उत्तर प्रदेश के मेरठ (Meerut, UP) जिले में आयोजित होने वाला 'नौचंदी मेला' (Nauchandi Fair) एक ऐसा पारंपरिक आयोजन है, जो सांप्रदायिक सौहार्द, सांस्कृतिक विविधता और व्यापारिक गतिविधियों का प्रतीक बन चुका है. यह मेला हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि (चैती नवरात्रि के दौरान) को शुरू होता है और एक माह तक चलता है.
माना जाता है कि नौचंदी मेले की शुरुआत करीब तीन सौ साल पहले हुई है. कहा जाता है कि यह मेला मां नौचंदी देवी के सम्मान में शुरू किया गया था. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, एक व्यापारी की बेटी ने देवी की आराधना कर चमत्कारिक रूप से अपने पिता की जान बचाई थी. तभी से यह मेला एक परंपरा के रूप में मनाया जाने लगा.
यह मेला खास बात यह भी है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय इसमें भाग लेते हैं, जिससे यह आपसी भाईचारे और एकता का प्रतीक बन चुका है.
नौचंदी मेला सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन ही नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा भी है. हजारों दुकानदार और कारीगर इस मेले के ज़रिए अपनी आजीविका चलाते हैं. इसके साथ ही, यह मेला सामाजिक मेलजोल, पारंपरिक शिल्प और सांस्कृतिक विरासत को भी सहेजने का कार्य करता है.
नौचंदी मेले में गुब्बारा बेचने आए राजस्थान के एक परिवार की मासूम बच्ची को कार ने टक्कर मार दी. बच्ची सड़क किनारे खेल रही थी. इस हादसे में उसकी मौत हो गई.