
स्मार्ट ग्लास के जरिए फेसबुक ने एक बार फिर से आम लोगों की प्राइवेसी में दखलअंदाजी की तैयारी कर ली है. एक छोटा उदाहरण. फेसबुक स्मार्ट ग्लास मार्केट में आएगा. यूजर्स इसे यूज करेंगे. इनमें 5 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है.
अब कोई शख्स आपके पास इसे पहन कर आता है तो समझ लीजिए आपकी और उसकी निजता खत्म. मुमकिन है ये चश्मा आपको रिकॉर्ड कर ले. विजुअल से लेकर ऑडियो तक रिकॉर्ड करके फेसबुक को डायरेक्ट भेज सकता है.
दिलचस्प ये है कि फेसबुक ने कहा है कि स्मार्ट ग्लास को बनाते समय प्राइवेसी का ध्यान रखा गया है. लेकिन कैसे? कंपनी ने कहा है कि ग्लास में एक एलईडी लाइट है जिससे ये पता चलेगा कि आपका ग्लास फोटो या वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है.
क्या कैमरे के पास फिजिकल शटर है? बिल्कुल नहीं. यानी फेसबुक चाहे तो इस इस चश्मे का कैमरा आपको रिकॉर्ड भी कर लेगा और एलईडी लाइट भी नहीं जलेगी. सिंपल है, जिसने इसे बनाया है उसके पास इसका ज्यादातर कंट्रोल है.
फेसबुक ने कहा है कि यूजर्स जो चश्में को वॉयस कमांड्स देंगे वो कंपनी स्टोर करेगी. इसे रिव्यू करने के लिए स्टोर रखा जाएगा. यानी आपने क्या सवाल जवाब किए हैं, ये स्टोर रहेगा और फेसबुक को ये पता है. हालांकि आप इसे ऑप्ट आउट कर सकते हैं. लेकिन ये ऑप्शनल है.

बजफीड न्यूज की रिपोर्टर केटी ने कहा है कि वो चश्में में लगे एलईडी लाइट को कवर करके दूसरों की तस्वीरें और वीडियोज लेने में सफल रहीं. उन्होंने फेसबुक के इस ग्लास को स्पाई ग्लास की तरह बताया है.
क्योंकि ये ग्लास देखने में आम चश्में की तरह लगता है. इसमें दी गई लाइट भी ज्यादा विजिबल नहीं है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्टर ने 20 लोगों को रिकॉर्ड कर लिया और उन्हें इस बात की खबर भी न थी कि उन्हें कोई रिकॉर्ड कर रहा है.
रिकॉर्डिंग डेटा कहां जाएगा? जाहिर है डेटा किसी न किसी तरह से फेसबुक के पास पहुंचेगा और कंपनी इसे पैसे कमाने के लिए यूज करेगी. पैसे कमाने भर ही नहीं, बल्कि ये डेटा किसी गलत हाथ में चला गया तो किसी इंसान की जिंदगी तक बर्बाद हो सकती है.
जाहिर है फेसबुक के पैसा कमाने का जरिए यूजर्स हैं. कंपनी यूजर डेटा को विज्ञापन के लिए बेच कर पैसे कमाती है. कंपनी का रेवेन्यू मॉडल जिस तरह का है उसमें ज्यादातर पैसे विज्ञापन से आते हैं.
स्मार्ट ग्लास से आपकी जिंदगी आसान हो या न हो, फेसबुक को आपकी जिंदगी में दखलअंदाजी करने का पूरा मौका मिलेगा. भले ही कंपनी प्राइवेसी को लेकर लाख दलील दे, लेकिन सच यही है कि फेसबुक ऐसी कंपनी है जो एक आम आदमी से लेकर अमेरिकी चुनाव को प्रभावित कर देती है.
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प्राइवेसी तब सुनिश्चित हो सकती थी जब इस ग्लास को एक साधारण ग्लास जैसा नहीं बनाया जाता है. ग्लास के लुक को चेंज किया जा सकता था. इतना ही नहीं, इस ग्लास में दिए गए कैमरे के पास इसे ढकने के लिए कोई उपाय होना चाहिए था. उदाहरण के तौर पर ऐसे कई स्मार्ट डिस्प्ले हैं जिनके कैमरो ढकने के लिए शटर दिया जाता है.
प्राइवेसी एक्स्पर्ट्स का भी मानना है कि फेसबुक का ये स्मार्ट ग्लास प्राइवेसी को लेकर कई सवाल खड़े करता है. क्योंकि इन ग्लास को किसी की जासूसी करने के लिए आराम से यूज किया जा सकता है.
फेसबुक का जिस तरह का इतिहास रहा है उसे देख कर आपको ये हैरानी नहीं होनी चाहिए की कंपनी अपने प्रोडक्ट्स को किन तरीकों से यूज कर सकती है. यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर फेसबुक का रवैया क्या है ये किसी से छुपा नहीं है.