दिल्ली स्थित नेहरू मेमोरियल का नाम बदल कर प्रधानमंत्री संग्रहालय (Prime Ministers’ Museum and Library) और पुस्तकालय सोसायटी कर दिया गया है. इस संग्रहालय और पुस्तकालय में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास से जुड़े दस्तावेजों को रखा गया है. दिल्ला तीन मूर्ति हाउस परिसर में स्थित, यह भारतीय संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है (Nehru Memorial).
इसकी स्थापना 1964 में भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद की गई थी. इसका उद्देश्य आधुनिक और समसामयिक इतिहास पर अकादमिक शोध को बढ़ावा देना है. आज, नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी भारत के पहले प्रधानमंत्री पर दुनिया का अग्रणी संसाधन केंद्र है. इसके अभिलेखागार में महात्मा गांधी के अधिकांश लेखन के साथ-साथ स्वामी सहजानंद सरस्वती, सी राजगोपालाचारी, बी सी रॉय, जयप्रकाश नारायण, चरण सिंह, सरोजिनी नायडू और राजकुमारी अमृत कौर के निजी कागजात शामिल हैं (Nehru Museum and Library).
प्रधानमंत्री संग्रहालय का उद्घाटन अप्रैल 2022 में किया गया था. प्रधानमंत्री संग्रहालय स्वतंत्रता के बाद से भारत गणराज्य के प्रत्येक प्रधानमंत्री को एक श्रद्धांजलि है (PM Museum, New Delhi).
मार्च 2010 में इसके अभिलेखागार का डिजिटलीकरण परियोजना शुरू हुआ और जून 2011 तक, 8,67,000 पृष्ठों की पांडुलिपियों और 29,807 तस्वीरों को स्कैन किया गया था. 5,00,000 पृष्ठों को डिजिटल लाइब्रेरी वेबसाइट पर अपलोड किया गया था. एनएमएमएल के प्रसिद्ध प्रकाशनों में सेलेक्टेड वर्क्स ऑफ जवाहरलाल नेहरू, रस्किन बॉन्ड द्वारा मैन ऑफ डेस्टिनी और नेहरू एंथोलॉजी (1980) शामिल हैं (PM Museum and Library Digitization).
26 अप्रैल 2016 को सऊदी अरब ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उपहार में दिया गया एक खंजर नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय से चोरी हो गया था.
पंडित नेहरू मिलिट्री सिस्टम पर नागरिक-राजनीतिक नियंत्रण को सर्वोच्च मानते थे. उन्होंने पीएम बनते ही कमांडर-इन-चीफ का पद खत्म कर दिया और अंग्रेजों के काल में सेनापति को मिले 30 एकड़ के भव्य भवन को प्रधानमंत्री का आवास बना दिया. थाइलैंड, बर्मा, पाकिस्तान समेत दुनिया के कई कोनों में नागरिक सरकारों का पतन देख चुके नेहरू भारत में नागरिक सरकार की मजबूत बुनियाद रखना चाहते थे.
1957 में पंडित नेहरू और जनरल थिमैया की मुलाकात का दिलचस्प किस्सा, जब सेना प्रमुख ने मजाक में तीसरी दराज को सरकार के तख्तापलट की योजना बताया. ये घटना राजनीति और सेना के रिश्तों की जटिलता को उजागर करती है.
Saurabh Bhardwaj ने केंद्र सरकार पर बोला हमला, कहा Nehru Memorial का नाम बदलना ओछी राजनीति है.