गंडकी नदी (Gandak River) को नारायणी और गंडक के नाम से भी जाना जाता है. यह नेपाल (Nepal) की प्रमुख नदियों में से एक है. गंडक भारत में गंगा की बायीं ओर की सहायक नदी है. इसका कुल क्षेत्र 46,300 वर्ग किमी है. इसका अधिकांश भाग नेपाल में है. नेपाल हिमालय में, गंडकी अपनी गहरी घाटी के लिए उल्लेखनीय है. इस बेसिन में 8,000 मीटर से अधिक ऊंचे तीन पहाड़ भी हैं, जिनके नाम धौलागिरी, मनास्लु और अन्नपूर्णा मासिफ हैं. धौलागिरी गंडक बेसिन का सबसे ऊंचा स्थान है. अपने ऊपरी प्रवाह में, नदी को काली गंडक के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह नेपाल में मस्तंग जिले और प्रसिद्ध काली गंडकी कण्ठ से होकर बहती है. जब नदी नेपाल के तराई के मैदानों में पहुंचती है, तो इसे नारायणी नदी के रूप में जाना जाता है. भारत में प्रवेश करने पर, नदी को गंडक नदी के नाम से जाना जाता है.
काली गंडकी नदी का उद्गम स्थल नेपाल के मस्तंग क्षेत्र में नुबाइन हिमाल ग्लेशियर में 6,268 मीटर की ऊंचाई पर तिब्बत की सीमा पर है.
गंडक नदी के भारतीय भाग में महत्वपूर्ण शहर हैं- वाल्मीकिनगर (भैंसालोटन) - गंडक बैराज स्थित है, बगहा, बेतिया, हरिनगर (रामनगर), हाजीपुर (पटना से 10 किमी दूर गंगा के पार) और पटना के पास सोनपुर (हरिहर क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है).
नेपाल का चितवन राष्ट्रीय उद्यान और भारत का वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान गंडक बैराज के पास वाल्मीकिनगर के आसपास एक दूसरे से सटे हुए हैं.
शालिग्राम पूजा सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो भगवान विष्णु के विग्रह स्वरूप माने जाते हैं. गंडकी नदी, जो नेपाल से निकलती है, शालिग्राम शिलाओं का स्रोत है और इसकी पवित्रता को कई पुराणों और भक्ति काव्यों में वर्णित किया गया है.
आज तक की OSINT टीम ने CWC के ताजा बाढ़ डेटा और रिमोट सेंसिंग इमेजरी का विश्लेषण कर देशभर में बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया. उत्तर प्रदेश में गंगा, बिहार में घाघरा, पश्चिम बंगाल में इच्छामती, और असम में ब्रह्मपुत्र नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.
बिहार के पश्चिमी चंपारण में रत्नमाला गांव में शुक्रवार दोपहर एक दर्दनाक हादसा हो गया. दरअसल गंडक नदी में नहाने गए पांच दोस्तों की मस्ती अचानक मातम में बदल गई, जब उनमें से दो बच्चों की तेज बहाव में डूबने से मौत हो गई.रिपोर्ट के मुताबिक गर्मी और तेज धूप से राहत पाने के लिए पांचों बच्चे दोपहर को नदी में नहाने गए थे.
गंडक नदी में पानी बढ़ने से बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है, जिससे स्थानीय लोगों को खेती और आवागमन में भारी परेशानी हो रही है. मशाल नदी में हो रहे कटाव से दर्जनों गांव के चपेट में आने की आशंका है, और ग्रामीण बांध निर्माण में घोटाले का आरोप लगा रहे हैं.