लद्दाख, जिसकी पहचान ही सूखे और ऊंचे पहाड़ों से है, वहां कुदरत का एक ऐसा अजब खेल देखने को मिला है जिसने सबको चौंका दिया है. अगस्त 2025 में इस बर्फीले रेगिस्तान में इतनी बारिश हुई कि इसने 44 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. सामान्य से 930 प्रतिशत अधिक बारिश ने यहां बाढ़ ला दी, जिससे पूरा इलाका पानी-पानी हो गया. इस अभूतपूर्व प्राकृतिक घटना ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों को मुश्किल में डाल दिया और लद्दाख के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया.
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लद्दाख में अगस्त 2025 में 49.5 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि इस महीने में सामान्य तौर पर केवल 4.8 मिमी बारिश ही होती है. वहीं क्षेत्र की राजधानी लेह में 55 मिमी और कारगिल में 32.6 मिमी बारिश हुई. इन आकंड़ों ने मौसम विज्ञानियों को भी चौंका दिया है.
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अचानक आई बाढ़ ने लद्दाख को पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है. कई महत्वपूर्ण सड़कें और पुल बह गए, जिससे लेह और कारगिल जैसे प्रमुख क्षेत्र कई दिनों तक देश के बाकी हिस्सों से कटे रहे. इतना ही नहीं हवाई यातायात भी बाधित हुआ, यही वजह है कि पर्यटकों के प्लान पूरी तरह से खराब हो गए.
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बारिश के कारण आई बाढ़ ने न केवल सड़कों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि कई गांवों को भी अलग-थलग कर दिया. इतना ही नहीं बाढ़ का पानी घरों में घुस गया और फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया हैं. यही वजह है कि लोगों को दैनिक जीवन की ज़रूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो गया.
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, लद्दाख में हुई इस असामान्य बारिश की मुख्य वजह दक्षिण-पश्चिम मानसून और पश्चिमी विक्षोभों का एक साथ मिलना था. ये दोनों मौसमी प्रणालियां एक-दूसरे से मिलीं और लगातार भारी बारिश का कारण बनीं.
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विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इस तरह की चरम मौसमी घटनाएं अब आम हो सकती हैं. लद्दाख में हुई यह घटना भविष्य के लिए एक चेतावनी है, जहां तापमान बढ़ने से ग्लेशियरों के पिघलने का खतरा भी बढ़ रहा है.
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लद्दाख में हुई इस अभूतपूर्व बारिश का असर केवल मौसम के रिकॉर्ड तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने लोगों के जीवन को भी प्रभावित किया. अत्यधिक बारिश और अगस्त के महीने में भी हुई असामान्य बर्फबारी के कारण कई स्थानीय त्यौहारों को रद्द करना पड़ा. इसके अलावा, लेह आने-जाने वाली सभी उड़ानें भी रद्द कर दी गईं, जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.
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