भारत का इतिहास अगर किसी ज़मीन पर सबसे गहराई से दर्ज है, तो उनमें से बिहार एक है. अक्सर पर्यटन मानचित्र पर नज़रअंदाज़ किया जाने वाला यह राज्य अपने भीतर ऐसे खजाने समेटे है जो हर यात्री को हैरान कर देते हैं. यहां के हर पत्थर में बीते युग की कहानियां छिपी हैं और हर स्मारक इतिहास व आस्था का संगम दिखाता है. अगर आप अपनी यात्रा में इतिहास और आस्था का अनोखा मेल देखना चाहते हैं, तो बिहार के ये 5 धरोहर स्थल आपकी लिस्ट में ज़रूर होने चाहिए.
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पटना जंक्शन के पास स्थित बुद्ध स्मृति पार्क को बिहार सरकार ने बुद्ध की जयंती के मौके पर बनवाया था. यहां पाटलिपुत्र करुणा स्तूप है, जिसमें श्रीलंका, जापान, थाईलैंड और म्यांमार जैसे देशों से लाए गए बुद्ध के पवित्र अवशेष रखे गए हैं. इसके अलावा पार्क में ध्यान केंद्र, संग्रहालय और पवित्र बोधिवृक्ष भी है, जो इसे शांति और आध्यात्मिक अनुभव पाने की खास जगह बनाते हैं.
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यह बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र स्थल है, जहां सालों पहले गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था. यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल यह मंदिर गुप्तकालीन वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है. यहां मौजूद बोधिवृक्ष का वंशज आज भी श्रद्धालुओं को वही आध्यात्मिक अनुभव कराता है. यही वजह है कि दुनिया भर से लोग यहां ध्यान साधना और अनुष्ठान के लिए आते हैं.
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राजा अशोक द्वारा निर्मित केसरिया स्तूप दुनिया का सबसे बड़ा और ऊंचा बौद्ध स्तूप माना जाता है. यह स्थल बुद्ध की अंतिम यात्रा की याद में बनाया गया था. इसके अलावा पुरातत्व उत्खनन में यहां से कई मूर्तियां और शिलालेख मिले हैं. यही वजह है कि इतिहास प्रेमियों और आस्था से जुड़े यात्रियों के लिए यह जगह बेहद खास है.
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सिख धर्म के पांच पवित्र तख्तों में से एक, यह गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्मस्थली है. सफेद संगमरमर से बना और सुनहरे गुंबद से सजा यह स्थल श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. गुरु गोबिंद सिंह जयंती और बैसाखी पर यहां श्रद्धालुओं का विशाल जमावड़ा लगता है.
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5वीं शताब्दी में गुप्त राजा कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. यह दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था, जहां कभी हज़ारों विद्यार्थी और आचार्य रहते थे. यहां के व्याख्यान कक्ष, मठ और पुस्तकालय आज भी उस गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं. यह स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है.
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