कश्मीरी पंडित
कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit), जिसे कश्मीरी ब्राह्मण (Kashmiri Brahmins) भी कहा जाता है, कश्मीरी हिंदुओं का एक समूह है और भारत के सारस्वत ब्राह्मण समुदाय का हिस्सा है (Part of Saraswat Brahmin community of India). वे कश्मीर घाटी के पंच गौड़ ब्राह्मण समूह से जुड़े हैं. कश्मीरी पंडित मूल रूप से कश्मीर घाटी में मुसलमानों के प्रवेश करने से पहले से रहते थे. इस क्षेत्र में मुस्लिम प्रभाव के बढ़ने के बाद वे बड़ी संख्या में इस्लाम में परिवर्तित हो गए. घाटी में इस्लामी उग्रवाद के बढ़ने के कारण, 1990 के दशक में बड़ी संख्या में उनका पलायन हुआ, कश्मीर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर किए गए. अब कश्मीरी पंडित वहां बेहद कम संख्या में रहते हैं. वे कश्मीर घाटी के मूल निवासी और एकमात्र बचे हिंदू समुदाय हैं (Only Remaining Hindu Community Native to Kashmir Valley).
डोगरा शासन (1846-1947) के दौरान कश्मीरी पंडित घाटी की आबादी का एक पसंदीदा वर्ग था. उनमें से 20 प्रतिशत ने 1950 के भूमि सुधारों के परिणामस्वरूप घाटी छोड़ दी. 1981 तक पंडितों की आबादी कुल आबादी का 5 प्रतिशत थी. कट्टरपंथी इस्लामवादियों और आतंकवादियों द्वारा उत्पीड़न और धमकियों के बाद, उग्रवाद के कारण 1990 के दशक में वे बहुत बड़ी संख्या में कश्मीर से पलायन कर गए. 19 जनवरी 1990 को हुई आतंकवादी घटनाओं ने लगभग हर कश्मीरी पंडित को घाटी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. रिपोर्टों के मुताबिक, 1990 के दशक में 1,40,000 की कुल कश्मीरी पंडित आबादी में से लगभग 1,00,000 ने घाटी छोड़ दी. कुछ अन्य लेखकों ने इस संख्या को 2,00,000 से लेकर 8,00,000 तक बताया. इस पूरे घटनाक्रम में जम्मू और कश्मीर की तत्कालीन सरकार की भागीदारी विवादास्पद बनी रही (Kashmiri Pandit Exodus from Kashmir).
पलायन के बाद कई कश्मीरी पंडित शरणार्थी शिविरों में दयनीय स्थिति में रहे. भारत में कुछ लोगों ने कश्मीरी पंडितों की मदद करने की कोशिश की. महाराष्ट्र के बाल ठाकरे ने इन पंडितों के बच्चों के लिए इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें आरक्षित करवाईं. वह उनकी मदद करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे, जिसके बाद पंजाब ने भी उनका अनुसरण किया (Kashmiri Pandit Help and Benefits).
2010 में, घाटी में सिर्फ 808 पंडित परिवारों में 3,445 लोगों के रहने की सूचना थी. अक्टूबर 2015 तक, पुनर्वास के लिए दी जा रही वित्तीय सहायता के बावजूद, जम्मू और कश्मीर सरकार के अनुसार 1990 के बाद से केवल 1 कश्मीरी पंडित परिवार कश्मीर घाटी में लौटा. 2016 तक, कुल 1,800 कश्मीरी पंडित युवा 2008 में 1,168 करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा के बाद से घाटी में लौटे (Kashmiri Pandit Rehabilitation).
मनोज सिन्हा शनिवार को जम्मू में कश्मीरी पंडितों के जगती शरणार्थी शिविर का दौरा करने पहुंचे. यहां कई कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों ने उनसे जम्मू स्थानांतरित करने का आग्रह किया. इस दौरान एलजी ने कर्मचारियों में से बातचीत की और उन्हें काम पर लौटने के लिए कहा.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखते हुए कहा है कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधिमंडल ने मुझसे मिलकर अपने दुखद हालात बताए. आतंकियों की टारगेटेड किलिंग के शिकार कश्मीरी पंडितों को बिना सुरक्षा गारंटी घाटी में जाने के लिए विवश करना निर्दयी कदम है. आशा है कि आप इस विषय पर उचित कदम उठाएंगे.
जम्मू और कश्मीर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शहीदों और प्रतिष्ठित नागरिकों के नाम पर 57 स्कूलों, ब्रिज और सड़कों का नामकरण कर दिया है. श्रीनगर के कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंद्रू का नाम भी इसमें शामिल है. बिंद्रू की आतंकवादियों ने उनके मेडिकल स्टोर में गोली मारकर हत्या कर दी थी.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने शदीहों के सम्मान में बड़ा फैसला लिया है. अब स्कूलों, पुलों, खेल केंद्र जैसे 57 बुनियादी ढांचे शहीदों के नाम से जाने जाएंगे. इसमें सरकारी गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल, खानयार का नाम शहीद डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित के नाम पर रखा गया है. वहीं, श्रीनगर में एक प्रमुख सड़क का नाम कश्मीरी पंडित माखन लाल बिंदरू के नाम पर रखा गया है.
कश्मीर के दौरे को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा- मैं जम्मू-कश्मीर जा रहा हूं. मैं वहां सिख समाज के लोगों से मिलूंगा. कश्मीरी पंडितों के धरने में शामिल हूंगा.
जम्मू कश्मीर के राजौरी में साल 2023 की शुरुआत के दो दिनों में दो आतंकी घटनाएं हुईं. पहले 1 जनवरी को आतंकियों ने डांगरी में 3 घरों में घुसकर जमकर फायरिंग की. इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई. जबकि 7 लोग घायल हैं. जम्मू कश्मीर के लगातार टारगेट किलिंग बढ़ती जा रही हैं. घाटी में आधार कार्ड देखकर हिंदुओं की हत्या की जा रही है.
जम्मू में कश्मीरी पंडितों ने सड़कों पर उतरकर ट्रांसफर की मांग के साथ एलजी मनोज सिन्हा के बयान को लेकर प्रदर्शन किया है. दरअसल मनोज सिन्हा ने कहा था कि अगर कश्मीरी पंडित घर बैठेंगे तो उन्हें वेतन नहीं मिलेगा.
टारगेट किलिंग के खिलाफ पिछले 200 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारी एलजी मनोज सिन्हा के बयान से नाराज हैं. एलजी ने कहा था कि घर बैठने वाले कर्माचिरयों को वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा. इस मुद्दे पर आज केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का बयान आया है.
पिछले 200 दिेनों से अधिक समय से धरने पर बैठे कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों ने शुक्रवार को जम्मू में बीजेपी के मुख्यालय का घेराव कर लिया. उनकी नाराजगी एलजी के बयान को लेकर है.
कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादियों द्वारा मिली नई धमकी पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आजतक संवाददाता से खास बात की और बीजेपी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि एक तरफ कहते हैं की अमन आ गया है और दूसरी तरफ ऐसा माहौल है.
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा कश्मीरी पंडितों पर हमले की धमकी दी गई है. जिसके बाद कश्मीरी पंडित समुदाय और खासकर समुदाय के सरकारी कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन उग्र कर दिया है. कश्मीरी पंडितों का सरकार से सवाल है कि आखिरी टारगेट किलिंग कब तक चलती रहेगी?
जम्मू-कश्मीर में आतंकी अब भी रह रहकर सिर उठाते रहते हैं. इन आतंकी हमलों का ज्यादातर शिकार होते हैं बेगुनाह कश्मीरी पंडित और हिंदू. सरकारी नौकरियों की वजह से घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडित डर के माहौल में जी रहे हैं. इसे लेकर आज लोगों का गुस्सा फूटा तो लोग सड़कों पर उतर आये और जमकर प्रदर्शन किया. देखें ये रिपोर्ट.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा ने कहा कि आखिर एक शख्स ने एक प्रोपगैंडा फिल्म की सच्चाई दुनिया को बताई, जिसका इस्तेमाल कश्मीरी मुस्लिमों को नीचा दिखाने के लिए किया जा रहा था.
Gujarat Panchayat Aajtak: केंद्रीय गृहमंत्री मंगलवार को अहमदाबाद में पंचायत आजतक के कार्यक्रम में शामिल हुए. कार्यक्रम में उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव, पीएफआई बैन, पोर्ट पर ड्रग्स मिलने जैसे कई अहम मुद्दों पर बात की. इस दौरान उन्होंने अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात पर अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया कि घाटी में कश्मीरी पंडितों पर हमलों में कमी आई है.
कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का वेतन रोकने और उन्हें घाटी में वापस आने की एलजी प्रशासन के आदेश को लेकर केपीएस संगठन ने कहा कि अगर ऐसी धमकी बंद नहीं की गईं तो आंदोलन तेज किया जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार गृहमंत्री के नेतृत्व में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए एक कमेटी बनाए.
पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने 1999 में कश्मीर मुद्दा सुलझाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन पाकिस्तान ने धोखा दिया. भारत ने पाकिस्तान पर विश्वास किया और दूसरी तरफ उसने करगिल पर कब्जा करना शुरू कर दिया था. खुद पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने बताया था कि कैसे उनकी सेना ने कश्मीर मसले को सुलझने नहीं दिया. पढ़िए पूरी कहानी.
जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों ने एक स्कूल कर्मचारी को अपनी गोली का निशाना बनाया है. उस हमले में स्कूल कर्मचारी घायल हुआ और उसे अनंतनाग के ही एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है. पिछले कुछ दिनों से लगातार आतंकी बाहरी नागरिकों पर हमला कर रहे हैं, कश्मीरी पंडितों को भी निशाने पर लिया जा रहा है.
कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारी लगातार जम्मू में प्रदर्शन कर रहे हैं. आज इस प्रदर्शन का 174वां दिन है. कश्मीर धाटी में हुई टार्गेट किलिंग के बाद से ही ये लोग पलायन कर गए थे.
23 मार्च 2003 को कश्मीर के नदिमार्ग में हुए नरसंहार के मामले की सुनवाई फिर से होगी. 2011 में शोपियां की सेशन कोर्ट ने इस केस को बंद कर दिया था. अब जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट को केस फिर से खोलने का आदेश दिया है. 2003 में नदिमार्ग में आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी थी.
जम्मू कश्मीर के शोपियां में यूपी के दो मजदूरों पर ग्रेनेड फेंकने वाला आतंकी इमरान बशीर गनी मारा गया. उसकी मौत दूसरे आतंकी की फायरिंग से हुई. दरअसल लश्कर-ए-तैयबा के इस आतंकी के खुलासे के बाद ही सुरक्षाबल छापेमारी कर रहे थे तभी आतंकियों से उनकी मुठभेड़ हुई.
कश्मीरी पंडित पूरन कृष्ण भट की आतंकियों द्वारा हत्या पर पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि ये कभी बंद नहीं होने वाला है. जबतक इंसाफ नहीं मिल जाता है, ऐसा चलता रहेगा. उन्होंने कहा कि आज तो आर्टिकल 370 नहीं है फिर ऐसा क्यों हो रहा है?