भारत में टूरिज़्म सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. यही वजह है कि सफर करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और होटल-रेस्तरां की मांग भी आसमान छू रही है. आईडीबीआई कैपिटल की ताज़ा रिपोर्ट का दावा है कि आने वाले सालों में यह सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था का बड़ा सहारा बनने वाला है.
अनुमान है कि 2028 तक भारत का टूरिज़्म और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर करीब 60 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा. इसमें सबसे बड़ा योगदान घरेलू यात्रियों का होगा, जिनकी संख्या आने वाले वर्षों में दोगुनी हो सकती है. यही वजह है कि होटल इंडस्ट्री से लेकर हवाई यात्रा तक, सबमें भारी मांग देखने को मिलेगी.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में घरेलू यात्रियों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है. साल 2024 में जहां करीब 2.5 अरब लोग देश के भीतर सफर कर रहे थे, वहीं अनुमान है कि 2030 तक यह आंकड़ा 5.2 अरब तक पहुंच जाएगा. यानी हर साल लगभग 13.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज होगी. इस ग्रोथ में हवाई यात्रा की भूमिका सबसे अहम है. वित्त वर्ष 2024 में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या 307 मिलियन (30.7 करोड़) थी, जो 2030 तक बढ़कर 693 मिलियन (69.3 करोड़) होने की संभावना है. यानी हवाई यात्रा करने वालों की संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा हो जाएगी. देश में लगातार बेहतर हो रही हवाई, सड़क और रेल कनेक्टिविटी इस तेज़ उछाल को और मजबूती दे रही है.
घरेलू यात्राओं में बढ़ोतरी के साथ-साथ पर्यटकों के खर्च में भी भारी वृद्धि का अनुमान है. विश्व यात्रा एवं पर्यटन परिषद (WTTC) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आईडीबीआई कैपिटल ने बताया है कि 2034 तक भारतीय और विदेशी पर्यटकों का कुल खर्च लगभग तीन गुना बढ़कर 33.95 ट्रिलियन रुपये हो जाएगा. यह खर्च न सिर्फ यात्रा और रहने पर होगा, बल्कि MICE (बैठकें, प्रोत्साहन यात्राएं, सम्मेलन और प्रदर्शनियां) और कॉर्पोरेट यात्राओं में भी वृद्धि से सेक्टर को फायदा होगा.
जहां एक ओर पर्यटन की मांग तेजी से बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर होटल कमरों की कमी एक बड़ी चुनौती है. 31 मार्च, 2024 तक भारत में कुल 34 लाख होटल कमरे थे, लेकिन इनमें से संगठित सेक्टर (ब्रांडेड और उच्च-गुणवत्ता वाले होटल) का हिस्सा सिर्फ 11 प्रतिशत है, यानी 3,75,000 कमरे ही है. लग्जरी होटलों की स्थिति तो और भी सीमित है. इस श्रेणी में केवल 230 होटल हैं, जिनमें कुल 29,000 कमरे ही मौजूद हैं. यह संगठित होटलों की कुल संख्या का केवल 17 प्रतिशत हिस्सा है.
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बढ़ती आमदनी और यात्रियों की बदलती पसंद के कारण प्रीमियम और लग्जरी होटलों की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके मुकाबले सप्लाई अब भी काफी कम है. यही वजह है कि आने वाले सालों में इस गैप को भरना इंडस्ट्री के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा.
जमीन की ऊंची लागत, ज़्यादा निवेश और निर्माण में लगने वाले लंबे समय के कारण लग्ज़री होटलों का निर्माण धीमा है. इस कारण मांग और आपूर्ति के बीच एक बड़ा अंतर बना हुआ है. हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद लग्ज़री होटल सेगमेंट शानदार प्रदर्शन कर रहा है. इन होटलों में औसत कमरा किराया लगातार बढ़ रहा है और कमरों का अधिभोग स्तर (occupancy rate) भी 60-70 प्रतिशत के बीच बना हुआ है. जो यह दिखाता है कि लोग इन महंगे होटलों में ठहरने के लिए ज़्यादा पैसे खर्च करने को तैयार हैं.