साइबर ठगी का एक नया केस सामने आया है, जहां विक्टिम को बड़ी ही चालाकी से शिकार बनाया गया है. विक्टिम के पास साइबर ठगों ने CBI और ED ऑफिसर बनकर कॉल किया. विक्टिम को डिजिटल अरेस्ट करके 58 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है. मुंबई साइबर डिपार्टमेंट ने इस केस को दर्ज कर लिया है. जांच में पता चला है कि इस नेटवर्क का कनेक्शन चाइनीज, हॉन्गकॉन्ग, इंडोनेशिया में मिला है. ये जानकारी मंगलवार को दी है.
साइबर फ्रॉड के केस की शुरुआत एक अनजान नंबर से आने वाली कॉल के साथ हुई है. मुंबई बेस्ड बिजनेसमैन को अनजान नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले साइबर ठगों ने खुद को सेंट्रल ब्यूरो इनवेस्टीगेशन (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) का ऑफिसर बताया. साइबर ठगी का ये केस 19 अगस्त से लेकर 8 अक्तूबर तक जारी रहा है.
साइबर ठगों ने विक्टिम को कॉल किया
साइबर ठगों ने विक्टिम को कॉल किया और जांच के नाम पर तुरंत वीडियो कॉल पर कनेक्ट होने को कहा है. इसके बाद साइबर ठगी का केस आगे बढ़ा और विक्टिम को डिजिटल अरेस्ट किया गया. इसके बाद विक्टिम से अलग-अलग बैंक अकाउंट में रुपये ट्रांसफर कराए.
क्रिप्टोकरेंसी बेस्ड ट्रांजैक्शन पर हो रहा था काम
पुलिस ने बताया है कि यह पूरा रैकेट क्रिप्टोकरेंसी बेस्ड ट्रांजैक्शन पर चलता है. चोरी किया गया ये फंड मल्टीपल क्रिप्टो वॉलेट में जाता है. जांच में पता चला है कि यह गैंग कमिशन बेस्ड बैंक अकाउंट पर काम कराता है.
यह भी पढ़ें: Cyber frauds: दिल्ली की महिला को 1 हजार के बदले मिला 1,300 रुपये का रिटर्न, आखिर में गंवा दिए 23 लाख
1 साल से भारतीयों को बना रहा है शिकार
पुलिस जांच में पता चला है कि यह रैकेट, असल में एक बड़ा इंटरनेशनल गैंग है. यह करीब 1 साल से भारतीय नागरिकों को शिकार बना रहा है. इस गैंग ने 2 हजार रुपये की ठगी को अंजाम दिया है.
डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?
डिजिटल अरेस्ट के केस बढ़ रहे हैं, जहां साइबर क्रिमिनल खुद को लॉ एजेंसियों के ऑफिसर बताते हैं. इसके बाद विक्टिम को डराया, धमकाया और गिरप्तार करने की धमकी तक दे जाती है.
इसके बाद जांच के नाम पर वीडियो कॉल होती है. फैमिली डिटेल्स लेकर बैंक डिटेल्स तक मांगी जाती है. बैंक खातों में जमा पूंजी आदि के बारे में पूछा जाता है. इसके बाद चालाकी उन रुपयों को निकाल लिया जाता है.