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अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट 2008

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट 2008

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट 2008

अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट 2008

26 जुलाई 2008 को लगभग 70 मिनट के अंतराल पर अहमदाबाद में एक के बाद एक कुल 21 सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे जिसमें 56 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे (Ahmedabad Serial Bomb Blast 2008). ये बम विस्फोट कर्नाटक राज्य के बैंगलोर में हुए विस्फोटों के एक दिन बाद हुए थे. ईमेल के जरिए इंडियन मुजाहिदीन (Indian Mujahideen) और स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) आतंकवादी संगठनों ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली थी. गुजरात पुलिस (Gujrat Police) ने बम विस्फोटों के सिलसिले में संदिग्ध मास्टरमाइंड मुफ्ती अबू बशीर को नौ अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था (Master Mind of Serial Blast, Abu Bashir).

बम को साइकिल पर रखे टिफिन बॉक्स में लगाया गया था. इन धमाकों में अहमदाबाद नगर परिवहन सेवा (AMTS) की सिटी बस सेवा को निशाना बनाया गया था., जिससे कई वाहन बुरी तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए थे. शुरुआती सिलसिलेवार धमाकों के करीब 40 मिनट बाद दो अस्पतालों के परिसर में भी दो विस्फोट हुए थे (Bombs in Tiffin carriers on Bicycles).

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र मणिनगर से दो जिंदा बम भी बरामद किए गए थे. गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद धमाकों के एक दिन बाद गुजरात के एक और बड़े शहर सूरत में दो और बमों को बरामद कर निष्क्रिय कर दिया था. डेटोनेटर सहित विस्फोटक बनाने के लिए आवश्यक सामग्री से भरी दो कारें भी मिलीं, जिनमें से एक अस्पताल के पास सड़क के किनारे खड़ी थी और दूसरी सूरत के बाहरी इलाके में (Bomb found in Narendra Modi Constituency). 

धमाके के लगभग 14 साल बाद फरवरी 2022 में अहमदाबाद स्पेशल कोर्ट ने 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई  जबकि 11 दोषियों को आखिरी सांस तक कैद में रहने की सजा सुनाई गई है (Ahmedabad Serial Blast Verdict). भारत के न्यायिक इतिहास में पहली बार एक साथ इतने बड़े संख्या में दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी (Highest number of Death Sentences in a Single case in India). 


 

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