देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) आषाढ़ मास यानी जून-जुलाई के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं चंद्र दिवस (एकादशी) को मनाया जाता है. इस साल 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी है. पुराणों की माने तो देवशयनी एकादशी से श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इस समय में सूर्य, चंद्रमा और प्रकृति का तेज कम होता जाता है. इसलिए कहा जाता है कि देव शयन हो गए हैं. यानी देव सो गए हैं. माना जाता है कि तेज तत्व या शुभ शक्तियों के कमजोर होने पर किए गए कार्यों के परिणाम शुभ नहीं होते हैं. इसलिए देव सोने के बाद शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
इस एकादशी से अगले चार माह तक में चले जाते हैं. इसलिए अगले चार माह तक शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं. इस अवधि को चातुर्मास भी कहा जाता है. इस एकादशी से तपस्वियों का भ्रमण भी बंद हो जाता है. इन दिनों में केवल ब्रज की यात्रा की जा सकती है.
देवशयनी एकादशी पर रात्रि काल में विशेष विधि से भगवान विष्णु की पूजा होती है. उन्हें पीली वस्तुएं, विशेषकर पीला वस्त्र अर्पित करना चाहिए. श्री हरि को धूप, दीप, फल, फूल आर्पित भी करना चाहिए और आरती भी करें.
देवशयनी एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना चाहिए.
Devshayani Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में देवशयनी को बेहद पुण्यदायी माना गया है. माना जाता है कि इस दिन व्रत व विधिपूर्वक पूजन करने से जातक सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है. इस दिन से भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और पृथ्वी का कार्यभार भगवान शिव को सौंप देते हैं.
जुलाई के महीने में दो बड़ी एकादशी के व्रत भी रखे जाएंगे, जिसमें देवशयनी एकादशी और कामिका एकादशी का व्रत आता है. व्रत और त्योहार के साथ जुलाई में गुरु, सूर्य समेत 6 बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन भी होने वाला है. साथ ही, शनि और बुध क्रमश: 13 जुलाई और 18 जुलाई को वक्री चाल शुरू करेंगे.
Devshayani Ekadashi 2025: इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई 2025, रविवार को रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हर साल देवशयनी एकादशी मनाई जाती है. देवशयनी एकादशी के दिन चातुर्मास की भी शुरुआत होती है.
Ashadh Month 2025: आषाढ़ के महीने में सबसे ज्यादा फलदायी उपासना गुरु की होती है. इसके अलावा, इस महीने देवी की उपासना भी शुभ फल देती है. श्री हरि विष्णु की उपासना से संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है. इस महीने में जल देव की उपासना से धन की प्राप्ति सरल हो जाती है.
Devshayani Ekadashi 2024: इस एकादशी से अगले चार माह तक श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इसलिए अगले चार माह तक शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं. इस अवधि को चातुर्मास भी कहा जाता है. इस एकादशी से तपस्वियों का भ्रमण भी बंद हो जाता है. इन दिनों में केवल ब्रज की यात्रा की जा सकती है.
Vivah Muhurat 2024: इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई दिन बुधवार को पड़ रही है. इस दिन से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाएंगे और तब से ही चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी. इसके बाद चार महीनों तक सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाएंगे. तो आइए जानते हैं कि देवशयनी एकादशी तक कौन से खास मुहूर्त हैं.
Devshayani Ekadashi 2023: आज देवशयनी एकादशी है. आज से चातुर्मास लग जाएगा और भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे. इसके बाद अगले चार महीने तक सृष्टि का संचालन भगवान शिव करेंगेे. अगले चार महीने शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे.
Devshayani Ekadashi 2023: देवशयनी एकादशी का व्रत इस बार 29 जून को रखा जाएगा. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है. देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा एकादशी जैसे नामों से भी जाना जाता है. साथ ही इस दिन से चतुर्मास की शुरुआत भी हो जाएगी.
देवशयनी एकादशी वो दिन है जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इसके बाद आने वाले चार महीने तक तमाम शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है. हालांकि अगले चार महीने तक सृष्टि का संचालन भगवान विष्ण की बजाए भगवान शिव करते हैं.
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में आ जाता है. आज देवशयनी एकादशी है और आज कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए.
Devshayani Ekadashi Date: आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं.माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा में चले जाते हैं. इसके बाद भगवान कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं.