पर टैटू बनवाने के लिए यात्रा करते हैं. वे सिर्फ इसलिए टैटू नहीं बनवाते क्योंकि वे छुट्टी पर हैं, बल्कि इसलिए यात्रा करते हैं क्योंकि वे किसी खास कलाकार, स्टाइल या संस्कृति को उसी के मूल परिवेश में अनुभव करना चाहते हैं, इसमें यात्रा खुद टैटू की कहानी का हिस्सा बन जाती है."

भानुशाली को लगता है कि यह ट्रेंड सिर्फ यात्रा के बारे में नहीं है. यह जुड़ाव के बारे में है, उनका कहना है, "लोग अब सिर्फ पासपोर्ट पर मुहरें नहीं लगा रहे हैं. वे ऐसे अनुभव जमा कर रहे हैं, जो यह बताते हैं कि वे क्या बन गए हैं." इसलिए, बाली, लंदन या गोवा में बनवाया गया टैटू सिर्फ स्याही से कहीं ज़्यादा मायने रखता है, इसमें उस जगह की खुशबू, वहां जी गई कहानियां, जिन लोगों से मुलाकात हुई, और उस अनुभव में बुनी गई भावनाएं शामिल होती हैं. 

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लोग टैटू बनवाने के लिए कर रहे हैं यात्रा

पिकयोरट्रेल (Pickyourtrail), दिल्ली के सह-संस्थापक हरि गणपति इस बात से सहमत हैं कि आज की यात्रा बहुत व्यक्तिगत हो गई है, और लोग चाहते हैं कि उनकी यात्राएं यह बताएं कि वे कौन हैं. गणपति कहते हैं, "टैटू टूरिज़्म इसी बदलाव में पूरी तरह से फिट बैठता है. अब बात केवल किसी गंतव्य पर जाने की नहीं रही, बल्कि उसका एक हिस्सा अपने साथ वापस लाने की हो गई है."

भानुशाली आगे कहते हैं, "मुझे लगता है कि यही कारण है कि यह ट्रेंड इतनी तेजी से बढ़ रहा है. यह दो शक्तिशाली इच्छाओं को मिलाता है. दुनिया को खोजना और खुद को व्यक्त करना."

भानुशाली बताते हैं कि विश्व स्तर पर, कुछ क्षेत्र टैटू यात्रियों के लिए आध्यात्मिक घर (spiritual homes) बन गए हैं.

  • थाईलैंड में, सक यंत मंदिर, जहां भिक्षु पवित्र ज्यामिति को आशीर्वाद देते हैं, साधकों के लिए एक तीर्थ यात्रा है.
  • जापान में, तेबोरी की प्राचीन कला हाथ से गोदना शांत सटीकता और सांस्कृतिक अनुशासन को दर्शाती है.
  • पॉलीनेशिया (Polynesia) पैतृक टैटू बनवाने का केंद्र बना हुआ है, जहां हर डिज़ाइन वंशावली और जीवन की कहानियों को समेटे हुए है.
  • बर्लिन, लंदन और न्यूयॉर्क नई खोज और स्टाइल की तलाश करने वाले लोगों को आकर्षित करते हैं.

भानुशाली कहते हैं, "हर जगह न केवल तकनीक, बल्कि दर्शन और एक अपनी लय प्रदान करती है कि सुई के नीचे कला और आत्मा कैसे मिलते हैं. यह संस्कृति, अनुष्ठान और समुदाय के बारे में कई यात्रियों के लिए, यह यात्रा एक अनुष्ठान है.'

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भानुशाली बताते हैं कि वो  ऐसे लोगों से मिलते हैं जो सिर्फ उस कलाकार से टैटू बनवाने के लिए महाद्वीपों की यात्रा करते हैं जिसका दर्शन (philosophy) उनसे मेल खाता है. यह कलाकार और यात्री, त्वचा और कहानी, संस्कृति और चेतना के बीच एक प्रकार का मिलन है.  टैटू टूरिज़्म गहरे मानवीय पहलू में विकसित हो गया है. आप एक डिज़ाइन के लिए आते हैं, लेकिन एक जीती-जागती याद लेकर जाते हैं.

इसके अलावा, गणपति बताते हैं, "टैटू बनवाना एक व्यक्तिगत पसंद है, दिलचस्प बात यह है कि यात्री यह तय करने से पहले कि कहां जाना है, स्थानीय कलाकारों, पारंपरिक तकनीकों और सांस्कृतिक महत्व पर शोध कर रहे हैं. थाईलैंड, बाली और जापान जैसे गंतव्य, जो अपनी विरासत से समृद्ध टैटू संस्कृतियों के लिए जाने जाते हैं, अद्वितीय और कहानी-आधारित अनुभवों की तलाश कर रहे यात्रियों से बढ़ती उत्सुकता देख रहे हैं."

टैटू बनवाने का बढ़ा ट्रेंड

टैटू टूरिज़्म के क्या मायने है?

भानुशाली कहते हैं, "मुझे लगता है कि हम लेन-देन वाले टैटू  से transformational tattooing की ओर बदलाव देख रहे हैं." वह आगे कहते हैं कि लोग अब यह नहीं कहते, 'मुझे अपनी बांह पर एक गुलाब चाहिए.' वे कहते हैं, 'मैं समझना चाहता हूं कि मेरे जीवन के इस चरण में इस गुलाब का मेरे लिए क्या मतलब है.' यात्रा उस अनुभव को बढ़ाती है. एक नए देश की यात्रा करना, नए लोगों से मिलना और अपरिचित संस्कृतियों में कदम रखना आपको बदल देता है.  

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तो, सालों बाद जब आप उस टैटू को देखते हैं, तो आपको केवल वह कला याद नहीं आती. आपको आपका वह रूप याद आता है जो उस पल में वहां मौजूद था. यही बात टैटू टूरिज़्म को इतना शक्तिशाली बनाती है. भानुशाली आगे बताते हैं, "यह वो तरीका है जिससे लोग क्षणिक अनुभवों को कुछ स्थायी चीज़ में बदल देते हैं, एक ऐसा निशान जो उस कहानी या याद को धुंधला होने से बचाता है. जब इसे सही ढंग से किया जाता है, तो यह आपके विकास का नक्शा बन जाता है, जिसमें हर टुकड़ा यह बताता है कि आप कहां थे, आप किससे मिले, और आपने खुद के बारे में क्या खोजा. " 

भारत में भी बढ़ रहा है टैटू टूरिज़्म का चलन

भानुशाली हमें बताते हैं कि भारत भी चुपचाप दुनिया के सबसे आकर्षक 'इंक डेस्टिनेशन' में से एक बन रहा है. गोवा में, टैटू बनवाने की कला को समुद्र के साथ अपनी लय मिल गई है. यात्री समुद्र तटों पर आते हैं और ऐसे टैटू बनवाकर जाते हैं, जो आज़ादी के उस भाव को दर्शाते हैं. हर दिसंबर में, गोवा टैटू फेस्टिवल एक ऐसा संगम बन जाता है जहां भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय टैटू कलाकार एक साथ काम करते हुए शैलियों और संस्कृतियों को मिलाते हैं.

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दूसरी ओर, मुंबई महत्त्वाकांक्षा की धड़कन को साथ रखता है. यहां की टैटू संस्कृति ग्राहक-केंद्रित है. लोग लचीलेपन, विश्वास और पहचान की कहानियां लेकर आते हैं, और उम्मीद करते हैं कि उनका टैटू भावनात्मक सटीकता को दर्शाएगा.

बेंगलुरु का एहसास अलग है. यह युवा, शांत और अधिक प्रायोगिक है. शहर की टेक और डिज़ाइन से जुड़ी भीड़ ने मिनिमलिस्ट (और ज्यामितीय (geometric) टैटू को पनपने का मौका दिया है.

और फिर पूर्वोत्तर भारत है, जहां टैटू अपनी स्याही में वंशावली को समेटे हुए हैं. नागालैंड, अरुणाचल और मिजोरम के आदिवासी समुदायों ने सदियों से टैटू को एक भाषा के रूप में इस्तेमाल किया है.

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अगले कुछ सालों में, भानुशाली बताते हैं, भारत आसानी से एशिया का अगला इंक डेस्टिनेशन बन सकता है, उनका मानना ​​है कि दुनिया जिस दिशा में जा रही है, लोग अब केवल नई चीज़ों के पीछे भागना बंद कर चुके हैं, उन्हें गहराई, शांति और जुड़ाव चाहिए. और भारत यही देता है. यह कोई ट्रेंड नहीं, बल्कि एक भावना है, एक ऐसा एहसास है जो टैटू ठीक होने के बाद भी आपके साथ बना रहता है.

लेकिन... सावधानी ज़रूरी है

टैटू केवल कला नहीं है, यह आपकी त्वचा पर एक कहानी है, और कुछ कहानियों को सावधानी से संभालना पड़ता है. हर देश या यहां तक कि हर स्टूडियो भी एक जैसे साफ़-सफाई के मानकों का पालन नहीं करता, इसलिए आपको हमेशा पुष्टि किए गए कलाकारऔर लाइसेंस प्राप्त स्टूडियो को ही चुनना चाहिए. 

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अपना 'टैटू गेटवे' प्लान करने से पहले, इन बातों का ध्यान रखें


जगह से ज़्यादा कलाकार को प्राथमिकता दें, सही कलाकार आपके टैटू को अर्थ देता है. एक खूबसूरत जगह तो दूसरी चीज़ है. अपने टैटू के पीछे की कहानी को जानें, खासकर अगर वह सांस्कृतिक या आध्यात्मिक है, ताकि आप सम्मान और संदर्भ दिखा सकें. ठीक होने के हिसाब से ट्रिप प्लान करें. सही कलाकार आपको एकदम सही लगेगा. यही जुड़ाव अनुभव को अविस्मरणीय बनाता है. सुनिश्चित करें कि स्टूडियो साफ है, उपकरण कीटाणुरहित हैं, और कलाकार लाइसेंसशुदा हैं.

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