ताज होटल्स लग्जरी होटलों की एक श्रृंखला है. ये इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड की एक सहायक कंपनी है, जिसका मुख्यालय मुंबई में है. टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नुसरवानजी टाटा ने 16 दिसंबर 1903 को मुंबई में अरब सागर के किनारे ताज महल पैलेस नामक होटल खोला था. यह पहला ताज होटल था (Taj Hotel).
एक कहानी के अनुसार, उन्होंने मुंबई के वॉटसन होटल में नस्लीय भेदभाव से जुड़ी एक घटना के बाद होटल खोलने का फैसला किया, जहां उन्हें प्रवेश से मना कर दिया गया था. क्योंकि होटल में केवल यूरोपीय लोगों को अनुमति थी.
1971 में उदयपुर के लेक पैलेस को ताज लग्जरी होटल में तब्दील किया गया. यह होटल में परिवर्तित होने वाला पहला महल था. अन्य होटलो में जयपुर का रामबाग पैलेस, जोधपुर का उम्मेद भवन पैलेस, हैदराबाद का फलकनुमा पैलेस और वाराणसी का नदेसर पैलेस और गोवा का ताज फोर्ट अगुआडा बीच रिसॉर्ट होटल शामिल हैं.
1984 में, ताज समूह ने एक लाइसेंस समझौते के तहत, बैंगलोर में ताज वेस्ट एंड, चेन्नई में ताज कोनेमारा और ऊटी में सेवॉय होटल का अधिग्रहण किया. कोलकाता में पांच सितारा डीलक्स होटल, ताज बंगाल, वर्ष 1989 में खोला गया था. ताज समूह भारत के छह प्रमुख महानगरीय शहरों- मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बैंगलोर, हैदराबाद और चेन्नई में है.
1980 में, ताज समूह ने भारत के बाहर अपना पहला होटल, यमन के सना में ताज शेबा होटल खोला था.
ताज होटल में एक महिला के कुर्सी पर पद्मासन में बैठने को लेकर विवाद सामने आया है. महिला का कहना है कि डिनर के दौरान होटल के मैनेजर ने उनके बैठने के तरीके और पहनावे पर आपत्ति जताई. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
क्या आपने कभी सोचा है कि होटल के कमरों में घड़ी क्यों नहीं होती? जानिए इसके पीछे के तकनीकी, मनोवैज्ञानिक और व्यावहारिक कारण जो होटल इंडस्ट्री को इस फैसले तक ले जाते हैं.
रतन टाटा अब दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी दरियादिली और उनका काम आज भी दुनिया में याद किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर कई ऐसे किस्से वायरल हो रहे हैं, जिससे रतन टाटा की शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है.ऐसा ही एक वाकया है जो दिखाता है कि वे जानवरों के प्रति कितने संवेदनशील थे.
रतन टाटा अब दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी दरियादिली और उनका काम आज भी दुनिया में याद किया जा रहा है. सोशल मीडिया पर कई ऐसे किस्से वायरल हो रहे हैं, जिससे रतन टाटा की शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है.ऐसा ही एक वाकया है जो दिखाता है कि वे जानवरों के प्रति कितने संवेदनशील थे.
एक इंटरव्यू में रतन टाटा ने बताया था कि सुरक्षा कारणों से उन्हें ताज होटल के गेट पर ही रोक दिया गया था. फिर उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से कहा, "एक भी आतंकी जिंदा नहीं बचना चाहिए और जरूरत पड़े तो पूरी प्रॉपर्टी (ताज होटल) को ही बम से उड़ा दो."