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सैर सपाटा

पांडवों ने किया था श्राद्ध, वो जगह जहां पिंडदान से तुरंत मिलता है पितरों को मोक्ष

Brahmakapal Tirth
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देवभूमि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम केवल भगवान विष्णु की तपस्थली ही नहीं है, बल्कि यह वह पवित्र स्थान है, जहां शिव और विष्णु की अद्भुत शक्तियों का संगम होता है.अलकनंदा नदी के तट पर स्थित ब्रह्मकपाल तीर्थ का महत्व इतना बड़ा है कि इसे गया और काशी से भी बढ़कर माना जाता है. इतना ही नहीं इस स्थल से जुड़ी कई प्राचीन कथाएं और मान्यताएं इसे आस्था का प्रमुख केंद्र बनाती हैं. यही कारण है कि भक्तों के साथ-साथ इतिहास और पौराणिक कथाओं में रुचि रखने वाले लोग भी इसे विशेष स्थान देते हैं.

Photo: facebook.com/ The InSane Wanderer

A unique place for Pind Daan
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1. मोक्ष का महातीर्थ

हिंदू धर्म में पितृ तर्पण और पिंडदान का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि बद्रीनाथ धाम में स्थित ब्रह्मकपाल पर पिंडदान करने से अन्य सभी तीर्थों की तुलना में आठ गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है. स्थानीय लोगों और शास्त्रों के अनुसार, इस पवित्र स्थल पर पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें तुरंत मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Photo: ANI

Lord Vishnu tample
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2. शिव की ब्रह्म हत्या का दोष मुक्ति स्थल

इस जगह का नाम ‘ब्रह्मकपाल’ एक पौराणिक कथा से जुड़ा है. मान्यता है कि भगवान शिव ने जब ब्रह्माजी का पांचवां सिर काटा, तो वह सिर यहीं आकर गिरा था. जिसके चलते शिव पर ब्रह्महत्या का दोष लग गया. बाद में भगवान विष्णु के मार्गदर्शन से शिव ने यहीं पिंडदान किया और इस दोष से मुक्ति पाई. इसी वजह से इसे ‘कपाल मोचन तीर्थ’ भी कहा जाता है.

Photo: incredibleindia.gov.in
 

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Pandav temple uttarakhand
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3. पांडवों ने भी किया था यहां पितृ तर्पण

सिर्फ भगवान शिव ही नहीं, बल्कि महाभारत काल में पांडवों ने भी स्वर्ग जाने से पहले अपने पितरों का तर्पण इसी ब्रह्मकपाल तीर्थ में किया था. यह इस स्थान की ऐतिहासिक और पौराणिक महत्ता को और भी बढ़ा देता है. यही वजह है कि श्राद्ध पक्ष में दूर-दूर से श्रद्धालु अपने पूर्वजों की शांति के लिए यहां आते हैं.

Photo: instagram.com/@pushkarsinghdhami.uk
 

A unique place for 'Pind Daan' rituals
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4. पिंडदान का विशेष विधान

ब्रह्मकपाल में पिंडदान का एक अनोखा विधान है. मान्यता है कि यदि आपने किसी अन्य स्थान पर अपने पितरों का श्राद्ध या पिंडदान किया है, तब भी आप यहां आकर श्राद्ध कर सकते हैं. लेकिन, एक बार ब्रह्मकपाल में पिंडदान करने के बाद, फिर किसी अन्य तीर्थ में पिंडदान करने की आवश्यकता नहीं रह जाती. यही वजह है कि इसे अन्य श्राद्ध स्थलों से विशिष्ट बनाता है.

Photo: facebook.com/ Pilgrimage Tourism 
 

 A divine journey of unity
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5. शिव-विष्णु की अलौकिक जोड़ी

बद्रीनाथ की यात्रा तब और अधिक दिव्य हो जाती है जब इसे केदारनाथ धाम की यात्रा से जोड़ा जाता है. बद्रीनाथ जहां भगवान विष्णु की तपस्थली है, वहीं केदारनाथ बाबा केदार (शिव) की साधना भूमि है. इन दोनों धामों का एक साथ दर्शन 'हरिहर' यानी शिव और विष्णु की एकता का प्रतीक है. कहा जाता है कि केदारनाथ के दर्शन के बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती है.  

Photo: incredibleindia.gov.in

Panch Badri Temples
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6. पंच बद्री और चमत्कारों की गाथाएं

बद्रीनाथ धाम सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था और चमत्कारों का एक पूरा संसार है. स्थानीय लोग यहां कई चमत्कारों की कहानियां सुनाते हैं और मानते हैं कि सच्चे मन से दर्शन करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसके अलावा, बद्रीनाथ के आसपास पंच बद्री (योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, आदि बद्री, वृद्ध बद्री और ध्यान बद्री) भी हैं, जिनकी पूजा का अपना विशेष महत्व है.

Photo: x.com/@TheSanatanUday

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