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नागेश्वर मंदिर

नागेश्वर मंदिर

नागेश्वर मंदिर

गुजरात के देवभूमि द्वारिका में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Temple) बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक अत्यंत पवित्र और प्रतिष्ठित धाम है. यह मंदिर द्वारका से लगभग 12 किलोमीटर दूर ओखा हाईवे पर स्थित है. समुद्र की लहरों और शांत वातावरण से घिरा यह स्थल अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा और शिवभक्ति का अनुभव कराता है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख शिवपुराण में मिलता है. पुराणों के अनुसार, ‘सुप्रिया’ नामक एक महान शिवभक्त पर ‘दरुक’ नामक दैत्य ने अत्याचार किया था. दैत्य से बचाने और भक्त की पुकार सुनने पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और दैत्य का विनाश किया. उसी स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठित हुआ, जिसे नागेश्वर के नाम से जाना जाता है. यह भी माना जाता है कि यहां शिव भक्तों को ‘नाग’ यानी विष और भय से मुक्ति का आशीर्वाद देते हैं.

मंदिर की वास्तुकला प्राचीन भारतीय शैली से प्रेरित है. मंदिर परिसर में भगवान शिव की 25 मीटर ऊंची भव्य मूर्ति आगंतुकों का ध्यान तुरंत आकर्षित करती है. गर्भगृह में स्थित ज्योतिर्लिंग दक्षिणाभिमुख है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है. मंदिर में दिनभर शिव स्तुति, रुद्राभिषेक और घंटियों की मधुर ध्वनि गूंजती रहती है.

महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर के आसपास के क्षेत्र में तीर्थयात्रियों के लिए भोजनालय, पार्किंग और विश्राम की सुविधाएं उपलब्ध हैं. द्वारका आने वाले हर यात्री के लिए नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अनुभव माना जाता है.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि श्रद्धा, इतिहास और भक्ति का अद्भुत संगम है, जो हर शिवभक्त को आध्यात्मिक शांति और शक्ति प्रदान करता है.

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