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नए तरह के खतरों के लिए तैयार रहें, साथ रहें और इमरजेंसी क्षमता बढाएं... रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं से कहा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कोलकाता में कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 में सेना से नई चुनौतियों जैसे सूचना, वैचारिक और जैविक युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा. उन्होंने आत्मनिर्भरता, संयुक्तता और इनोवेशन (JAI) पर जोर दिया. ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की और डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 को मंजूरी दी, जो रक्षा खरीद को सरल बनाएगा.

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कंबाइड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिलकर नई युद्ध रणनीति बनाने को कहा. (Photo: ITG)
कंबाइड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में तीनों सेनाओं से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिलकर नई युद्ध रणनीति बनाने को कहा. (Photo: ITG)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से पारंपरिक युद्ध के दायरे से आगे बढ़ने की अपील की है. 16 सितंबर 2025 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आयोजित संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस 2025 को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपरंपरागत खतरों जैसे सूचना, वैचारिक, पारिस्थितिक और जैविक युद्ध से निपटने की तैयारी करने का आह्वान किया. यह कॉन्फ्रेंस ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार हुई, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को उद्घाटन किया था.

कॉन्फ्रेंस का पृष्ठभूमि और उद्घाटन

16वीं संयुक्त कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (CCC) 15 से 17 सितंबर 2025 तक कोलकाता के ईस्टर्न कमांड मुख्यालय विजय दुर्ग (पूर्व फोर्ट विलियम) में हुई. इसका थीम 'सुधार का वर्ष - भविष्य के लिए परिवर्तन' था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 सितंबर को उद्घाटन किया और 4 घंटे रुके.

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कॉन्फ्रेंस में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह, डिफेंस प्रोडक्शन सेक्रेटरी संजीव कुमार, एक्स-सर्विसमेन वेलफेयर सेक्रेटरी डॉ. नितेन चंद्रा, DRDO चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए.

यह कॉन्फ्रेंस हर दो साल में होती है, जहां सेना, नौसेना और वायुसेना के कमांडर्स राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीति पर चर्चा करते हैं. 2025 में यह ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली थी, जो पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर भारत की सटीक कार्रवाई थी.

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रक्षा मंत्री का भाषण: मुख्य बिंदु

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वैश्विक व्यवस्था अस्थिर है. क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ रही है. इसलिए, सेना को वैश्विक बदलावों का लगातार मूल्यांकन  करना चाहिए. देश की सुरक्षा प्रणाली पर उनके प्रभाव को समझना चाहिए. उन्होंने पारंपरिक युद्ध से आगे बढ़कर अदृश्य चुनौतियों जैसे सूचना युद्ध (फेक न्यूज), वैचारिक युद्ध (प्रोपेगैंडा), पारिस्थिक युद्ध (पर्यावरण हमले) और जैविक युद्ध (बायो-टेरर) से निपटने पर जोर दिया.

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defence minister rajnath singh

  • युद्ध की प्रकृति बदल रही: सिंह ने कहा कि आज के युद्ध अचानक और अप्रत्याशित हैं. उनकी अवधि 2 महीने, 1 साल या 5 साल हो सकती है. सेना को सर्ज कैपेसिटी (आपातकालीन क्षमता) मजबूत रखनी चाहिए. हाल के वैश्विक संघर्षों ने टेक्नोलॉजी-फ्रेंडली सेना की प्रासंगिकता दिखाई है.
  • सुदर्शन चक्र का विजन: प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुसार, सेना को आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं का मिश्रण बनाना चाहिए. एक कमिटी बनाई गई है, जो 5 साल के मध्यम और 10 साल के लंबे प्लान पर काम करेगी.
  • मुख्य मंत्र: JAI... प्रधानमंत्री के "जॉइंटनेस, आत्मनिर्भरता और इनोवेशन" (JAI) मंत्र पर फोकस करें. उद्योग और अकादमिक जगत से गहरा सहयोग करें. प्राइवेट सेक्टर को रक्षा इनोवेशन इकोसिस्टम में बड़ा रोल दें, ताकि घरेलू उद्योग दुनिया का सबसे बड़ा और बेहतरीन बने.
  • संयुक्तता और एकीकरण: सेना, नौसेना, वायुसेना के बीच और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय जरूरी. होल ऑफ नेशन अप्रोच अपनाएं. ट्राई-सर्विस लॉजिस्टिक्स नोड्स और ट्राई-सर्विस लॉजिस्टिक मैनेजमेंट ऐप बनाए गए हैं. सिविल-मिलिट्री फ्यूजन पर ध्यान.
  • ऑपरेशन सिंदूर की सराहना: सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि ताकत, रणनीति और आत्मनिर्भरता भारत को 21वीं सदी की शक्ति देंगे. स्वदेशी प्लेटफॉर्म्स और सैनिकों की बहादुरी से कोई चुनौती का सामना कर सकते हैं. यह आत्मनिर्भर भारत की असली ताकत है.
  • आत्मनिर्भरता की प्रतिबद्धता: आत्मनिर्भरता नारा नहीं, जरूरत है जो रणनीतिक स्वायत्तता देगी. रक्षा स्वदेशीकरण आर्थिक विकास, रोजगार और शिपयार्ड, एयरोस्पेस क्लस्टर्स, डिफेंस कॉरिडोर को मजबूत कर रहा है.
  • प्रक्रिया सुधार: डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल 2025 को मंजूरी दी, जो खरीद प्रक्रिया को सरल बनाएगा. डिफेंस एक्विजिशन प्रोसीजर 2020 को संशोधित किया जा रहा है, ताकि देरी कम हो और सेना को जल्दी ताकत मिले.

रक्षा सुधारों का केंद्र

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यह कॉन्फ्रेंस रक्षा आधुनिकीकरण, ऑपरेशनल रेडीनेस, तकनीकी श्रेष्ठता और विश्वसनीय निवारण पर केंद्रित थी. प्रधानमंत्री ने उद्घाटन में 'सुधार का वर्ष' पर जोर दिया. यह सेना को भविष्य के लिए तैयार करने का मंच है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह कॉन्फ्रेंस रक्षा रणनीति को नई दिशा देगी.

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