भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. जनसंख्या, विविधता और संसाधनों की दृष्टि से विशाल इस देश की आर्थिक यात्रा अत्यंत रोचक और प्रेरणादायक रही है. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत ने समाजवादी मॉडल को अपनाया, जिसमें सरकारी नियंत्रण और योजनाबद्ध विकास को प्राथमिकता दी गई.
1991 में आर्थिक उदारीकरण (Liberalisation), निजीकरण और वैश्वीकरण (Globalisation) की नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी. इसके बाद भारत का सेवा क्षेत्र विशेष रूप से आईटी और वित्तीय सेवाओं में तेजी से विकसित हुआ.
भारत की लगभग 60% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है. हालांकि कृषि का GDP में योगदान घटकर लगभग 15% रह गया है, यह अब भी ग्रामीण भारत की रीढ़ है.
विनिर्माण, निर्माण और भारी उद्योग भारत की औद्योगिक संरचना के प्रमुख स्तंभ हैं. 'मेक इन इंडिया' और 'स्टार्टअप इंडिया' जैसे अभियानों ने इस क्षेत्र में नई जान फूंकी है.
भारत का सेवा क्षेत्र कुल GDP का सबसे बड़ा भाग (लगभग 55%) प्रदान करता है. सूचना प्रौद्योगिकी, BPO, टेलीकॉम और वित्तीय सेवाओं ने भारत को वैश्विक मानचित्र पर एक अहम स्थान दिलाया है.
भारत की युवा आबादी, डिजिटल क्रांति और बढ़ते स्टार्टअप कल्चर के चलते देश में अपार संभावनाएं हैं. यदि शिक्षा, स्वास्थ्य, नवाचार और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाए, तो भारत न केवल एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है बल्कि वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भी अग्रसर हो सकता है.
वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था ने उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन किया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि के दौरान वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद 8.2 प्रतिशत बढ़ा जो पिछले साल की तुलना में काफी उच्च रहा. यह तेजी दर्शाती है कि भारत की आर्थिक वृद्धि काफी मजबूत है और निरंतर विकास के रास्ते पर है.
वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में 8.2% की रफ्तार से दौड़ी इंडियन इकोनॉमी, उम्मीद से बेहतर रहा प्रदर्शन
Indian Economy Growth Story: भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां चुनौतियां भी हैं और बड़े मौके भी. दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं धीमी हो रही हैं, लेकिन भारत अभी भी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है.
भारत में देसी घी की खपत बहुत ही तेजी से बढ़ रही है. साल 2014 में देसी घी की खपत 2.68 किलोग्राम प्रति व्यक्ति से बढ़कर 2023-24 में यह 3.27 किलोग्राम प्रति व्यक्ति हो चुका है.
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील जल्द होने की उम्मीद की जा रही है, लेकिन भारतीय किसानोंं को मक्के की फसल को लेकर डर सता रहा है. कुछ जगहों पर मक्के की कीमत MSP प्राइस से भी नीचे आ चुकी हैं.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भारत की जमकर तारीफ की है. उन्होंने कहा है कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. इसमें कोई संकोच नहीं है कि भारत के ग्रोथ की कहानी शानदार रही है.
World Bank ने साउथ एशिया इकोनॉमी ग्रोथ पर अपनी रिपोर्ट पेश की है, जिसमें खुलासा किया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. साथ ही ग्रोथ का अनुमान भी बढ़ा दिया है.
अमेरिका कुछ भी कर ले, भारत रुकने वाला नहीं है. दुनिया भर की एजेंसियों ने इंडियन इकोनॉमी पर भरोसा जताते हुए भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को बढ़ाया है.
हिमालय में बसा भारत का कोल्ड डेजर्ट बना 13वां यूनेस्को बायोस्फियर रिजर्व
भारत और अमेरिका के संबंध एक बार फिर से पटरी पर आते दिख रहे हैं. ट्रंप के सदभावना भरे ट्वीट के बाद अब भारत में नए राजदूत सर्जियो गोर ने कहा है कि टैरिफ के मामले में वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच "बहुत ज्यादा मतभेद नहीं हैं" इससे संकेत मिलता है कि आने वाले हफ्तों में व्यापार संबंधी मुद्दों का समाधान हो सकता है. हालांकि अमेरिका की मूल आपत्ति अभी भी कायम है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भले ही दुनिया के 180 देशों से मनमाना रेसिप्रोकल टैरिफ वसूल रहे हैं, लेकिन अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने इसे अवैध बताया है. अब इस मामले पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. अगर सुप्रीम कोर्ट भी इसे नियमों के विपरित बताता है तो ट्रंप प्रशासन को वसूला गया अरबों डॉलर वापस करना पड़ेगा. लेकिन ट्रंप सरकार का प्लान कुछ और है.
सीनियर बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक विषमता पर गहरी चिंता जताई है, और अपने तर्क में वामपंथी अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन का हवाला दिया है. महत्वपूर्ण बात ये है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुरली मनोहर जोशी की बातों को एनडोर्स किया है.
अमेरिकी वित्त मंत्री का आश्वासन कि दुनिया के दो बड़े देश टैरिफ समस्या का समाधान खोज लेंगे, इसके अलावा अमेरिकी दूतावास से दोस्ती की दुहाई और शीर्ष डिप्लोमैट की ओर से वार्ता के लिए दिया जा रहा संदेश. क्या अमेरिका भारत को मैसेज दे रहा है कि बैठकर बात करने से बात बन सकती है. इस बीच भारत ने भी नवंबर तक अमेरिका के साथ ट्रेड डील सील करने का भरोसा दिया है.
भारत पर हैवी टैरिफ लगाना कैसे ट्रंप की नीतिगत असफलता रही है इसकी पोल अमेरिकी रणनीतिकारों ने ही खोली है. डेमोक्रेटिक पार्टी के भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने तो साफ कहा है कि ट्रंप के ईगो की वजह से भारत-अमेरिकी संबंध बर्बाद हो रहे है. लेकिन इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है.
अमेरिकी राजनयिकों का एक पूरा ग्रुप अब ट्रंप की टैरिफ नीतियों के खिलाफ खुलकर बोलने लगा है. अमेरिकी इंटेलिजेंशिया इस बात को लेकर हैरान है कि जिस भारत को अमेरिका ने सालों की कूटनीतिक कोशिश के बाद कम्युनिस्ट रूस के ब्लॉक से अलग किया और चीन के बरक्श एक ताकत के रूप में खड़ा करता रहा वही इंडिया अब अमेरिकी नीतियों की वजह से खुलकर चीन-रूस से दोस्ती कर रहा है.
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारत की इकोनॉमी ने शानदार तेजी दिखाई है. जीडीपी ग्रोथ रेट में 7.8 फीसदी की तेजी आई है, जबकि अनुमान 6.7 फीसदी का था.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के बाद भारत ने इस नुकसान को कम से कम करने के लिए विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है. लेकिन किसी एक विकल्प को चुनना भारत की कूटनीति की कड़ी परीक्षा है. भारत के सामने रूस से मिलने वाले सस्ते तेल का लोभ है तो वहीं भारत-अमेरिकी संबंधों के पटरी से उतरने का खतरा भी है.
अमेरिका का 50 फीसदी टैरिफ भारत पर लागू हो चुका है. ऐसे में कई इकोनॉमिस्ट भारत की अर्थव्यवस्था पर टैरिफ ग्रोथ को लेकर अलग-अलग अनुमान लगा रहे हैं. आइए जानते हैं टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा.
अमेरिका की हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी में इस बात पर जोर दिया गया है कि चीन को अभी तक इसी तरह की सजा से मुक्त क्यों रखा गया है. जो रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक है और डिस्काउंट पर तेल खरीद रहा है. यह ट्वीट ट्रंप की असमान नीति को उजागर करता है और सुझाव देता है कि ट्रंप प्रशासन की रणनीति में भेदभाव है.
भारत-अमेरिका संबंधों पर जर्मन अखबार ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि ट्रंप भारत के बाजार में अमेरिकी दिग्गज कृषि कंपनियों की एंट्री चाहते हैं. लेकिन भारत अमेरिकी कंपनियों को निर्बाध प्रवेश नहीं दे सकता है. इस मनाही के बाद ट्रंप की भड़ास निकल रही है.
Donald Trump को American Agency का ही जवाब, कहा- “50% टैरिफ से भारत का कुछ नहीं बिगड़ेगा”