किसान अपने हक की लड़ाई लड़ने आए थे. कल के बवाल के बाद अब आंदोलन तहस-नहस होता दिखाई दे रहा है. किसान नेता वीएम सिंह ने ऐलान कर दिया है कि वो अपना आंदोलन यहीं खत्म कर रहे हैं. उन्होंने राकेश टिकैत पर भी जमकर निशाना साधा है. साफ है कि किसानों का आंदोलन उस रास्ते निकल चुका है, जहां से अब शायद आंदोलन के आगे बचे रहने की उम्मीद नहीं के बराबर है. जाहिर है दूर दराज से आए किसानो ने जिस आंदोलन की बड़ी खामोशी से क्रांति में बदला था, उसे इज्जत दिलाई थी. आंदोलन 26 जनवरी की घटना के बाद अचानक लड़खड़ा गया. जाहिर है हक की आवाजों को उठाना आसान नहीं होता, ऐसी आवाजों को उठाने के लिए सब्र की जरुरत होती है. चंद बेसब्र लोगों की वजह से किसान आंदोलन नाम की मेहनत मिट्टी में मिलती नजर आ रही है. फिलहाल तो आंदोलन के 63वें दिन किसानों के लिए सबसे मुश्किल घड़ी है. देखें खास कार्यक्रम, इस वीडियो में.