इंडिया टुडे ग्रुप ने हाउ इंडिया लिव्ज (How India Lives) और कैडेंस इंटरनेशनल (Kadence International) के साथ मिलकर एक बड़ी पहल की है. इन्होंने भारत का पहला सकल घरेलू व्यवहार (Gross Domestic Behaviour) सर्वेक्षण किया है. इस सर्वे का मकसद देशभर में लोगों के सामाजिक और व्यक्तिगत व्यवहार को समझना है. इस स्टडी में 21 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश के 98 जिलों में 9,188 लोगों से बातचीत की गई है. इसमें 50.8% पुरुष और 49.2% महिलाएं शामिल थीं. 54.4% लोग शहरी इलाकों से और 45.6% ग्रामीण क्षेत्रों से थे. सर्वे में नागरिक शिष्टाचार, सार्वजनिक सुरक्षा, महिला-पुरुष के प्रति दृष्टिकोण, विविधता और भेदभाव जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर 30 सवाल पूछे गए.
सर्वे में किए गए एक अन्य सवाल के जवाब में सामने आया कि पब्लिक सेफ्टी के मामले में केरल सबसे आगे है. इसके बाद हिमाचल प्रदेश और ओडिशा का नंबर आता है. आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश इस लिस्ट में सबसे निचले 22वें पायदान पर है.
सर्वे में एक सकारात्मक नतीजा यह रहा कि 69% भारतीय जलवायु परिवर्तन से वाकिफ हैं. हालांकि इसे पहले अभिजात वर्ग की चिंता माना जाता था, मगर अब यह आम जन तक पहुंची है. केरल और तमिलनाडु में यह जागरूकता सबसे अधिक दिखी. 86% ने गंदगी फैलाने को गलत कहा, जो पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता दिखाता है.
सर्वे में 87% लोगों ने बिजली चोरी को गलत कहा, 85% ने बिना टिकट यात्रा का विरोध किया, लेकिन रोज़मर्रा में ये नियम तोड़े जाते हैं. दिल्ली में 99% लोग बिना टिकट यात्रा को गलत मानते हैं, मगर हकीकत में यह आम है. सर्वे बताता है कि लोग नैतिकता को समझते हैं, पर अमल नहीं करते. 61% ने घूस देने की बात स्वीकारी, जो निजी हितों के आगे ईमानदारी की हार दिखाता है.
सर्वेक्षण में 12 सवालों के जरिए ईमानदारी, सामाजिक जिम्मेदारी और नागरिक मानदंडों के प्रति लोगों का नजरिया मापा गया. तमिलनाडु ने इन सभी पहलुओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. यह राज्य न केवल सार्वजनिक संपत्ति के सम्मान और सामाजिक सहायता जैसे मुद्दों पर आगे रहा, बल्कि भ्रष्टाचार और अनैतिकता के खिलाफ भी मजबूत रुख दिखाया.
अपने टेक-हब होने के दर्जे के नाते कर्नाटक को भारत के ज्यादा तरक्कीपसंद राज्यों में माना जाता है, मगर इस मोर्चे पर भी सर्वेक्षण का सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आता है: पांच में से करीब चार उत्तरदाता (79 फीसद) स्वीकार करते हैं कि राज्य की महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर उत्पीड़न झेलना पड़ता है.
सर्वे में जो आंकड़े सामने आए हैं, उनमें केरल ऐसा राज्य है जो जन सुरक्षा रैंकिंग में अव्वल है. हालांकि सुरक्षा की इस मिसाल में भी अंतरविरोध उभर ही आते हैं. केवल 10 फीसद केरलवासी अपने पास-पड़ोस में असुरक्षित महसूस करने की बात कहते हैं, जो देशभर में सबसे कम आंकड़ा है. वहीं राज्य में एक बड़ी समस्या भी है.
सार्वजनिक परिवहन 86 फीसद भारतीयों को सुरक्षित लगता है, जिसमें महाराष्ट्र 89 फीसद के साथ सबसे आगे और पंजाब 73 फीसद के साथ पीछे रहा. आस-पड़ोस में सुरक्षित माहौल की धारणा में भौगोलिक विविधता का अंतर स्पष्ट दिखाई देता है.
तमिलनाडु सबसे अच्छा व्यवहार करने वालों का राज्य बनकर उभरा. कर्नाटक की स्थिति सबसे खराब रही, जहां 79 फीसद उत्तरदाताओं ने अक्सर उत्पीड़न की बात कही. सार्वजनिक परिवहन 86 फीसद भारतीयों को सुरक्षित लगता है, जिसमें महाराष्ट्र 89 फीसद के साथ सबसे आगे और पंजाब 73 फीसद के साथ पीछे रहा.
दक्षिणी राज्यों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना भी भेदभाव के पक्ष में दिखे, लेकिन उनकी सोच ओडिशा जितनी कट्टर नहीं थी. सर्वे में यह भी पाया गया कि खानपान में शुद्धता-अशुद्धता की अवधारणा भारतीयों के लिए हमेशा से अहम रही है, लेकिन बदलते वक्त के साथ इसमें उदारता बढ़ रही है.
रूढ़िवादी सोच के बीच चंडीगढ़ एक बड़ा अपवाद बनकर उभरा. पितृसत्ता प्रभावित उत्तरी क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद चंडीगढ़ ने अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह के प्रति खुला नजरिया दिखाया. सर्वे में यह भी सामने आया कि चंडीगढ़ के लोग विभिन्न धार्मिक समुदायों के साथ रहने में भी सहज हैं.
उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में पुरुष और महिलाओं की ओर से इस सवाल के जो जवाब मिले, वह कुछ-कुछ असहिष्णुता की ओर इशारा कर रहे थे. इन राज्यों में लोग विभिन्न धार्मिक समुदायों के साथ रहने को लेकर असहज हैं. वहीं, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्य भी इस मामले में अपेक्षाकृत उदार रहे.
केरल ने समावेशिता के मामले में मिसाल कायम की है. राज्य के उत्तरदाताओं ने न सिर्फ खानपान की पाबंदियों को खारिज किया, बल्कि रोजगार में भेदभाव का भी कड़ा विरोध किया. सर्वे में 88 प्रतिशत केरलवासियों ने कार्यस्थल पर धार्मिक भेदभाव को नकारा, जो इसे देश में सबसे प्रगतिशील राज्य बनाता है.
सर्वे में केरल सामाजिक समावेशिता के मामले में शीर्ष पर उभरा है. यहां के उत्तरदाता खानपान की पाबंदियों को खारिज करते हैं, रोजगार में भेदभाव का विरोध करते हैं और अंतरधार्मिक व अंतर-जाति विवाहों का समर्थन करते हैं. इसके उलट, मध्य प्रदेश सबसे निचले पायदान पर रहा, जहां अंतरधार्मिक विवाहों का भारी विरोध और रोजगार में धार्मिक भेदभाव की स्वीकार्यता देखी गईं.
चौंकाने वाली बात यह है कि 14% महिलाएं भी पति द्वारा पत्नी को पीटने को सही ठहराती हैं, जो पितृसत्तात्मक सोच की गहरी जड़ों को दिखाता है. सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि भारत की आधी आबादी अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाहों के खिलाफ है, जो सामाजिक समानता की राह में बड़ी बाधा है.
देश में सड़क हादसे एक गंभीर समस्या बन चुके हैं और सरकारें हर स्तर पर इन्हें रोकने की कोशिशों में लगी हैं. केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि देश में हर साल करीब 5 लाख सड़क हादसे होते हैं और इस वजह से भारत की जीडीपी को हर साल तीन फीसदी का नुकसान हो रहा है.
सामने आया है कि 61% लोग काम करवाने के लिए रिश्वत देने को तैयार हैं, वहीं 52% कर चोरी के लिए नकद लेन-देन को सही ठहराते हैं, और 69% का मानना है कि घरेलू फैसले पुरुषों के ही होने चाहिए.
इंडिया टुडे ग्रुप, हाउ इंडिया लिव्ज, और कैडेंस इंटरनेशनल ने मिलकर एक बड़ा सर्वे किया है. इस सकल घरेलू व्यवहार (GDB) सर्वे में लिंग-जाति-धर्म के भेद से लेकर सुरक्षा-सिविक सेंस पर देश का व्यवहार कैसा है ये सामने आया है. सामाजिक जागरूकता और नागरिक शिष्टाचार से जुड़े सवालों पर जनता ने क्या कहा जानिए-
GDB यानी Gross Domestic Behaviour... हिंदी में कहें तो सकल घरेलू व्यवहार. इंडिया टुडे ने अपने तरह के इस पहले सर्वे में देश के अलग-अलग राज्यों के नागरिक शिष्टाचार, सार्वजनिक सुरक्षा, स्त्री-पुरुष प्रवृत्तियां-विविधता और भेदभाव की स्थिति को जाना और उनकी रैंकिंग तय की.
इंडिया टुडे ग्रुप ने हाउ इंडिया लिव्ज (How India Lives) और कैडेंस इंटरनेशनल (Kadence International) के साथ मिलकर देश का पहला सकल घरेलू व्यवहार (Gross Domestic Behaviour) सर्वे करवाया है. ये सर्वे देश भर में सोशल और पर्सनल बिहेवियर पर स्टडी करने के लिए किया गया है.
India Today Survey: इंडिया टुडे का ये सर्वे इस ओर इशारा करता है कि भले ही देश मॉडर्निज्म की ओर बढ़ रहा हो, लेकिन सोशल और कल्चरल बदलाव की रफ्तार अभी भी धीमी है. समाज में सच पूछिए तो कम्युनिकेशन की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है.
इंडिया टुडे ग्रुप ने हाउ इंडिया लिव्ज (How India Lives) और कैडेंस इंटरनेशनल (Kadence International) के साथ मिलकर देश के लोगों से घरेलू व्यवहार (Gross Domestic Behaviour) को लेकर एक सर्वे किया है जिसमें उनसे कई सवाल पूछे गए. लोगों ने सर्वे के दौरान जो जवाब दिए हैं वो बेहद चौंकाने वाले हैं. सर्वे के मुताबिक देश में हर 10 में से छह लोग आवारा कुत्तों से परेशान हैं जबकि 42 फीसदी लोगों ने माना की यहां महिलाओं से छेड़छाड़ आम बात है.