'केशव कुंज' (Keshav Kunj) दिल्ली में स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का मुख्यालय है. यह संघ की गतिविधियों और कार्यक्रमों के आयोजन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. संघ का प्रमुख मुख्यालय नागपुर में स्थित है, लेकिन 'केशव कुंज' दिल्ली में संघ के उत्तर भारत संचालन का केंद्र माना जाता है. इसका नाम संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के सम्मान में रखा गया है. केशव कुंज में अक्सर संघ की महत्वपूर्ण बैठकों, प्रशिक्षण सत्रों और अन्य संगठनों से समन्वय के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
'केशव कुंज' करीब 17,000 गज के एरिया में बनाया गया है. आरएसएस के इस ऑफिस में 3 टॉवर बनाए गए हैं, जिसमें एक में पदाधिकारी के बैठेंगे. साथ ही इसमें पुस्तकालय, चिकित्सालय, 2 हाईटेक ऑडिटोरियम, दो बड़े मीटिंग हाल, बुक स्टॉल भी बनाया गया है. वहीं दूसरे टॉवर में हनुमान मंदिर, कैंटिन के साथ ही स्वयंसेवकों के रहने के लिए कमरे बने हैं. तीसरे टॉवर में बाहर से आने वाले स्वयंसेवकों के लिए कमरे का व्यवस्था की गई है.
RSS के इस ऑफिस में पानी के लिए जल बोर्ड और बिजली के लिए सोलर प्लांट भी लगाया गया है. इतना ही नहीं ऑफिस में 5 बेड का एक अस्पताल और डिस्पेंसरी भी बनाया गया है.
1957 में जब नेहरू देश के पीएम थे जो उन्हें महाराष्ट्र में कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा था. संयुक्त महाराष्ट्र को लेकर राज्य की जनता आंदोलित थी. ऐन मौके पर गुरु गोलवलकर ने दखल दिया और नेहरू के समर्थन में चिट्ठी लिखकर उसकी लाखों प्रतियां पूरे महाराष्ट्र में बंटवाईं. दरअसल ये मुद्दा ही ऐसा था. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
संघ के इतिहास में एक बार ऐसा समय आया जब गुरु गोलवलकर अपने जन्मदिन मनाने को लेकर असहज हो गए. वो अंदर से परेशान भी थे कि सब कुछ उनके इर्द गिर्द ही हो रहा था, संघ के बजाय उनकी तारीफ कर रहा था. शायद यही बात उनको सहज नहीं लग रही थी. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
जिस समय गांधीजी की हत्या हुई, तब गुरु गोलवलकर के हाथ में चाय का प्याला था. अचानक उन्हें किसी ने सूचना दी कि बिरला भवन में गांधीजी की गोली मारकर हत्या कर दी है. गोलवलकर ने बिना कोई घूंट लिए चाय का कप नीचे रख दिया और विचारों में खो गए. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है उसी घटना का वर्णन.
अंग्रेजों के खिलाफ देश में 'भारत छोड़ो आंदोलन' की लहर जोरों पर थी. तब इस आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहीं स्वतंत्रता सेनानी अरुणा आसफ अली संघ के एक बड़े नेता के घर गोपनीय तरीके से रह रही थीं. फिर एक दिन उस मुहल्ले से एक बारात गुजरी और... RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज पेश है यही कहानी.
वो कद्दावर नेता जिसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना पहला सरकार्यवाह मानता है, लेकिन इस नेता का ऐसा वैचारिक बदलाव हुआ कि उन्होंने बाद में कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन कर ली और आज उन्हें एबी वर्धन का गाइड माना जाता है. RSS के 100 सालों के सफर की 100 कहानियों की कड़ी में आज इसी नेता की जिंदगी और राजनीति की कहानी पेश है.
संघ के संस्थापक डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार को हर सजा मंजूर थी लेकिन राष्ट्रीय भावनाओं के साथ अंग्रेजों का खिलवाड़ करना कतई मंजूर नहीं था. संघ की 100 साल की यात्रा पर 100 कहानियों की इस खास सीरीज में इस बार वो कहानी जब स्कूली दिनों में वंदेमातरम के उदघोष पर तत्कालीन अंग्रेज प्रशासन ने उन्हें स्कूल से निकाल दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 मार्च को नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय केशव कुंज पहुंचे यहां उन्होंने RSS संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर के स्मारक स्मृति मंदिर पहुंचकर श्रद्धांजलि दी
महाराष्ट्र के ठाणे जिले में आयोजित राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के ट्रेनिंग कैंप पर पत्थरबाजी की घटना सामने आई है. इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. जिले के डोंबिवली के कचोरे में रविवार रात को हुई इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ.