बिहार में चुनावी माहौल के बीच तमाम नेता अलग-अलग जिलों में चुनावी रैलियां कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिहार के दौरे पर हैं वो आज मुजफ्फरपुर में रैली कर रहे हैं. ये शहर बिहार के उन शहरों में से एक हैं ंजो लोगों के लिए आस्था का केंद्र भी है और इसका ऐतिहासिक महत्व भी है.
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मुजफ्फरपुर शहर के बीचों-बीच एक बहुत ही पुराना और मशहूर शिव मंदिर है, जिसका नाम है बाबा गरीबनाथ मंदिर. यहां भगवान शिव का शिवलिंग 'बाबा गरीबनाथ' के रूप में स्थापित है. लोगों का कहना है कि यह शिवलिंग उस पीपल के पेड़ से मिला था, जहां मंदिर बना है. कहा जात है कि जब किसी ने उस पेड़ को काटा, तो उसमें से खून निकलने लगा, जिसके बाद शिवलिंग मिला और लोगों ने यहां मंदिर बनवा दिया. यही वजह है कि सावन (श्रावण मास) में यहां भक्तों की बहुत ज्यादा भीड़ होती है.
मुजफ्फरपुर एक ऐतिहासिक जगह भी है. यहां खुदीराम बोस स्मारक बना है. यह स्मारक उस 18 साल के बहादुर नौजवान खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया है, जो देश के लिए शहीद हो गए थे. ये वही जगह है, जहां 1908 में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने ब्रिटिश जज किंग्सफोर्ड पर बम फेंका था. इसी जुर्म में बोस को यहां फांसी दे दी गई थी. इस जगह की खास बात ये है कि जो भी यहां आता है, वो उस युवा सेनानी की कहानी सुनकर हैरान रह जाता है, जिसने चेहरे पर मुस्कान के साथ शहादत को गले लगा लिया था.
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अगर आपको इतिहास और पुरानी चीजों में दिलचस्पी है, तो आपको रामचंद्र शाही संग्रहालय जरूर घूमना चाहिए. यह संग्रहालय 1979 में जुब्बा साहनी पार्क के पास बना था. यहां आपको प्राचीन बर्तन, कलाकृतियां और मनसा नाग व अष्टदिक्पाल जैसी शानदार मूर्तियां देखने को मिलेंग. खास बात यह है कि यहां हर एक चीज अपनी कहानी खुद बताती है.
अगर मुजफ्फरपुर की पहचान की बात करें, तो सबसे पहले नाम आता है शाही लीची का. मुजफ्फरपुर लीची उगाने वाले सबसे बड़े जिलों में से एक है. ये जिला हर साल करीब 3 लाख टन लीची पैदा करता है. अगर आपको यहां की ताजा और एकदम मीठी लीची खानी है, तो मई और जून के महीने में आइए. अगर आपको यहां के लीची के बागानों में घूमना है, तो मुशहरी, झपहा और बोचहा जैसी जगहें बहुत मशहूर हैं. सबसे बढ़िया मौका मई और जून में होता है, जब लीची पकती है. उस समय यहां एकदम त्योहार जैसा माहौल बन जाता है.